अल-कायदा इन द इंडियन सबकॉंटिनेंट (AQIS) की वापसी का मतलब भारत के लिए कितना खतरनाक है?

अल-कायदा इन द इंडियन सबकॉंटिनेंट (AQIS) की स्थापना 2014 में अल-कायदा के तत्कालीन प्रमुख अयमान अल-जवाहिरी के निर्देश पर हुई थी। प्रारंभ में, इसका उद्देश्य अमेरिकी और पाकिस्तानी बलों को निशाना बनाना था। लेकिन 2019 में इसके नेता असीम उमर की मृत्यु के बाद, संगठन ने भारत को अपना प्रमुख लक्ष्य बनाया और ‘नवा-गज़वतुल-हिंद’ नामक पत्रिका के माध्यम से भारत के खिलाफ प्रचार शुरू किया। हाल ही में, AQIS ने एक बयान जारी कर सभी मुसलमानों से भारत में ‘भगवा शासन’ के खिलाफ जिहाद छेड़ने का आह्वान किया है। यह बयान ऐसे समय में आया है जब भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव चरम पर है।

पाकिस्तान की रणनीति और आतंकवादी समूहों के साथ संबंध

पाकिस्तान की खुफिया एजेंसियों और आतंकवादी संगठनों के बीच संबंध कोई नई बात नहीं है। 2024 में संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट में तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) और AQIS के बीच घनिष्ठ संबंधों का उल्लेख किया गया था। रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि अफगान तालिबान इन समूहों को समर्थन प्रदान कर रहा है।

पाकिस्तान अक्सर आतंकवादी समूहों का उपयोग अपनी रणनीतिक उद्देश्यों की पूर्ति के लिए करता है। उदाहरण के लिए, TTP के कुछ गुटों को पाकिस्तान की एजेंसियों द्वारा सहारा दिया गया है, जबकि अन्य गुटों को निशाना बनाया गया है। यह ‘अच्छे आतंकवादी’ और ‘बुरे आतंकवादी’ की नीति पाकिस्तान की पुरानी रणनीति का हिस्सा है।

पहलगाम हमला और भारत की प्रतिक्रिया

22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 नागरिकों की मृत्यु हो गई, जिनमें अधिकांश हिंदू पर्यटक थे। इस हमले की जिम्मेदारी पहले ‘द रेजिस्टेंस फ्रंट’ (TRF) ने ली, जो लश्कर-ए-तैयबा का एक फ्रंट संगठन माना जाता है। हालांकि, बाद में TRF ने यह दावा वापस ले लिया। भारत ने इस हमले के जवाब में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में आतंकवादी ठिकानों पर मिसाइल हमले किए। इन हमलों में लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद के ठिकानों को निशाना बनाया गया।

संयुक्त राष्ट्र में भारत की कूटनीतिक पहल

भारत ने TRF को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की 1267 प्रतिबंध सूची में शामिल कराने के लिए प्रयास तेज कर दिए हैं। इसके तहत, भारत ने संयुक्त राष्ट्र के अधिकारियों को TRF की गतिविधियों और पहलगाम हमले में उसकी भूमिका के बारे में जानकारी दी है। हालांकि, पाकिस्तान के दबाव के कारण संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्टों में TRF, लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद का उल्लेख नहीं किया गया है।

भारत के लिए सुरक्षा और कूटनीतिक चुनौतियाँ

AQIS की सक्रियता और पाकिस्तान की रणनीति भारत के लिए कई चुनौतियाँ प्रस्तुत करती हैं:

  • आंतरिक सुरक्षा: AQIS का असम और पूर्वोत्तर भारत में नेटवर्क स्थापित करना भारत की आंतरिक सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा है।
  • कूटनीतिक दबाव: पाकिस्तान संयुक्त राष्ट्र और अन्य अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत के खिलाफ कूटनीतिक दबाव बनाने की कोशिश कर रहा है।
  • अंतरराष्ट्रीय सहयोग: भारत को अमेरिका और अन्य देशों के साथ खुफिया जानकारी साझा करके आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक सहयोग को मजबूत करना होगा।
  • तकनीकी निगरानी: संवेदनशील क्षेत्रों में चेहरे की पहचान, बिग डेटा और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसी तकनीकों का उपयोग करके निगरानी प्रणाली को सुदृढ़ करना आवश्यक है।
  • बांग्लादेश के साथ संबंध: AQIS की गतिविधियाँ भारत-बांग्लादेश संबंधों को प्रभावित कर सकती हैं, इसलिए भारत को बांग्लादेश के साथ सहयोग बढ़ाना चाहिए।

AQIS की पुनः सक्रियता और पाकिस्तान की आतंकवादी समूहों के साथ मिलीभगत भारत के लिए गंभीर सुरक्षा और कूटनीतिक चुनौतियाँ खड़ी करती हैं। भारत को इन खतरों का सामना करने के लिए आंतरिक सुरक्षा को मजबूत करने, अंतरराष्ट्रीय सहयोग बढ़ाने और कूटनीतिक प्रयासों को तेज करने की आवश्यकता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *