उत्तराखंड भू-तापीय नीति 2025: हरित ऊर्जा की ओर राज्य का निर्णायक कदम

उत्तराखंड राज्य मंत्रिमंडल ने 2025 की भू-तापीय (Geothermal) ऊर्जा नीति को मंजूरी दे दी है, जिसका उद्देश्य पर्यावरणीय रूप से अनुकूल और आर्थिक रूप से व्यवहार्य भू-तापीय संसाधनों की खोज व विकास को बढ़ावा देना है। यह नीति राज्य में स्वच्छ ऊर्जा उत्पादन के नए मार्ग खोलेगी और दीर्घकालिक ऊर्जा सुरक्षा को सुदृढ़ करेगी।
नीति के मुख्य उद्देश्य
उत्तराखंड भू-तापीय नीति 2025 का उद्देश्य राज्य के भीतर भू-तापीय स्थलों की पहचान करना और उन्हें निम्नलिखित प्रयोजनों के लिए उपयोग में लाना है:
- विद्युत उत्पादन
- ताप एवं शीतलन प्रणाली
- जल शुद्धिकरण
- सामुदायिक विकास
यह नीति ऊर्जा विभाग, उत्तराखंड अक्षय ऊर्जा विकास अभिकरण (UREDA) और उत्तराखंड जल विद्युत निगम लिमिटेड (UJVNL) द्वारा मिलकर लागू की जाएगी।
भू-तापीय ऊर्जा की वैज्ञानिक पृष्ठभूमि
हिमालय क्षेत्र में भू-तापीय ऊर्जा के स्रोत मुख्यतः मेन सेंट्रल थ्रस्ट (Main Central Thrust) नामक भूगर्भीय भ्रंश रेखा पर स्थित हैं, जहां भारतीय प्लेट यूरेशियन प्लेट से टकराती है। यहाँ की चट्टानों से निकलने वाली आंतरिक ऊष्मा के कारण जल गर्म होकर सतह पर गर्म जलस्रोतों (Hot Springs) के रूप में उभरता है।
उदाहरण: गौरीकुंड (उत्तराखंड), मणिकरण (हिमाचल प्रदेश)
परियोजना आवंटन एवं अवधि
- परियोजनाएं अधिकतम 30 वर्षों के लिए आवंटित की जाएंगी।
- सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रमों (PSUs) या निजी डेवलपर्स को प्रतिस्पर्धात्मक निविदा (competitive bidding) अथवा अन्य विधियों के माध्यम से आवंटित किया जाएगा।
भारत में भू-तापीय ऊर्जा की स्थिति
- स्थलों की संख्या: 381 (भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण के अनुसार)
- संभावित क्षमता: 10,600 मेगावाट (1 करोड़ घरों को ऊर्जा दे सकता है)
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प्रमुख परियोजनाएं:
- मणुगुरु, तेलंगाना (20 किलोवाट पायलट प्लांट)
- पूगा घाटी, लद्दाख (ONGC का 1 मेगावाट प्लांट)
- अंतरराष्ट्रीय सहयोग: आइसलैंड (2007), सऊदी अरब (2019), अमेरिका के साथ RETAP (2023)
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- भू-तापीय ऊर्जा: पृथ्वी के भीतर रेडियोधर्मी क्षय से उत्पन्न ऊष्मा, जो अक्षय स्रोत है।
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गैस उत्सर्जक संरचनाएं:
- गाइज़र: गरम पानी और भाप का विस्फोट (उदा: येलोस्टोन नेशनल पार्क, अमेरिका)
- फ्यूमरोले: पृथ्वी की सतह से निकलती भाप व गैसें (उदा: बैरन द्वीप, भारत)
- मडपॉट: मिट्टी व क्ले से बने गरम कीचड़ के बुलबुले (उदा: येलोस्टोन पार्क)
निष्कर्ष
उत्तराखंड की यह पहल राज्य को न केवल हरित ऊर्जा के क्षेत्र में अग्रणी बनाएगी, बल्कि रोजगार सृजन, पर्यटन और विज्ञान-आधारित विकास को भी बल देगी। भू-तापीय ऊर्जा के माध्यम से राज्य ऊर्जा आत्मनिर्भरता की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठा रहा है, जो आने वाले वर्षों में पर्यावरणीय स्थिरता और आर्थिक समृद्धि का आधार बन सकता है।