अफ्रीका की क्षीण होती आर्द्रभूमियाँ: पारिस्थितिकी और आजीविका के लिए बढ़ता संकट

अफ्रीका की क्षीण होती आर्द्रभूमियाँ: पारिस्थितिकी और आजीविका के लिए बढ़ता संकट

2025 के वैश्विक आर्द्रभूमि आउटलुक (Global Wetland Outlook) ने अफ्रीका की आर्द्रभूमियों की गंभीर स्थिति की ओर इशारा किया है। लाखों लोग जिन संसाधनों पर अपनी आजीविका के लिए निर्भर हैं, वे पारिस्थितिकीय तंत्र अब तेज़ी से नष्ट हो रहे हैं। नगरीकरण, औद्योगीकरण और अवसंरचना विकास इस गिरावट के प्रमुख कारण हैं। रिपोर्ट के अनुसार, अफ्रीका की आर्द्रभूमियाँ दुनिया की सबसे अधिक क्षीण होती प्रणालियों में शामिल हैं।

आर्द्रभूमियों की गिरती पारिस्थितिकीय स्थिति

रिपोर्ट में बताया गया है कि अफ्रीका, लैटिन अमेरिका और कैरिबियन क्षेत्र में आर्द्रभूमियों की पारिस्थितिकीय गुणवत्ता में सबसे अधिक गिरावट देखी गई है। विशेष रूप से दक्षिण अफ्रीका जैसे अपेक्षाकृत विकसित देशों में, आर्द्रभूमियाँ इतनी तेजी से बिगड़ रही हैं कि उन्हें पुनर्स्थापित करने के प्रयास पिछड़ रहे हैं।

आर्थिक विकास और पर्यावरणीय असंतुलन

अफ्रीका की आर्द्रभूमियाँ न केवल जैव विविधता के लिए महत्वपूर्ण हैं, बल्कि ये खाद्य सुरक्षा, जल आपूर्ति, और जलवायु आपदाओं से सुरक्षा प्रदान करने में भी अहम भूमिका निभाती हैं। रिपोर्ट के अनुसार, अफ्रीका की आर्द्रभूमियाँ 2023 में लगभग 825.7 अरब अमेरिकी डॉलर के पारिस्थितिकी सेवाएं प्रदान करती थीं, जो वैश्विक $39 ट्रिलियन की तुलना में बहुत कम है। यह अंतर दर्शाता है कि गरीब और निम्न आय वाले देशों में आर्द्रभूमियों की स्थिति बहुत खराब है।

जलवायु परिवर्तन और सामाजिक असर

गुरुतर बात यह है कि इन आर्द्रभूमियों की क्षति वैश्विक जलवायु लक्ष्यों, जैव विविधता संरक्षण, भूख और गरीबी उन्मूलन जैसे प्रयासों को भी नुकसान पहुंचा रही है। रिपोर्ट में बताया गया है कि दुनिया सालाना 0.52% की दर से आर्द्रभूमियाँ खो रही है, और 1970 के बाद से लगभग 411 मिलियन हेक्टेयर आर्द्रभूमियाँ पहले ही खत्म हो चुकी हैं।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • आर्द्रभूमियाँ पृथ्वी की सतह का केवल 6% भाग कवर करती हैं, लेकिन ये वैश्विक GDP के 7.5% के बराबर पारिस्थितिकी सेवाएं देती हैं।
  • 1970 से अब तक दुनिया भर में 411 मिलियन हेक्टेयर आर्द्रभूमि का नाश हो चुका है।
  • अफ्रीका में आर्द्रभूमियों का वार्षिक मूल्यांकन 825.7 बिलियन अमेरिकी डॉलर आँका गया है।
  • जाम्बिया की ‘काफुए फ्लैट्स’ आर्द्रभूमि में $300,000 के पुनर्स्थापन से $30 मिलियन के वार्षिक मत्स्य व्यवसाय का लाभ हुआ।

समाधान और आगे की राह

रिपोर्ट और विशेषज्ञों ने मिलकर यह संकेत दिया है कि आर्द्रभूमियों की रक्षा में निवेश न केवल पर्यावरणीय स्थिरता बल्कि ग्रामीण आजीविका, खाद्य सुरक्षा, और आर्थिक लचीलापन भी सुनिश्चित कर सकता है। जैसे-जैसे अफ्रीका के कई देशों की अर्थव्यवस्था प्रकृति पर निर्भर होती जा रही है, आर्द्रभूमियों का संरक्षण विकास की कुंजी बनता जा रहा है।
जैसे-जैसे 23 जुलाई से जिम्बाब्वे में रामसर सम्मेलन (COP15) शुरू होने जा रहा है, यह रिपोर्ट अफ्रीकी देशों के लिए एक चेतावनी और अवसर दोनों है — ताकि वे आर्द्रभूमियों की बहाली को अपनी राष्ट्रीय और क्षेत्रीय नीतियों का केंद्र बना सकें।

Originally written on July 18, 2025 and last modified on July 18, 2025.

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