आरबीआई ने कांटेक्ट-लेस ट्रांजेक्शन की सीमा को बढ़ाकर 5000 रुपये किया

आरबीआई ने कांटेक्ट-लेस ट्रांजेक्शन की सीमा को बढ़ाकर 5000 रुपये किया

4 दिसम्बर, 2020 को भारतीय रिज़र्व बैंक की बैठक आयोजित की गयी, इस बैठक के दौरान देश में आरबीआई ने कांटेक्ट-लेस ट्रांजेक्शन की सीमा को बढ़ाकर 5000 रुपये किया। पहले यह सीमा 2000 रुपये थी। यह बढ़ी हुई सीमा 1 जनवरी, 2021 से लागू होगी।

कांटेक्ट-लेस ट्रांजेक्शन क्या है?

कांटेक्ट-लेस ट्रांजेक्शन भुगतान करने की एक नई प्रणाली है, इस प्रणाली के तहत भुगतान करने वाले व्यक्ति को पिन डालने की ज़रुरत नही पड़ती। यह प्रणाली भुगतान के लिए NFC (Near Field Communication) का उपयोग करती है। इसके लिए केवल कार्ड स्वाइप मशीन पर कार्ड को रखना होता है और भुगतान प्रक्रिया अपने आप पूरी हो जाती है। अब NFC-इनेबल्ड कार्ड से भुगतान करने के लिए पिन डालने की आवश्यकता नहीं होती। यूजर्स इस प्रणाली से भुगतान के लिए अपने कार्ड को इनेबल या डिसेबल कर सकते हैं।

भारतीय रिज़र्व बैंक

भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 के प्रावधानों के अनुसार 1 अप्रैल 1935 को भारतीय रिज़र्व बैंक की स्थापना हुई थी। शुरू में रिज़र्व बैंक का केंद्रीय कार्यालय कोलकाता में स्थापित किया गया था लेकिन 1937 में स्थायी रूप से इसे मुंबई में हस्तांतरित कर दिया गया था। केंद्रीय कार्यालय वह स्थान है, जहां गवर्नर बैठता है तथा जहां नीतियां तैयार की जाती हैं। 1949 मे राष्ट्रीयकरण के बाद से रिज़र्व बैंक पूरी तरह से भारत सरकार के स्वामित्व में है।

Originally written on December 4, 2020 and last modified on December 4, 2020.

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