ऑपरेशन सिंदूर के बाद साइबर खतरे बढ़े: ऊर्जा क्षेत्र में ‘Trusted Telecom Portal’ के जरिए सुरक्षा कवच कड़ा

ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत की महत्वपूर्ण अवसंरचनाओं (Critical Infrastructure), विशेषकर ऊर्जा क्षेत्र पर साइबर हमलों का खतरा बढ़ गया है। इस चुनौती को देखते हुए केंद्र सरकार ने ऊर्जा मंत्रालय के माध्यम से पावर ग्रिड और वितरण प्रणालियों सहित पूरे बिजली क्षेत्र के लिए साइबर सुरक्षा को मजबूत करने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं।
ट्रस्टेड टेलीकॉम पोर्टल: अब पावर सेक्टर में भी अनिवार्य
केंद्र ने दूरसंचार क्षेत्र की तरह ऊर्जा क्षेत्र में भी “Trusted Sources” से आईटी और टेलीकॉम उपकरणों के उपयोग को अनिवार्य करने का फैसला किया है। इस पहल के तहत, अब 1 जनवरी 2026 से पहले आपूर्ति किए जाने वाले सभी नए आईटी उपकरणों और सेवाओं को Trusted Telecom Portal से मंजूरी लेनी होगी।
- यह आदेश मौजूदा उपकरणों पर लागू नहीं होगा।
- पुराने उपकरणों के AMC (Annual Maintenance Contracts) या अपग्रेड पर इसका कोई असर नहीं पड़ेगा।
- जल्द ही इस पोर्टल के तहत आवश्यक उपकरणों और सेवाओं की सूची जारी की जाएगी।
Trusted Telecom Portal क्या है?
राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद सचिवालय (NSCS) द्वारा विकसित यह पोर्टल एक स्ट्रक्चर्ड वेटिंग फ्रेमवर्क है, जिसके अंतर्गत “trusted source” का दर्जा देने से पहले 10 से अधिक मंत्रालयों द्वारा विस्तृत जांच की जाती है।
- Huawei और ZTE जैसी चीनी कंपनियों को यह दर्जा नहीं मिला है।
- जबकि Ericsson, Nokia और Samsung को “trusted” कंपनियों की सूची में शामिल किया गया है।
ऊर्जा मंत्रालय और उससे जुड़ी संस्थाओं को अब इस पोर्टल का उपयोग करने की अनुमति मिल गई है।
सुरक्षा का समन्वय तंत्र
ऊर्जा मंत्रालय एक कोऑर्डिनेशन सेल भी बनाएगा, जो सभी राज्यों के नोडल अधिकारियों के साथ समन्वय कर इस प्रक्रिया को निर्बाध रूप से लागू करेगा। यह सेल सुनिश्चित करेगा कि हर ऊर्जा संस्थान समय पर आवश्यक मंजूरी प्राप्त करे।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- Trusted Telecom Portal की स्थापना NSCS द्वारा की गई है।
- यह पोर्टल भारत में सुरक्षित और प्रमाणित आईटी उपकरणों के उपयोग को सुनिश्चित करता है।
- ऊर्जा सचिव पंकज अग्रवाल ने बताया कि ऑपरेशन सिंदूर के बाद कई साइबर हमलों को रोका गया है।
- आदेश की अंतिम समयसीमा अगस्त 1, 2025 तय की गई है, ताकि उत्पाद समय पर अनुमोदन पा सकें।
यह कदम भारत के ऊर्जा ढांचे को भविष्य के साइबर खतरों से सुरक्षित रखने की दिशा में एक ऐतिहासिक और निर्णायक पहल मानी जा रही है। इसके बाद, स्वास्थ्य, तेल-क्षेत्र और हवाई अड्डों जैसे अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्रों में भी इसी तरह की रणनीति अपनाने की संभावना प्रबल हो गई है।