आर्कटिक की बदलती सर्दियाँ: जलवायु परिवर्तन से स्वालबार्ड में दिख रहे गंभीर प्रभाव

फरवरी 2025 में स्वालबार्ड (Svalbard) क्षेत्र में रिकॉर्ड स्तर पर गर्म सर्दियाँ दर्ज की गईं, जो आर्कटिक क्षेत्र में मौसमी बदलाव की ओर संकेत करती हैं। Nature Communications में प्रकाशित एक नई अध्ययन रिपोर्ट के अनुसार, यह परिवर्तन मानव जनित जलवायु परिवर्तन का परिणाम है और आर्कटिक सर्दियों के व्यवहार में मूलभूत बदलाव ला रहा है।

अध्ययन की प्रमुख खोजें

  • फरवरी 2025 में न्य-ऑलेसंड (Ny-Ålesund) में औसत तापमान -3.3°C दर्ज हुआ — यह ऐतिहासिक औसत से काफी अधिक है।
  • महीने के 14 दिनों में तापमान 0°C से ऊपर रहा और लगातार वर्षा और बर्फबारी का अभाव देखा गया।
  • इस गर्मी ने बर्फ और बर्फ की परतों को पिघला दिया, जिससे सतह पर असामान्य जलाशय बन गए।

क्यों बढ़ रहा है सर्दियों में तापमान?

  • समुद्री बर्फ का पिघलना, जिससे गर्मी जमा होती है और सर्दियों में वापस वायुमंडल में जाती है।
  • बढ़े हुए बादल, जो लंबी तरंगों के विकिरण को फँसा लेते हैं और सतह का तापमान बढ़ा देते हैं।
  • स्वालबार्ड वैश्विक औसत से छह से सात गुना अधिक गति से गर्म हो रहा है।

प्रभाव: पारिस्थितिकी और पारिस्थितिकी तंत्र पर खतरा

  • पिघले पानी के फिर से जमने से बनी बर्फ की मोटी परतें, मिट्टी और वायुमंडल के बीच गैसों के आदान-प्रदान को रोकती हैं
  • इससे ऑक्सीजन की कमी, सूक्ष्मजीवों की मृत्यु, और मीथेन उत्सर्जन बढ़ सकता है।
  • घास न मिलने से हिरन जैसे शाकाहारी जीवों की जीविका और जीवन पर असर पड़ रहा है।
  • बर्फ की अस्थिरता से हिमस्खलन (avalanche) का खतरा बढ़ा है, जिससे स्थानीय समुदायों और वैज्ञानिक अनुसंधान केंद्रों को खतरा है।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • स्वालबार्ड आर्कटिक महासागर में नॉर्वे का एक द्वीपसमूह है, जो उत्तरी ध्रुव से लगभग 1,200 किमी दूर है।
  • Ny-Ålesund आर्कटिक अनुसंधान के लिए एक प्रमुख वैश्विक केंद्र रहा है।
  • परमाफ्रॉस्ट: ऐसा ज़मीन का भाग जो लगातार दो वर्षों से अधिक समय तक पूरी तरह जमी रहती है।

निष्कर्ष

“यह सिर्फ थोड़ी गर्मी नहीं है,” अध्ययनकर्ता जेम्स ब्रैडली कहते हैं, “यह सर्दियों की पूरी प्रकृति को बदल देने वाला परिवर्तन है।” अब जब स्वालबार्ड जैसे आर्कटिक क्षेत्र में बर्फ के बीच हरी घास और जलाशय नजर आने लगे हैं, तो यह साफ है कि हम एक नए आर्कटिक की ओर बढ़ रहे हैं।
यह परिवर्तन न केवल वन्यजीवन, बल्कि स्थानीय समुदायों, अनुसंधान गतिविधियों और वैश्विक जलवायु संतुलन के लिए भी गंभीर चेतावनी है। यह समय है कि विश्व इस मौसमी परिवर्तन को अनदेखा करने के बजाय गंभीर नीति और कार्रवाई के रूप में ले।

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