असम में दुग्ध उत्पादन को प्रोत्साहन: किसानों को मिलेगा ₹5 प्रति लीटर दूध पर सब्सिडी

असम सरकार ने राज्य के दुग्ध उद्योग को बढ़ावा देने के उद्देश्य से एक नई सब्सिडी योजना शुरू की है, जिसके तहत डेयरी किसानों को ₹5 प्रति लीटर दूध पर सहायता दी जाएगी। मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने इस योजना की घोषणा करते हुए कहा कि यह पहल ग्रामीण क्षेत्रों में दुग्ध क्रांति लाने और किसानों की आमदनी बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।
दुग्ध किसानों के लिए नया अवसर
मुख्यमंत्री ने गुवाहाटी के पनजबाड़ी स्थित वेस्ट असम मिल्क प्रोड्यूसर्स कोऑपरेटिव यूनियन लिमिटेड (WAMUL) के विस्तार के लिए भूमि पूजन करते हुए इस योजना की शुरुआत की। वामुल के अंतर्गत आने वाला पुराबी डेयरी ब्रांड असम का प्रमुख दुग्ध उत्पादक संगठन है। योजना के अंतर्गत किसान जितना दूध सहकारी समितियों को देंगे, उस पर ₹5 प्रति लीटर सब्सिडी मिलेगी। इससे 20,000 से अधिक डेयरी किसानों को सीधा लाभ होने की उम्मीद है।
दुग्ध प्रसंस्करण संयंत्र का विस्तार
₹104 करोड़ की लागत से हो रहे इस विस्तार के तहत पनजबाड़ी स्थित पुराबी डेयरी प्लांट की दूध प्रसंस्करण क्षमता को 1.5 लाख लीटर प्रतिदिन (LLPD) से बढ़ाकर 3 LLPD किया जाएगा। यह संयंत्र उत्तर पूर्व भारत का सबसे बड़ा दुग्ध प्रसंस्करण केंद्र है।
NDDB और वामुल के अध्यक्ष मीनश शाह ने बताया कि इस विस्तार से असम में एक व्यापक दुग्ध नेटवर्क विकसित होगा, जिससे दूध संग्रहण और उपभोक्ताओं तक पहुँच में सुधार आएगा।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- पुराबी डेयरी संयंत्र की मौजूदा क्षमता: 1.5 LLPD → विस्तार के बाद: 3 LLPD
- नई सब्सिडी योजना: ₹5 प्रति लीटर दूध, सहकारी समितियों को आपूर्ति पर
- लाभार्थी किसान: लगभग 20,000
- योजना और संयंत्र विस्तार की कुल लागत: ₹104 करोड़
- योजना संबंधित संगठन: वामुल (WAMUL) और राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (NDDB)
- नए उत्पाद: 2 LLPD पाउच दूध, 20-30 TLPD आइसक्रीम, 70 TLPD अन्य डेयरी उत्पाद
असम डेयरी विकास योजना (ADDP) की दिशा में एक कदम
यह विस्तार और सब्सिडी योजना असम डेयरी विकास योजना (ADDP) के अंतर्गत आता है, जिसका उद्देश्य राज्य में 10 LLPD दुग्ध प्रसंस्करण क्षमता हासिल करना है। इसका उद्देश्य केवल किसानों की आमदनी बढ़ाना ही नहीं, बल्कि राज्य की पोषण सुरक्षा और कृषि उत्पादकता में भी सुधार लाना है।
यह पहल न केवल असम के ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाएगी, बल्कि दुग्ध क्षेत्र को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम सिद्ध होगी। राज्य सरकार का यह प्रयास स्थानीय उत्पादन, बाजार पहुंच और ग्रामीण आजीविका के बीच संतुलन स्थापित करने में सहायक होगा।