अन्तरिक्ष में जीवन के बीज: कैसे छोटे PAH अणु ब्रह्मांडीय परिस्थितियों में जीवित रहते हैं

अंतरिक्ष में कार्बन और हाइड्रोजन से बने बहु-चक्रीय ऐरोमैटिक हाइड्रोकार्बन (Polycyclic Aromatic Hydrocarbons – PAHs) महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। ये समतल और वलयाकार अणु, जिनका लगभग पाँचवाँ भाग इंटरस्टेलर स्पेस के कार्बन का प्रतिनिधित्व करता है, जीवन के प्रारंभिक निर्माण खंडों के रूप में देखे जाते हैं। एक प्रमुख सिद्धांत यह है कि उल्कापिंडों के माध्यम से PAHs युवा पृथ्वी तक पहुँचे और जीवन के निर्माण की शुरुआत की।
TMC1 में PAH अणुओं की रहस्यमयी उपस्थिति
टॉरस मॉलिक्यूलर क्लाउड 1 (TMC1), पृथ्वी से लगभग 430 प्रकाशवर्ष दूर स्थित गैस, धूल और प्लाज़्मा का समूह है। इस बादल में छोटे, बंद-शेल PAH अणु — जिनमें सभी इलेक्ट्रॉन जोड़े में होते हैं — अपेक्षा से कहीं अधिक मात्रा में पाए जाते हैं, जबकि यहाँ लगातार तारे की प्रकाश ऊर्जा के संपर्क में आने से इनका नष्ट हो जाना चाहिए।
यह वैज्ञानिकों के लिए एक दीर्घकालिक रहस्य था: ये अणु इतनी प्रतिकूल परिस्थितियों में भी कैसे जीवित रहते हैं?
इंडेनिल कैशन (C9H7⁺) से खुला रहस्य
ऑस्ट्रेलिया, स्वीडन और ब्रिटेन के वैज्ञानिकों की टीम ने इस रहस्य को हल किया। उन्होंने PAH अणु इंडीन (C9H8) के एक चार्ज वाले टुकड़े — इंडेनिल कैशन (C9H7⁺) — का अध्ययन किया। यह शोध हाल ही में Physical Review Letters में प्रकाशित हुआ है।
स्वीडन की DESIREE प्रयोगशाला में, शोधकर्ताओं ने इन आयनों को बेहद कम तापमान (–260º C) पर आयन-स्टोरेज रिंग में इंजेक्ट किया। यदि कोई आयन टूटता है, तो उसके टुकड़े डिटेक्टर से टकराते हैं। इससे वैज्ञानिक यह समझ पाए कि आयन कितनी तेज़ी से टूट रहे हैं — और यही से उन्हें पता चला कि C9H7⁺ आश्चर्यजनक रूप से तेज़ी से ठंडा हो सकता है।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- PAH (Polycyclic Aromatic Hydrocarbon): समतल, वलयाकार अणु जो अंतरिक्ष में प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं।
- TMC1: टॉरस मॉलिक्यूलर क्लाउड 1, पृथ्वी से 430 प्रकाशवर्ष दूर स्थित गैस और धूल का क्षेत्र।
- Recurrent Fluorescence: इलेक्ट्रॉनों द्वारा ऊर्जा उत्सर्जन की प्रक्रिया, जो अणुओं को ऊर्जा छोड़ने में मदद करती है।
- DESIREE प्रयोगशाला: स्टॉकहोम यूनिवर्सिटी में स्थित अत्याधुनिक आयन भंडारण सुविधा, जो अंतरिक्ष जैसी स्थितियाँ उत्पन्न कर सकती है।
ऊर्जा हानि की तीन प्रक्रियाएँ
टीम ने एक मॉडल तैयार किया जो तीन प्रतिस्पर्धी ऊर्जा हानि प्रक्रियाओं को संतुलित करता है:
- डिसोसिएशन (Dissociation) — अणु का टूटना
- इन्फ्रारेड उत्सर्जन — कंपन और घूर्णन से ऊर्जा हानि
- Recurrent Fluorescence — इलेक्ट्रॉनों के दोहराए गए उत्सर्जन से ऊर्जा हानि
जब उन्होंने अपने मॉडल में recurrent fluorescence को शामिल किया, तो प्रयोगशाला डेटा से उसका मिलान पूर्णतः हो गया। इससे यह सिद्ध हुआ कि यह प्रक्रिया ही इन अणुओं को विघटन से बचाकर लंबे समय तक अंतरिक्ष में बनाए रखती है।
निष्कर्ष
यह खोज दर्शाती है कि छोटे PAH अणु (जिनमें 50 से कम कार्बन परमाणु होते हैं) अंतरिक्ष में बच सकते हैं और धीरे-धीरे मिलकर बड़े, अधिक जटिल कार्बनिक यौगिकों का निर्माण कर सकते हैं — जो संभावित रूप से ग्रहों पर जीवन की उत्पत्ति का मार्ग प्रशस्त कर सकते हैं। यह अध्ययन न केवल ब्रह्मांड में कार्बनिक रसायन की समझ को गहराता है, बल्कि यह भी संकेत देता है कि जीवन के बीज कितनी दूर और कितनी विविध परिस्थितियों में फैल सकते हैं।