उपराष्ट्रपति के इस्तीफे के बाद चुनाव की प्रक्रिया पर आयोग की नजरें, मानसून सत्र तक नया चेयरपर्सन नहीं

भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के अचानक दिए गए इस्तीफे के बाद राजनीतिक और संवैधानिक हलकों में हलचल मच गई है। गृह मंत्रालय (MHA) द्वारा मंगलवार को उनका इस्तीफा आधिकारिक तौर पर अधिसूचित किए जाने के बाद, अब गेंद निर्वाचन आयोग (EC) के पाले में है। हालांकि अभी तक इस विषय पर आयोग की कोई औपचारिक बैठक नहीं हुई है, लेकिन सूत्रों के अनुसार, जैसे ही MHA से आधिकारिक सूचना आयोग को मिलती है, चुनाव प्रक्रिया की तैयारी शुरू कर दी जाएगी।
संवैधानिक प्रक्रिया और चुनाव की समयसीमा
राष्ट्रपति चुनावों के विपरीत, उपराष्ट्रपति पद के लिए संविधान में कोई निश्चित समयसीमा नहीं निर्धारित की गई है। फिर भी, Presidential and Vice-Presidential Elections Act के अनुसार, एक बार चुनाव कार्यक्रम अधिसूचित हो जाने पर निर्वाचन आयोग को 30 से 32 दिनों के भीतर पूरी प्रक्रिया संपन्न करनी होती है। इसमें नामांकन दाखिल करने के लिए 14 दिन, जांच के लिए एक दिन, नाम वापसी के लिए दो दिन और मतदान कम से कम 15 दिन बाद अनिवार्य होता है।
इसके अलावा, चुनाव कार्यक्रम अधिसूचना से पहले निर्वाचन आयोग आम तौर पर दो से तीन सप्ताह का समय लेता है ताकि वह आवश्यक तैयारियां — जैसे कि निर्वाचक मंडल की सूची अपडेट करना (जिसमें लोकसभा और राज्यसभा के सभी सदस्य शामिल होते हैं), बैलेट पेपर छापना और भाषा स्वीकृति — पूरी कर सके।
मानसून सत्र से पहले नए उपराष्ट्रपति की संभावना क्षीण
इस समय मानसून सत्र 12 अगस्त तक जारी है, और सूत्रों के अनुसार, उपराष्ट्रपति चुनाव की संपूर्ण प्रक्रिया उससे पहले पूरी होना संभव नहीं दिखती। इस कारण राज्यसभा को नया सभापति अब शीतकालीन सत्र (नवंबर-दिसंबर) में ही मिल पाएगा। वर्तमान में राज्यसभा की अध्यक्षता उपसभापति हरिवंश कर रहे हैं।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- भारत के उपराष्ट्रपति राज्यसभा के पदेन सभापति (Chairperson) होते हैं।
- उपराष्ट्रपति का निर्वाचन केवल सांसदों (लोकसभा और राज्यसभा) द्वारा किया जाता है — इसे निर्वाचक मंडल कहा जाता है।
- राष्ट्रपति चुनाव की तरह, उपराष्ट्रपति चुनाव में भी गोपनीय मतदान होता है, लेकिन विधानसभाएं इस प्रक्रिया में शामिल नहीं होतीं।
- चुनाव प्रक्रिया Presidential and Vice-Presidential Elections Act, 1952 और Rules, 1974 द्वारा संचालित होती है।
इस्तीफे के कारण और आगे की राह
जगदीप धनखड़ ने अपने पांच वर्षीय कार्यकाल के लगभग दो वर्ष पहले ही “स्वास्थ्य कारणों” से इस्तीफा दे दिया, जिसकी पुष्टि गृह सचिव गोविंद मोहन द्वारा हस्ताक्षरित गजट अधिसूचना के जरिए की गई। अब देश की निगाहें निर्वाचन आयोग की आगामी घोषणा पर टिकी हैं, जो नए उपराष्ट्रपति के निर्वाचन की दिशा तय करेगी।
ऐसे में जब देश में राजनीतिक और विधायी गतिशीलता लगातार बदल रही है, एक नए उपराष्ट्रपति का चुनाव केवल संवैधानिक आवश्यकता नहीं बल्कि संसदीय व्यवस्था के संतुलन के लिए भी अनिवार्य बन गया है।