आतंकवाद के खिलाफ भारत की वैश्विक मुहिम: संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के सदस्यों तक बहुपक्षीय पहुंच

भारत ने पाकिस्तान से उत्पन्न आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक समर्थन जुटाने के लिए एक व्यापक और रणनीतिक कूटनीतिक अभियान शुरू किया है। यह मुहिम न केवल प्रमुख शक्तियों और पश्चिम एशियाई देशों तक सीमित है, बल्कि उन देशों को भी लक्षित कर रही है जो अगले वर्ष से संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) के सदस्य होंगे।
UNSC के वर्तमान और भावी सदस्यों तक पहुंच
जनवरी 2026 से दिसंबर 2027 तक के लिए UNSC में शामिल होने वाले देश — लातविया, कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य, बहरीन, लाइबेरिया और कोलंबिया — भारत के इस प्रयास का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। इसके अलावा, पाकिस्तान भी 2025-2026 की अवधि के लिए एक अस्थायी सदस्य होगा। ऐसे में भारत चाहता है कि ये देश पाकिस्तान के आतंकवाद समर्थक रवैये से भलीभांति अवगत हों, ताकि UNSC में जब भारत और पाकिस्तान के बीच कोई मुद्दा उठे, तो भारत का पक्ष मजबूत रहे।
रणनीतिक दौरे और संवाद
भारतीय राजनीतिक प्रतिनिधिमंडल उन सभी देशों का दौरा करेंगे जो वर्तमान में UNSC के स्थायी सदस्य हैं — अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस और रूस (चीन को छोड़कर, जो पाकिस्तान का करीबी सहयोगी है)। चीन को इस दौरे से बाहर रखने का कारण यह है कि उसने मई 7 से 10 के बीच पाकिस्तान की सैन्य प्रतिक्रिया में प्रयोग हुए हथियारों और रक्षा उपकरणों की आपूर्ति की थी।
साथ ही, वे अस्थायी सदस्य देशों से भी संपर्क करेंगे जिनका कार्यकाल इस वर्ष के अंत में समाप्त हो रहा है — अल्जीरिया, गुयाना, कोरिया गणराज्य, सिएरा लियोन और स्लोवेनिया — और उन देशों से जो जनवरी 2026 से सदस्य बनेंगे।
पश्चिम एशिया और दक्षिण-पूर्व एशिया में विशेष प्रयास
भारत, इस्लामी सहयोग संगठन (OIC) के प्रभावशाली सदस्य देशों — सऊदी अरब, यूएई, कतर, मिस्र, कुवैत, इंडोनेशिया और मलेशिया — तक भी पहुंच बना रहा है। ये देश कभी पाकिस्तान के प्रबल समर्थक माने जाते थे, लेकिन अब भारत के साथ उनके संबंध अधिक व्यावहारिक और सकारात्मक हो गए हैं।
अन्य वैश्विक साझेदारों से संवाद
भारत, G7 के अन्य सदस्यों — जर्मनी, इटली, जापान और यूरोपीय संघ — से भी संपर्क करेगा (कनाडा को छोड़कर, जिससे संबंध अभी पुनर्निर्माण की प्रक्रिया में हैं)। इसके अलावा, ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका जैसे BRICS और G20 सदस्य देशों को भी इस कूटनीतिक प्रयास में शामिल किया गया है। अफ्रीकी संघ के मुख्यालय की मेजबानी करने वाला इथियोपिया और दक्षिण-पूर्व एशिया के सूचना केंद्र में स्थित सिंगापुर भी दौरे में शामिल हैं।
उच्चस्तरीय तैयारी और संवाद
विदेश सचिव विक्रम मिस्री और विदेश मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी इन प्रतिनिधिमंडलों को आवश्यक जानकारी और रणनीति से अवगत कराएंगे। ये दल संबंधित देशों के सांसदों, राजनीतिक दलों के नेताओं, थिंक-टैंकों, मीडिया, रणनीतिक समुदाय और नागरिक समाज के साथ संवाद करेंगे।
कुल मिलाकर, सात प्रतिनिधिमंडलों में 51 राजनीतिक नेता शामिल हैं, जो 32 देशों और यूरोपीय संघ तक भारत की बात पहुंचाएंगे।