असम में 2,573 गैंडों के सींगों का डीएनए विश्लेषण शुरू: राइनो संरक्षण के लिए वैज्ञानिक कदम

असम में चार वर्ष पहले नष्ट किए गए 2,479 गैंडे के सींगों से एकत्रित डीएनए नमूनों का अब वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (WII), देहरादून में जेनेटिक विश्लेषण शुरू किया गया है। यह प्रयास भारत में गैंडे संरक्षण की दिशा में एक बड़ी वैज्ञानिक पहल मानी जा रही है।

परियोजना की पृष्ठभूमि

  • कुल सींगों की संख्या: 2,623 (राज्य के विभिन्न ट्रेजरी में संरक्षित)
  • नष्ट किए गए सींग: 2,479 (22 सितंबर 2021 को बोकाख़ात में सार्वजनिक रूप से जलाए गए)
  • कानूनी मामलों में लंबित सींग: 50
  • नमूने एकत्र: 2,573 सींगों से वैज्ञानिक विश्लेषण हेतु

नष्ट किए जाने से पूर्व सभी सींगों का प्रोटोकॉल के तहत प्रमाणन, वर्गीकरण और नमूना संग्रह किया गया। अब इन नमूनों को Dehradun के WII लैब में भेजा गया है, जहाँ उनका विश्लेषण RhoDIS India Programme के तहत किया जाएगा।

RhoDIS India क्या है?

  • पूर्ण नाम: Rhino DNA Index System – India
  • शुरुआत: 2016
  • संस्थाएं: पर्यावरण मंत्रालय, गैंडे-बहुल राज्य, WII, WWF-India
  • उद्देश्य:

    • गैंडों की डीएनए प्रोफाइलिंग
    • वन्यजीव अपराधों की जांच में वैज्ञानिक सहायता
    • गैंडों के वैज्ञानिक प्रबंधन को सुदृढ़ बनाना

WII में यह अध्ययन डॉ. सम्राट मोंडल के नेतृत्व में किया जा रहा है, जिसमें डीएनए अनुक्रम (short tandem repeats) में वर्षों के दौरान आए बदलावों का भी अध्ययन किया जाएगा।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान: भारत में सबसे अधिक लायन-टेल्ड मैकाक और एक सींग वाले गैंडे की आबादी वाला क्षेत्र।
  • 22 सितंबर 2021: ‘गैंडों के लिए गौरव’ दिवस के अवसर पर सींगों का दहन किया गया था।
  • RhoDIS प्रणाली: पहली बार दक्षिण अफ्रीका में विकसित; अब भारत में अनुकूलित।
  • Short Tandem Repeats (STR): डीएनए का विशेष भाग जिससे व्यक्ति-विशिष्ट प्रोफाइल तैयार होती है।

समिति और प्रक्रिया

  • स्थान: कोहारा स्थित फॉरेस्ट कन्वेंशन सेंटर, काजीरंगा
  • अध्यक्ष: राज्य वन विभाग का वरिष्ठ अधिकारी
  • सदस्य: WII वैज्ञानिक, वन अधिकारी, NGO प्रतिनिधि, स्वतंत्र पर्यवेक्षक (जैसे पत्रकार देबाशीष बरूआ)

नमूनों को छोटे वायल में पुनः पैक किया गया और सभी प्रक्रिया की रिकॉर्डिंग एवं निरीक्षण स्वतंत्र विशेषज्ञों द्वारा की गई।

उद्देश्य और संभावित उपयोग

  • गैंडों की प्रजनन क्षमता, वंश-क्रम, डीएनए विविधता और वास-स्थिति को समझना
  • अवैध शिकार के मामलों में न्यायिक प्रमाण के रूप में डीएनए प्रोफाइल का उपयोग
  • वैज्ञानिक प्रबंधन योजनाओं का आधार बनाना

निष्कर्ष

भारत में एक सींग वाले गैंडे का संरक्षण राष्ट्रीय और वैश्विक महत्व रखता है। असम सरकार और वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट की यह पहल न केवल पारदर्शिता और वैज्ञानिक अनुसंधान को बल देती है, बल्कि यह भी सुनिश्चित करती है कि प्राकृतिक धरोहरों के संरक्षण में डेटा-आधारित नीति को प्राथमिकता दी जाए। यह प्रयास भावी पीढ़ियों के लिए गैंडों की सुरक्षित और समृद्ध विरासत सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *