आगरा की प्रेरणादायक यात्रा: कबाड़ के ढेर से हरित और सतत शहर तक का सफर

उत्तर प्रदेश का ऐतिहासिक शहर आगरा अब स्वच्छता और सतत विकास का भी प्रतीक बन गया है। स्वच्छ भारत मिशन (शहरी) 2.0 के अंतर्गत, आगरा नगर निगम ने 3R सिद्धांत — Reduce, Reuse, Recycle — को अपनाते हुए कचरा-मुक्त शहर के निर्माण की दिशा में ऐतिहासिक सफलता प्राप्त की है। यह केवल एक तकनीकी उपलब्धि नहीं, बल्कि पर्यावरण संरक्षण, भूमि पुनरुद्धार और जन-जागरूकता का उदाहरण बन चुका है।

कुबेरपुर डंपसाइट: समस्या से समाधान तक

2007 में आगरा का कुबेरपुर क्षेत्र एक पारंपरिक लैंडफिल स्थल के रूप में कार्य करता था, जहाँ नगर निगम प्रतिदिन हजारों टन ठोस कचरा डंप करता था। वर्षों तक यह स्थल शहर की सेवा करता रहा, लेकिन धीरे-धीरे यह खुद एक बड़ी पर्यावरणीय समस्या बन गया। 2019 में प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ की प्रेरणा से, आगरा नगर निगम ने इस समस्या के समाधान के लिए ठोस कदम उठाए।
SPAAK सुपर इन्फ्रा प्राइवेट लिमिटेड के सहयोग से बायोरिमेडिएशन और बायोमाइनिंग तकनीकों द्वारा पुराने कचरे को हटाने की प्रक्रिया शुरू की गई। इसके साथ ही 300 TPD क्षमता वाला वेस्ट-टू-कम्पोस्ट संयंत्र भी स्थापित किया गया, जिसे 2023 में 500 TPD तक विस्तारित किया गया।

एकीकृत अपशिष्ट प्रबंधन शहर का विकास

2023 से नगर निगम ने डंपसाइट को पूरी तरह से मुक्त कर एक Integrated Waste Management City में बदलने का संकल्प लिया। इसके तहत शहरभर में चार मटेरियल रिकवरी फैसिलिटीज (MRFs) स्थापित की गईं, जिनकी संयुक्त क्षमता 405 TPD है। 100% स्रोत स्तर पर कचरे का पृथक्करण और घर-घर संग्रहण अनिवार्य कर दिया गया।
दिसंबर 2024 तक लगभग 19 लाख मीट्रिक टन कचरा हटाकर 47 एकड़ भूमि को पुनः प्राप्त किया गया, जिस पर लगभग ₹320 करोड़ की लागत आई। इसमें से 10 एकड़ में मियावाकी पद्धति से हरियाली विकसित की गई, 5 एकड़ को सुरक्षित लैंडफिल में बदला गया, और शेष भूमि को पारिस्थितिक क्षेत्र में रूपांतरित किया गया। 10 एकड़ में शहरी वन के विकास का कार्य भी आरंभ हो चुका है।
जनवरी 2025 में एक 65 TPD क्षमता वाला MRF-कम-प्लास्टिक प्रोसेसिंग संयंत्र शुरू किया गया, जहाँ प्लास्टिक कचरे को रीसायकल कर किसानों के लिए सस्ते पाइप बनाए जा रहे हैं।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • मियावाकी पद्धति: जापानी वैज्ञानिक अकीरा मियावाकी द्वारा विकसित त्वरित और घनी वनस्पति लगाने की विधि।
  • बायोमाइनिंग: पुरानी डंपसाइट्स से कचरे को निकालकर रीसायकल करने की पर्यावरण-अनुकूल तकनीक।
  • MRF (Material Recovery Facility): पृथक किए गए कचरे से पुनः प्रयोग योग्य सामग्री को छांटने और संसाधित करने की इकाई।
  • स्वच्छ भारत मिशन (शहरी) 2.0: भारत सरकार की वह योजना जिसका उद्देश्य 100% कचरा प्रबंधन और शहरी स्वच्छता है।

आगरा की यह यात्रा न केवल एक स्थानीय पहल है, बल्कि पूरे देश के लिए एक प्रेरणास्रोत है। आज यह स्थल सिर्फ एक पुनर्निर्मित डंपसाइट नहीं, बल्कि शिक्षा और जागरूकता का केंद्र बन गया है, जहाँ छात्र, शोधकर्ता और नीति-निर्माता सतत समाधान विकसित करने की प्रेरणा प्राप्त करते हैं। इस नवाचारपूर्ण प्रयास ने आगरा को सतत शहरी विकास का राष्ट्रीय मॉडल बना दिया है।

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