इज़राइल की अनदेखी और सीरिया से नजदीकी: ट्रंप की मध्य पूर्व नीति में बड़े बदलाव क्यूँ आ रहे है?

हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सऊदी अरब के रियाद में सीरिया के नए राष्ट्रपति अहमद अल-शराआ से मुलाकात की, जो पिछले 25 वर्षों में अमेरिका और सीरिया के नेताओं के बीच पहली उच्च-स्तरीय बैठक थी। इस बैठक में ट्रंप ने सीरिया पर लगे लंबे समय से चले आ रहे अमेरिकी प्रतिबंधों को हटाने की घोषणा की, जिससे सीरिया की अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने और अंतरराष्ट्रीय समुदाय में उसकी पुनः भागीदारी का मार्ग प्रशस्त हुआ।
अल-शराआ, जो पहले अल-कायदा से जुड़े रहे हैं और जिन्होंने 2024 में बशर अल-असद की सरकार को गिराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी, अब एक समावेशी शासन और आतंकवाद के खिलाफ सहयोग का वादा कर रहे हैं। ट्रंप ने उन्हें “ताकतवर और प्रभावशाली नेता” बताते हुए उनकी प्रशंसा की और उन्हें अब्राहम समझौते में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित किया।
इज़राइल की अनदेखी और बढ़ती चिंता
ट्रंप की इस मध्य पूर्व यात्रा में उन्होंने इज़राइल का दौरा नहीं किया, जिससे इज़राइली सरकार और जनता में चिंता की लहर दौड़ गई। ट्रंप ने कतर और सऊदी अरब के साथ बड़े निवेश और रक्षा समझौते किए, जबकि इज़राइल को इस प्रक्रिया से बाहर रखा गया। इसके अलावा, ट्रंप ने यमन के हूती विद्रोहियों पर अमेरिकी बमबारी को समाप्त करने और हमास के साथ सीधे बातचीत करके अमेरिकी बंधकों की रिहाई सुनिश्चित करने की कोशिश की, जिससे इज़राइल को दरकिनार महसूस हुआ।
इज़राइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू, जो भ्रष्टाचार के आरोपों और आंतरिक राजनीतिक दबाव का सामना कर रहे हैं, ने ट्रंप की इन कार्रवाइयों पर सार्वजनिक रूप से कोई प्रतिक्रिया नहीं दी, लेकिन इज़राइली अधिकारियों ने निजी तौर पर अपनी चिंता व्यक्त की है।
अब्राहम समझौते का विस्तार और क्षेत्रीय पुनर्संरेखण
ट्रंप ने सीरिया के राष्ट्रपति अल-शराआ से अब्राहम समझौते में शामिल होने और इज़राइल के साथ संबंध सामान्य करने का आग्रह किया। अल-शराआ ने इस पर सैद्धांतिक सहमति जताई, लेकिन उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि सीरिया को पहले आंतरिक स्थिरता और आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई पर ध्यान केंद्रित करना होगा। यदि यह समझौता सफल होता है, तो यह मध्य पूर्व में एक बड़ा भू-राजनीतिक बदलाव होगा, विशेष रूप से एक ऐसे देश के लिए जो लंबे समय से इज़राइल का विरोधी रहा है।
भारत के लिए संभावित प्रभाव
भारत मध्य पूर्व के साथ मजबूत आर्थिक और रणनीतिक संबंध रखता है लेकिन ट्रंप की इस नई नीति से प्रभावित हो सकता है। यदि सीरिया और इज़राइल के बीच संबंध सामान्य होते हैं, तो यह क्षेत्रीय स्थिरता और आतंकवाद के खिलाफ सहयोग को बढ़ावा दे सकता है, जिससे भारत को भी लाभ हो सकता है। हालांकि, ट्रंप की इज़राइल के प्रति अनदेखी और हमास के साथ बातचीत की नीति से भारत को अपनी मध्य पूर्व नीति पर पुनर्विचार करने की आवश्यकता हो सकती है।