अनुच्छेद 370 के छह वर्ष बाद: जम्मू-कश्मीर में बदलाव, चुनौतियाँ और नया परिदृश्य

5 अगस्त 2019 को जब भारत सरकार ने संविधान के अनुच्छेद 370 को निष्प्रभावी कर जम्मू-कश्मीर को दो केंद्रशासित प्रदेशों में पुनर्गठित किया, तो इसे शांति, विकास और राष्ट्रीय एकीकरण की दिशा में एक निर्णायक मोड़ माना गया। छह वर्षों के बाद आज, इस कदम के विविध परिणाम सामने आ चुके हैं — कुछ सकारात्मक, कुछ विवादास्पद, और कुछ चिंताजनक।
राजनीति: लोकतांत्रिक वापसी, पर सीमित शक्तियाँ
अनुच्छेद 370 के निरसन के बाद राजनीतिक गतिविधियाँ पुनः आरंभ हुईं, और नेशनल कॉन्फ्रेंस (NC) के नेतृत्व में एक नई सरकार बनी। हालाँकि, चुनाव से पूर्व पुलिस और प्रशासनिक सेवाओं का नियंत्रण उपराज्यपाल को सौंपे जाने से चुनी हुई सरकार की शक्तियाँ सीमित हो गई हैं।
मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला की कैबिनेट ने राज्य का दर्जा बहाल करने के लिए प्रस्ताव पारित किया, जबकि PDP ने अनुच्छेद 370 की बहाली की मुखर माँग की। उमर अब्दुल्ला स्वयं स्वीकार करते हैं कि इस लड़ाई में त्वरित परिणाम की अपेक्षा नहीं की जा सकती। साथ ही, 13 जुलाई को शहीदी दिवस के रूप में पुनः स्थापित करने का प्रयास और स्मारक स्थलों पर पुलिस के साथ हुई झड़पें, केंद्र और राज्य सरकार के बीच संबंधों की संवेदनशीलता को उजागर करती हैं।
सुरक्षा: गिरती हिंसा लेकिन चुनौतियाँ कायम
सरकार का सबसे बड़ा दावा था कि अनुच्छेद 370 हटाने से आतंकवाद में कमी आएगी — और आंकड़े इसे काफी हद तक सही ठहराते हैं। 2019 में जहाँ 129 स्थानीय युवकों की आतंकी संगठनों में भर्ती हुई थी, वहीं 2025 में यह संख्या घटकर केवल 1 रह गई है। पत्थरबाज़ी, हड़तालें और हथियार लूट की घटनाएँ लगभग समाप्त हो चुकी हैं।
हालांकि, अप्रैल 2025 में पहलगाम में हुआ आतंकी हमला इस सामान्य स्थिति की धारणा को झकझोर गया। इसमें 26 नागरिकों की मौत हुई, जिससे यह स्पष्ट हो गया कि पर्यटक स्थलों की सुरक्षा व्यवस्था में खामियाँ हैं। इसके जवाब में भारत ने “ऑपरेशन सिंदूर” चलाया और कथित पाकिस्तानी आतंकियों को मार गिराया।
अर्थव्यवस्था: निवेश में उछाल, लेकिन असंतुलन बना हुआ
2021 में घोषित नई औद्योगिक नीति के तहत जम्मू-कश्मीर में ₹1.63 लाख करोड़ के निवेश प्रस्ताव आए हैं, जिनमें से ₹50,000 करोड़ की परियोजनाएँ प्रगति पर हैं। राज्य की जीडीपी 2015-16 में ₹1.17 लाख करोड़ से बढ़कर 2024-25 में ₹2.63 लाख करोड़ हो गई है।
राजस्व संग्रह में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, और जेके बैंक ने घाटे से लाभ की ओर प्रगति की है। बिजली क्षेत्र में सुधार हुए हैं, लेकिन सर्दियों में आपूर्ति अब भी गंभीर समस्या बनी हुई है। कृषि और उद्योग का योगदान अपेक्षाकृत कम है, और राज्य का वित्त अब भी केंद्र पर अत्यधिक निर्भर है।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- अनुच्छेद 370 का निरसन 5 अगस्त 2019 को हुआ।
- जम्मू-कश्मीर की जीडीपी 2024-25 में ₹2.63 लाख करोड़ रही।
- पहलगाम हमला 2025 में सबसे बड़ा आतंकी हमला बना, जिसमें 26 नागरिक मारे गए।
- नई औद्योगिक नीति के तहत 1.63 लाख करोड़ का निवेश प्रस्तावित है।
पर्यटन: बढ़ता आकर्षण, लेकिन सुरक्षा चिंताएँ
2023 में रिकॉर्ड 2.11 करोड़ पर्यटक आए और पर्यटन ने जीडीपी में 7% योगदान दिया। लेकिन पहलगाम हमले के बाद 50 पर्यटक स्थलों को बंद करना पड़ा, जिससे पर्यटन क्षेत्र को झटका लगा। 75 नए गंतव्य खोले गए थे और 2,000 से अधिक होमस्टे पंजीकृत हुए थे, परंतु निजी निवेश अभी भी सीमित है।
JW Marriott और Radisson जैसी कुछ परियोजनाओं को छोड़कर बड़े होटल निवेशक अब भी संकोच में हैं, जिसका कारण भूमि की अनुपलब्धता और सुरक्षा जोखिम हैं।
छह वर्षों बाद, अनुच्छेद 370 के निरसन का प्रभाव बहुआयामी रहा है — राजनीतिक पुनरुत्थान, आतंकवाद में गिरावट, निवेश में वृद्धि — लेकिन यह भी स्पष्ट है कि चुनौतियाँ अब भी जमी हुई हैं। राज्य का दर्जा बहाल करने की माँग, पर्यटन की सुरक्षा, और प्रशासनिक स्वतंत्रता जैसे विषय भविष्य की दिशा को तय करेंगे।