असम में ब्रह्मपुत्र नदी के नाम पर नई गेक्को प्रजाति की खोज, ‘Aqua Tech Park’ से मछली पालन में नई क्रांति

असम की जैव विविधता और वैज्ञानिक नवाचार एक बार फिर चर्चा में हैं। हाल ही में वैज्ञानिकों ने असम के दीर्घेश्वरी मंदिर (गुवाहाटी के सामने ब्रह्मपुत्र नदी के उत्तरी तट पर स्थित) में गेक्को की एक नई प्रजाति की खोज की है। इस प्रजाति का नाम Cnemaspis brahmaputra रखा गया है — ब्रह्मपुत्र नदी के नाम पर, जो इस क्षेत्र की पारिस्थितिकी और संस्कृति का मुख्य आधार है।
दिनचर चरित्र वाली दुर्लभ प्रजाति
अधिकांश गेक्को प्रजातियाँ रात्रिचर होती हैं, लेकिन यह नई प्रजाति Cnemaspis brahmaputra दिन में सक्रिय रहती है, जो इसे अद्वितीय बनाती है। इसका संबंध Cnemaspis podihuna समूह से है, जिसे पहले केवल श्रीलंका तक सीमित माना जाता था। असम में इसकी उपस्थिति भारत-श्रीलंका के प्राचीन जैव-भौगोलिक संबंधों का प्रमाण देती है।
यह प्रजाति आकार में बड़ी है, इसके शरीर पर मिड-बॉडी स्केल की संख्या कम है, पेट पर स्केल की पंक्तियाँ अधिक हैं, निचले भागों पर ट्यूबरकल्स नहीं हैं और जांघों पर विशिष्ट मोटे स्केल की तीन पंक्तियाँ हैं। इससे पहले केवल Cnemaspis assamensis ही इस क्षेत्र से ज्ञात थी, जिसकी खोज 2000 में हुई थी।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- नई प्रजाति: Cnemaspis brahmaputra
- स्थान: दीर्घेश्वरी मंदिर, ब्रह्मपुत्र नदी का उत्तरी किनारा, असम
- विशेषता: दिनचर, श्रीलंकाई क्लेड से संबंध, अनोखा थाइ स्केल पैटर्न
- विज्ञान पत्रिका: Taprobanica: The Journal of Asian Biodiversity
- पहली ज्ञात प्रजाति: Cnemaspis assamensis (2000)
‘Aqua Tech Park’: मछली पालन में तकनीकी नवाचार
मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने असम के सोनापुर स्थित बगीबाड़ी में भारत के पहले ‘Aqua Tech Park’ का उद्घाटन किया। यह पार्क नाबार्ड, ICAR, CIFA और सेल्को फाउंडेशन जैसे संगठनों की साझेदारी से स्थापित हुआ है। पार्क में एक्वापोनिक्स, बायोफ्लॉक, उन्नत मछली प्रजनन और सजावटी मछली पालन जैसे अत्याधुनिक तकनीकों को प्रदर्शित किया गया है।
सरमा ने बताया कि 2021 में कोलोंग-कोपिली द्वारा शुरू किए गए एक्वा कल्चर स्कूल ने हजारों युवाओं को मछली पालन, प्राकृतिक खेती और समन्वित कृषि प्रणाली में सशक्त किया।
राज्य में मछली पालन का विकास
- 2019 से 2024 के बीच राज्य का मछली उत्पादन दोगुना होकर 4.99 लाख मीट्रिक टन हुआ।
- असम देश का चौथा सबसे बड़ा मछली उत्पादक राज्य बना।
- एडीबी द्वारा ₹800 करोड़ की सहायता से Sustainable Wetland and Integrated Fisheries Transformation Project शुरू किया गया।
- JICA की ₹250 करोड़ परियोजना से कई योजनाएँ साकार हुईं।
- राज्य में ₹8 करोड़ से 10 फिशरी क्लस्टर विकसित किए गए।
सरमा ने यह भी कहा कि इन पहलों से असम न केवल आत्मनिर्भर बन रहा है, बल्कि मछली पालन के क्षेत्र में राष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा में भी अपनी पहचान बना रहा है।
असम अब जैव विविधता संरक्षण और नवाचार के माध्यम से न केवल अपनी पारिस्थितिकी को समृद्ध कर रहा है, बल्कि आर्थिक समावेशन की दिशा में भी सार्थक कदम बढ़ा रहा है।