अमेरिका के ऑटो टैरिफ पर भारत का पलटवार: WTO में व्यापारिक जवाबी कार्रवाई की घोषणा

भारत ने विश्व व्यापार संगठन (WTO) को सूचित किया है कि वह अमेरिका द्वारा ऑटोमोबाइल और ऑटो पार्ट्स पर लगाए गए 25% टैरिफ के जवाब में चुनिंदा अमेरिकी उत्पादों पर जवाबी शुल्क लगाने की योजना बना रहा है। यह कदम ऐसे समय पर आया है जब दोनों देश एक अंतरिम व्यापार समझौते के करीब माने जा रहे थे।

अमेरिका की ‘सुरक्षा शुल्क’ नीति और भारत की आपत्ति

3 मई 2025 से अमेरिका ने यात्री वाहनों, हल्के ट्रकों और कुछ ऑटो पार्ट्स पर 25% एड वेलोरम शुल्क लगाया है। भारत का कहना है कि यह टैरिफ WTO के नियमों का उल्लंघन है, क्योंकि अमेरिका ने इन उपायों की WTO को आधिकारिक जानकारी नहीं दी है और यह वैश्विक व्यापार मानकों के विरुद्ध है। भारत का तर्क है कि इन सुरक्षा उपायों से भारतीय मूल के उत्पादों पर हर वर्ष लगभग $723.75 मिलियन का अतिरिक्त शुल्क लगाया जाएगा।

भारत की जवाबी कार्रवाई

भारत ने WTO के ‘Agreement on Safeguards’ के तहत अधिकार का प्रयोग करते हुए बराबर मूल्य के व्यापारिक रियायतों को निलंबित करने की योजना बनाई है। भारत का कहना है कि $2.89 बिलियन मूल्य के भारतीय ऑटोमोबाइल उत्पाद अमेरिका के इस टैरिफ से प्रभावित हो रहे हैं। अब भारत अमेरिकी उत्पादों पर उतनी ही राशि के बराबर शुल्क लगाने जा रहा है।
WTO को दी गई अधिसूचना में कहा गया है कि भारत यह कार्रवाई 30 दिन बाद लागू करेगा और यह WTO के अनुच्छेद 8.2 के तहत वैध है।

दूसरी बड़ी व्यापार टकराव की घटना

यह पिछले कुछ हफ्तों में भारत की दूसरी ऐसी जवाबी कार्रवाई है। इससे पहले भारत ने अमेरिकी इस्पात और एल्युमिनियम उत्पादों पर लगाए गए शुल्क के विरुद्ध भी जवाबी शुल्क लगाने की घोषणा की थी। विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह की टकराहटें भारत और अमेरिका के बीच चल रही अंतरिम व्यापार वार्ताओं को जटिल बना सकती हैं।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • WTO (World Trade Organization) की स्थापना 1995 में हुई थी और इसका मुख्यालय जिनेवा, स्विट्ज़रलैंड में है।
  • GATT 1994 और Agreement on Safeguards वैश्विक व्यापार नियमों के महत्वपूर्ण अंग हैं।
  • भारत 2025 में अमेरिका को करीब $2.9 अरब मूल्य के ऑटो पार्ट्स और वाहन निर्यात करता है।
  • एड वेलोरम (Ad Valorem) शुल्क का अर्थ होता है — वस्तु के मूल्य के अनुपात में लगाया गया शुल्क।

भारत का यह रुख यह दर्शाता है कि वह वैश्विक व्यापार मंचों पर अपने हितों की रक्षा के लिए सख्त कदम उठाने को तैयार है। यह न केवल व्यापारिक आत्मनिर्भरता की दिशा में एक संकेत है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि भारत WTO जैसे बहुपक्षीय संस्थानों में अपनी भूमिका को और प्रभावी बना रहा है। आने वाले दिनों में यह मुद्दा द्विपक्षीय व्यापार वार्ताओं और वैश्विक मंचों पर महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।

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