असम सरकार का अहम फैसला: सीमावर्ती क्षेत्रों में रह रहे मूल निवासियों को अब मिलेगा हथियार रखने का लाइसेंस

असम सरकार का अहम फैसला: सीमावर्ती क्षेत्रों में रह रहे मूल निवासियों को अब मिलेगा हथियार रखने का लाइसेंस

असम सरकार ने एक ऐतिहासिक और संवेदनशील निर्णय लेते हुए सीमावर्ती, दूरवर्ती और ‘संवेदनशील’ घोषित किए गए क्षेत्रों में रहने वाले मूल निवासियों और स्वदेशी नागरिकों को हथियारों का लाइसेंस देने की योजना को मंजूरी दी है। इस फैसले का उद्देश्य इन समुदायों को आत्म-सुरक्षा का अधिकार प्रदान करना और बाहरी या आंतरिक खतरों के प्रति एक मजबूत निवारक प्रणाली विकसित करना है।

योजना का स्वरूप और उद्देश्य

मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने यह घोषणा एक कैबिनेट बैठक के बाद की। उन्होंने कहा कि यह निर्णय खास तौर पर उन जिलों — जैसे धुबरी, नागांव, मोरीगांव, बरपेटा, दक्षिण सालमारा और मानकाचर, गोलपारा — के लिए लिया गया है, जहां बांग्लादेश मूल के मुसलमान बहुसंख्यक हैं और स्वदेशी समुदाय अल्पसंख्यक स्थिति में है। इन क्षेत्रों में मूल निवासियों को अक्सर असुरक्षा का अनुभव होता है, विशेष रूप से बांग्लादेश की हालिया घटनाओं के संदर्भ में।
सरमा ने बताया कि यह मांग 1985 से चली आ रही है, लेकिन अब तक किसी सरकार ने इसपर कार्य नहीं किया था। उन्होंने यह भी जोड़ा कि अगर यह निर्णय पहले लिया गया होता, तो कई परिवार अपने गाँव छोड़कर नहीं जाते और अपनी ज़मीन नहीं बेचते।

कौन होंगे पात्र?

योजना के तहत केवल वही लोग हथियार लाइसेंस के लिए पात्र होंगे जो:

  • असम के मूल निवासी हों।
  • स्वदेशी समुदाय से संबंधित हों।
  • संवेदनशील, सीमावर्ती या दूरवर्ती क्षेत्रों में निवास कर रहे हों।

सरकार ऐसे लोगों को ‘भारतीय शस्त्र अधिनियम’ के तहत उदारता से लाइसेंस देगी। इसके लिए सरकारी विभाग संबंधित क्षेत्रों की पहचान करेगा और पात्र लोगों को आवेदन के लिए प्रेरित करेगा।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • यह योजना 1979-85 के असम आंदोलन के दौरान उठी मांग पर आधारित है।
  • सबसे अधिक संवेदनशील माने गए जिले हैं: धुबरी, बरपेटा, गोलपारा, नागांव, मोरीगांव और दक्षिण सालमारा।
  • हथियार लाइसेंस देने का निर्णय ‘भारतीय शस्त्र अधिनियम’ के तहत विशेष योजना के रूप में लागू किया जाएगा।
  • यह निर्णय अवैध बांग्लादेशी नागरिकों की निर्वासन प्रक्रिया के चलते उत्पन्न भय के परिप्रेक्ष्य में लिया गया है।
  • योजना की अधिसूचना 24 घंटे के भीतर जारी की जाएगी।

सामाजिक प्रभाव और संभावित परिणाम

मुख्यमंत्री सरमा ने कहा कि यह निर्णय असम के स्वदेशी लोगों की ‘जाति, माटी और भीटि’ की रक्षा की दिशा में बीजेपी की प्रतिबद्धता का हिस्सा है। उन्होंने इसे आत्मविश्वास और व्यक्तिगत सुरक्षा को सुदृढ़ करने वाला कदम बताया।
हालांकि यह निर्णय सुरक्षा की दृष्टि से महत्वपूर्ण माना जा रहा है, लेकिन सामाजिक समरसता और संवेदनशीलता को लेकर भी चर्चा का विषय बन सकता है। ऐसे में सरकार को यह सुनिश्चित करना होगा कि हथियार लाइसेंस का दुरुपयोग न हो और यह केवल आत्मरक्षा तक ही सीमित रहे।
इस ऐतिहासिक निर्णय से असम के सीमावर्ती क्षेत्रों में रहने वाले मूल निवासियों को न केवल संरक्षित महसूस होगा, बल्कि यह कदम एक लंबे समय से चली आ रही मांग को पूरा करने की दिशा में भी मील का पत्थर साबित होगा।

Originally written on June 11, 2025 and last modified on June 11, 2025.

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