अफ्रीका पर जलवायु आपदा की सबसे भयावह मार: पाँच वर्षों में 22 करोड़ से अधिक प्रभावित, 28,000 से अधिक मौतें

अफ्रीका वर्तमान में पिछले एक दशक की सबसे गंभीर जलवायु आपदा से गुजर रहा है। Down To Earth (DTE) द्वारा Emergency Events Database (EM-DAT) के आंकड़ों के आधार पर किए गए विश्लेषण में यह सामने आया कि 2021 से 2025 के बीच का पाँच वर्षीय कालखंड महाद्वीप के लिए अब तक का सबसे घातक दौर रहा है। इस अवधि में कम से कम 221.57 मिलियन लोग मौसम, जलवायु और जल संबंधित आपदाओं से प्रभावित हुए — जो पिछले दो पाँच वर्षीय अवधियों (2011–2015 और 2016–2020) को मिलाकर भी अधिक है।
सूखे ने सबसे अधिक प्रभाव डाला
इस अवधि में सूखा सबसे बड़ी आपदा बनकर उभरा, जिससे 178 मिलियन लोग प्रभावित हुए — यानी 81% से अधिक। इसके बाद बाढ़ ने लगभग 14% और तूफानों या चक्रवातों ने 4.7% लोगों को प्रभावित किया। विशेष रूप से हॉर्न ऑफ अफ्रीका — इथियोपिया, सोमालिया और केन्या — लगातार पाँच असफल वर्षा ऋतुओं के कारण पिछले 70 वर्षों की सबसे भीषण सूखा स्थिति का सामना कर रहा है।
पाँच देश सर्वाधिक प्रभावित
- इथियोपिया: 3.3 करोड़ लोग प्रभावित (17 गुना वृद्धि)
- डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो (DRC): 2.85 करोड़ (42 गुना वृद्धि)
- नाइजीरिया: 2.37 करोड़ (10 गुना वृद्धि)
- सोमालिया: 1.56 करोड़ (3.65 गुना वृद्धि)
- सूडान: 1.28 करोड़ (8 गुना वृद्धि)
इनमें से तीन देश पूर्वी अफ्रीका से हैं, जबकि दक्षिण अफ्रीका, मलावी और जाम्बिया जैसे दक्षिणी अफ्रीकी देश भी भारी संकट में रहे।
आपदा से होने वाली मौतों में तेज वृद्धि
2011-2015 में 4,684 मौतें दर्ज हुई थीं, जो 2016-2020 में बढ़कर 8,106 हो गईं। परंतु 2021-2025 के दौरान यह संख्या तीन गुना बढ़कर 28,759 तक पहुँच गई। यह कुल आपदा मृत्यु दर का 69% है जो सिर्फ इन पाँच वर्षों में दर्ज हुई।
- लीबिया: 13,205 मौतें, जिसमें अकेले 2023 के डर्ना बाढ़ ने भयंकर त्रासदी रची।
- DRC: 3,876 मौतें, सात गुना वृद्धि।
- मलावी: बाढ़ से 16 गुना अधिक मृत्यु दर।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- EM-DAT क्या है: यह एक अंतरराष्ट्रीय आपदा डेटा संग्रह है जो आपदाओं से संबंधित वैश्विक आंकड़े संकलित करता है।
- El Niño प्रभाव: 2023 के अंत में शुरू हुए शक्तिशाली एल नीनो ने दक्षिणी अफ्रीका में सूखे की स्थिति को और भी गंभीर बना दिया।
- ND-GAIN सूचकांक: जलवायु अनुकूलन के लिए देशों की तैयारी को मापता है, जिसमें अधिकांश अफ्रीकी देशों की रैंकिंग अत्यंत कमजोर है।
- सबसे खराब प्रदर्शन वाले देश: मध्य अफ्रीकी गणराज्य, चाड, कांगो, जिम्बाब्वे और DRC।
संस्थागत असफलता और तैयारी की कमी
रिपोर्ट स्पष्ट रूप से बताती है कि यह संकट केवल चरम मौसम का परिणाम नहीं है, बल्कि आपदा जोखिम न्यूनीकरण, आपातकालीन प्रतिक्रिया, और दीर्घकालीन जलवायु अनुकूलन योजना में संस्थागत विफलताओं का भी संकेत है। अफ्रीकी देशों की तैयारियों की कमज़ोरी, निवेश जुटाने की अक्षमता और सामाजिक-आर्थिक ढाँचे की जटिलता ने इस संकट को और गहरा कर दिया है।
जलवायु परिवर्तन की तीव्रता और इससे उत्पन्न आपदाओं के साथ-साथ मानव जीवन की क्षति को रोकने के लिए तत्काल और व्यापक नीति-स्तरीय हस्तक्षेप की आवश्यकता है। अफ्रीका की यह भयावह तस्वीर एक वैश्विक चेतावनी भी है कि जलवायु परिवर्तन अब एक दूर का खतरा नहीं, बल्कि वर्तमान की सच्चाई है।