इसरो का तीसरा प्रक्षेपण स्थल: 2029 तक तैयार होगा नेक्स्ट-जनरेशन रॉकेट लॉन्च पैड

भारत की अंतरिक्ष क्षमता में बड़ा इज़ाफा होने वाला है, क्योंकि श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र में इसरो (ISRO) का तीसरा उपग्रह प्रक्षेपण स्थल (Third Launch Pad – TLP) तेजी से विकसित हो रहा है। यह नया लॉन्च पैड भारत के नेक्स्ट जनरेशन लॉन्च व्हीकल (NGLV) और एलवीएम-3 (LVM3) जैसे भारी रॉकेटों को प्रक्षेपित करने में सक्षम होगा।

परियोजना की प्रगति और समयसीमा

  • मार्च 2025 में परियोजना को वित्तीय मंजूरी मिली।
  • मई 2025 तक भू-तकनीकी जांच और स्थल का टोपोग्राफिक सर्वे पूरा कर लिया गया।
  • वर्तमान में सड़क और विद्युत कार्यों के लिए निविदाएं मूल्यांकन चरण में हैं।
  • मुख्य लक्ष्य:

    • मई 2028: सिविल कार्यों की समाप्ति
    • जुलाई 2028: द्रव प्रणालियों और प्रोपेलेंट भंडारण की स्थापना
    • सितंबर 2028: लॉन्च पैड सुविधाओं की स्थापना
    • मार्च 2029: लॉन्च पैड का कमीशनिंग

तकनीकी क्षमता और महत्व

  • TLP भारत को निचली पृथ्वी कक्षा (LEO) में 30,000 टन तक के पेलोड भेजने की क्षमता देगा, जो मौजूदा लॉन्च पैड से काफी अधिक है।
  • 90 मीटर ऊंचे NGLV के प्रक्षेपण के लिए विशेष रूप से डिज़ाइन किया गया।
  • मौजूदा दूसरे लॉन्च पैड के स्टैंडबाय के रूप में भी कार्य करेगा।

साझेदारी और स्वदेशीकरण

  • इसरो भारतीय निजी उद्योग और MSMEs के साथ साझेदारी करेगा।
  • निविदा प्रक्रिया के माध्यम से चयन, ताकि मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य पूरे हों।

रणनीतिक और भविष्य की योजनाएं

  • लॉन्च आवृत्ति और बैकअप क्षमता बढ़ेगी।
  • मानव अंतरिक्ष मिशन और अंतरग्रहीय अन्वेषण के लिए महत्वपूर्ण।
  • 2035 तक भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन और 2040 तक मानवयुक्त चंद्रमा मिशन की तैयारी में सहायक।

मौजूदा लॉन्च इंफ्रास्ट्रक्चर

  • पहला लॉन्च पैड: PSLV, SSLV और GSLV Mk-II के लिए; 30+ वर्षों से सक्रिय।
  • दूसरा लॉन्च पैड: SSLV से लेकर LVM3 तक सभी रॉकेटों के लिए; 20+ वर्षों से सक्रिय।
  • TLP इन दोनों की क्षमता को पूरक करेगा और तकनीकी निर्भरता घटाएगा।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र, श्रीहरिकोटा, भारत का एकमात्र सक्रिय अंतरिक्ष प्रक्षेपण स्थल है।
  • LVM3 को चंद्रयान-3 और गगनयान मिशन जैसे अभियानों में उपयोग किया गया है।
  • NGLV को पुन: प्रयोज्य और लागत-प्रभावी रॉकेट के रूप में विकसित किया जा रहा है।
  • विश्व के कई बड़े अंतरिक्ष केंद्र, जैसे NASA का केनेडी स्पेस सेंटर और रूस का बाइकोनूर कॉस्मोड्रोम, एक से अधिक लॉन्च पैड का उपयोग करते हैं ताकि मिशन देरी न हो।

यह तीसरा लॉन्च पैड भारत को अंतरिक्ष तकनीक और व्यावसायिक प्रक्षेपण सेवाओं में और अधिक प्रतिस्पर्धी बनाएगा, साथ ही दीर्घकालिक अंतरिक्ष कार्यक्रमों की नींव मजबूत करेगा।

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