आपदा प्रबंधन (संशोधन) अधिनियम, 2025 लागू: राज्यों को अधिक अधिकार, नगरीय आपदा प्राधिकरण की स्थापना

भारत सरकार ने आपदा प्रबंधन (संशोधन) अधिनियम, 2025 को संसद से पारित कर 29 मार्च 2025 को राष्ट्रपति की स्वीकृति प्राप्त की। यह अधिनियम 9 अप्रैल 2025 से प्रभावी हो गया है। इसका उद्देश्य भारत में आपदा प्रबंधन को अधिक पारदर्शी, उत्तरदायी, कुशल और सहयोगपूर्ण बनाना है।
अधिनियम की प्रमुख विशेषताएं
- भूमिकाओं में स्पष्टता और एकरूपता: राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय प्राधिकरणों तथा समितियों की भूमिका को स्पष्ट और परिभाषित किया गया है।
- पूर्व-प्रचलित निकायों को वैधानिक दर्जा: राष्ट्रीय संकट प्रबंधन समिति और उच्च स्तरीय समिति को अधिनियम के अंतर्गत कानूनी मान्यता दी गई है।
- योजनाओं की जिम्मेदारी बदली: अब राष्ट्रीय और राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण स्वयं आपदा योजनाएं तैयार करेंगे, न कि कार्यकारी समितियां।
- आपदा डेटाबेस की स्थापना: राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर आपदा से संबंधित आंकड़ों का संगठित डेटाबेस बनाया जाएगा।
- नगरीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण: राज्य की राजधानियों और नगर निगम वाले बड़े शहरों में एक पृथक प्राधिकरण की स्थापना का प्रावधान।
- राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (SDRF) की स्थापना की अनुमति राज्य सरकारों को दी गई।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- भारत में राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF) की 16 परिचालन बटालियन हैं, जिनकी स्वीकृत कुल क्षमता 18,581 कर्मियों की है।
- प्राथमिक उत्तरदायित्व आपदा की स्थिति में संबंधित राज्य सरकार का होता है, केंद्र सरकार केवल सहायता प्रदान करती है।
- SDRF सम्मेलन NDRF द्वारा हर वर्ष आयोजित किया जाता है, जिसमें राज्य राहत आयुक्त भी शामिल होते हैं।
- घोषित प्रशिक्षण और मॉक ड्रिल: NDRF द्वारा SDRF के साथ मिलकर नियमित अभ्यास किए जाते हैं।
- NDRF अकादमी, नागपुर: SDRF और अन्य हितधारकों को प्रशिक्षण प्रदान करने हेतु एक प्रीमियम संस्थान की स्थापना की गई है।
- अप्रैल 2025 में राष्ट्रीय क्षमता निर्माण प्रतियोगिता आयोजित की गई, जिसमें 30 टीमों ने भाग लिया।
समन्वय और सहयोग को बढ़ावा
- राज्य-स्तरीय समन्वय बैठकों में NDRF की भागीदारी सुनिश्चित की गई है।
- SDRF के साथ संयुक्त अभ्यास और समुदाय जागरूकता कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं।
निष्कर्ष
आपदा प्रबंधन (संशोधन) अधिनियम, 2025 न केवल संगठनात्मक और प्रशासनिक सुधार लाता है, बल्कि यह राज्यों को और अधिक सशक्त बनाता है। नगरीय और ग्रामीण क्षेत्रों के बीच एक समन्वित प्रणाली का निर्माण, डेटा पर आधारित निर्णय प्रणाली और प्रशिक्षण के अवसरों के माध्यम से भारत का आपदा प्रतिक्रिया ढांचा अब और अधिक मजबूत, जिम्मेदार और आधुनिक हो रहा है।