आयकर विधेयक 2025: डिजिटल तलाशी प्रावधानों पर गोपनीयता की चिंताओं के बावजूद संसदीय समिति ने दी मंजूरी

हालांकि आयकर विधेयक 2025 में डिजिटल तलाशी और जब्ती से जुड़े प्रावधानों पर गोपनीयता उल्लंघन की चिंताएँ उठाई गई थीं, परंतु संसद की चयन समिति ने इन प्रावधानों को अधिकांशतः यथावत रखने की सिफारिश की है। भाजपा सांसद बैजयंत पांडा की अध्यक्षता वाली समिति ने सोमवार को लोकसभा में 4,575 पृष्ठों की रिपोर्ट प्रस्तुत की।
डिजिटल तलाशी: आलोचना और मंत्रालय का पक्ष
विधेयक में प्रावधान है कि कर अधिकारी सोशल मीडिया, ईमेल और एन्क्रिप्टेड चैट जैसे प्लेटफार्मों में उपयोगकर्ता द्वारा लगाए गए पासवर्ड को “ओवरराइड” कर सकते हैं। इसके तहत “वर्चुअल डिजिटल स्पेस” को परिभाषित किया गया है जिसमें डिजिटल दुनिया के सभी इंटरएक्शन और गतिविधियाँ शामिल हैं।
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चिंताएँ:
- व्यक्तिगत डेटा के प्रयोग के लिए स्पष्ट दिशा-निर्देशों की कमी।
- तलाशी के दौरान परिसर में उपस्थित किसी भी व्यक्ति को शामिल करने का अधिकार।
- विशेषाधिकार प्राप्त संचार की सुरक्षा जैसे पति-पत्नी, डॉक्टर-रोगी, वकील-मुवक्किल के बीच।
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वित्त मंत्रालय का उत्तर:
- समय के अनुरूप संशोधन किए गए हैं।
- परिसर में मौजूद व्यक्तियों के बयान जांच में महत्वपूर्ण हो सकते हैं।
- एन्क्रिप्टेड प्लेटफॉर्म में वित्तीय जानकारी छिपाई जा सकती है, इसलिए पासवर्ड तक पहुँच आवश्यक।
मंत्रालयों की प्रतिक्रियाएँ
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इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्रालय (MeitY):
- इस कदम को डिजिटल युग की वास्तविकताओं के अनुकूल बताया।
- कहा कि इनकम टैक्स विभाग डेटा फिड्यूशियरी के रूप में कार्य करेगा और DPDP अधिनियम के तहत सभी जिम्मेदारियाँ लागू होंगी।
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कानून और न्याय मंत्रालय:
- गोपनीयता का अधिकार पूर्ण नहीं है और इसे राष्ट्रहित, अपराध रोकथाम, नैतिकता आदि आधारों पर सीमित किया जा सकता है।
अन्य प्रमुख सिफारिशें
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धार्मिक-सह-धार्मिक ट्रस्टों को राहत:
- वर्तमान विधेयक में अज्ञात दान पर 30% कर प्रस्तावित है, जिसमें केवल पूरी तरह धार्मिक ट्रस्टों को छूट है।
- समिति ने ‘धार्मिक-सह-धार्मिक’ ट्रस्टों को भी छूट देने की सिफारिश की है जैसा कि पूर्ववर्ती धारा 115BBC में था।
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टीडीएस रिफंड और ITR फाइलिंग:
- वर्तमान विधेयक में रिफंड के लिए समय पर ITR फाइल करना अनिवार्य है।
- समिति ने छोटे करदाताओं के लिए इस बाध्यता को हटाने की सिफारिश की है, जिससे उन्हें रिफंड पाने में परेशानी न हो।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- आयकर विधेयक 2025, आयकर अधिनियम 1961 का प्रतिस्थापन है।
- डिजिटल तलाशी में “वर्चुअल डिजिटल स्पेस” की परिभाषा में सोशल मीडिया और एन्क्रिप्टेड प्लेटफॉर्म शामिल हैं।
- समिति ने कुल 32 सिफारिशें की हैं।
- DPDP अधिनियम अभी लागू नहीं हुआ है लेकिन प्रस्तावित गोपनीयता दिशानिर्देशों का हवाला दिया गया है।
निष्कर्ष
आयकर विधेयक 2025 भारत के कर ढांचे में एक बड़ा बदलाव है। इसमें डिजिटल युग की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए तलाशी और जब्ती के अधिकारों को विस्तार दिया गया है। हालांकि इससे गोपनीयता और नागरिक अधिकारों पर नई बहस शुरू हो गई है, पर समिति ने इन्हें “वाजिब और आवश्यक” बताया है। भविष्य में इस कानून के प्रभाव और न्यायिक परीक्षण महत्वपूर्ण होंगे।