अमेरिका का एक बार फिर यूनेस्को से हटना: वैश्विक संस्थाओं से दूरी की नई नीति

संयुक्त राज्य अमेरिका ने एक बार फिर संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) से हटने का निर्णय लिया है। यह कदम राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं से दूरी बनाने की नीति का हिस्सा है, जिसे उन्होंने अमेरिका की संप्रभुता और “अमेरिका फर्स्ट” नीति के तहत उचित ठहराया है।
अमेरिका और यूनेस्को के रिश्तों में उतार-चढ़ाव
यूनेस्को, जो विश्व धरोहर स्थलों की मान्यता के लिए प्रसिद्ध है, अमेरिका के साथ लंबे समय से एक जटिल संबंध रखता आया है। इससे पहले:
- 1984 में राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन ने यूनेस्को से अमेरिका को हटाया था।
- 2003 में राष्ट्रपति जॉर्ज बुश ने दोबारा अमेरिका को शामिल किया।
- 2017 में ट्रंप ने इसे ‘एंटी-इस्राइल पूर्वाग्रह’ बताते हुए वापसी की घोषणा की।
- 2021 में जो बाइडन प्रशासन ने यूनेस्को में दोबारा सदस्यता ली।
- और अब, 2025 में, ट्रंप प्रशासन ने एक बार फिर यूनेस्को से बाहर निकलने का फैसला लिया है।
प्रशासन की आपत्तियाँ
व्हाइट हाउस की प्रवक्ता अन्ना केली ने बयान में कहा कि यूनेस्को “वोक और विभाजनकारी सांस्कृतिक एजेंडा” को बढ़ावा देता है, जो अमेरिका की सामान्य नीति से मेल नहीं खाता। प्रशासन ने यह भी आरोप लगाया कि:
- यूनेस्को चीन के हितों को बढ़ावा देता है।
- एजेंसी में फिलीस्तीन और चीन के प्रति पक्षपात है।
- यह इस्राइल और यहूदी विरासत के खिलाफ फैसले लेती है।
चीन का बढ़ता प्रभाव
चीन ने यूनेस्को में अपना प्रभाव तेजी से बढ़ाया है, खासकर:
- विश्व धरोहर स्थलों की मान्यता में, चीन अब इटली से भी आगे निकलने की होड़ में है।
- शिनजियांग और तिब्बत जैसे विवादास्पद क्षेत्रों में साइटों को मान्यता दिलाकर सांस्कृतिक नियंत्रण का प्रयास कर रहा है।
- कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) में भी यूनेस्को के दिशा-निर्देशों पर चीन की पकड़ बन रही है।
अमेरिका के बाहर होने का संभावित असर
- अमेरिका यूनेस्को का सबसे बड़ा वित्तपोषक रहा है, जो इसकी कुल बजट का लगभग 25% योगदान करता था।
- इसके बाहर होने से चीन का प्रभाव और मजबूत होने की आशंका है।
- अमेरिकी साझेदारियों जैसे Microsoft, Netflix के माध्यम से बाइडन प्रशासन ने वैश्विक सांस्कृतिक नीति में भूमिका निभाई थी, जो अब कमजोर हो सकती है।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- यूनेस्को की स्थापना 1945 में हुई थी और इसका मुख्यालय पेरिस, फ्रांस में है।
- यूनेस्को का उद्देश्य: शिक्षा, संस्कृति, विज्ञान और संचार के माध्यम से शांति को बढ़ावा देना।
- अमेरिका ने 1990 के दशक में फिलीस्तीन की सदस्यता के कारण यूनेस्को को फंड देना बंद कर दिया था।
- चीन के पास वर्तमान में यूनेस्को के डिप्टी डायरेक्टर जनरल का पद है।
अमेरिका का यूनेस्को से हटना वैश्विक संस्थाओं में उसकी भूमिका को कमजोर करता है और चीन को एक नई सांस्कृतिक शक्ति के रूप में उभरने का अवसर प्रदान करता है। यह कदम न केवल सांस्कृतिक राजनीति पर असर डालेगा, बल्कि वैश्विक AI, शिक्षा और विरासत नीति निर्धारण में संतुलन को भी प्रभावित कर सकता है।