हेपेटाइटिस D को WHO ने घोषित किया कार्सिनोजेनिक: जागरूकता और रोकथाम पर जोर

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने हाल ही में हेपेटाइटिस D को कैंसरजनक (carcinogenic) रोगों की श्रेणी में शामिल किया है। यह घोषणा वायरल हेपेटाइटिस के बढ़ते स्वास्थ्य संकट की गंभीरता को रेखांकित करती है। “हर 30 सेकंड में, एक व्यक्ति हेपेटाइटिस से जुड़ी गंभीर लिवर बीमारी या लिवर कैंसर से मर रहा है, जबकि हमारे पास इसे रोकने के उपाय मौजूद हैं,” WHO के डायरेक्टर-जनरल टेड्रोस एडहनोम ने कहा।

हेपेटाइटिस D क्यों है खतरनाक?

हेपेटाइटिस D एक गंभीर लिवर संक्रमण है, जो हेपेटाइटिस D वायरस (HDV) के कारण होता है। यह वायरस स्वयं में संक्रमण करने में अक्षम है और केवल हेपेटाइटिस B वायरस (HBV) की उपस्थिति में ही सक्रिय होता है। यानी, यह केवल उन्हीं व्यक्तियों को प्रभावित करता है जिन्हें पहले से हेपेटाइटिस B है।
एक नए अध्ययन के अनुसार, HDV संक्रमण लिवर कैंसर के जोखिम को 2 से 6 गुना तक बढ़ा देता है, और 75% संक्रमित मरीजों में 15 वर्षों के भीतर लिवर सिरोसिस विकसित हो सकती है। इसके विपरीत, केवल HBV संक्रमित लोगों में यह जोखिम काफी कम होता है।

भारत में स्थिति और रोकथाम की आवश्यकता

भारत में हेपेटाइटिस D का सामान्य जनसंख्या में प्रसार कम है, लेकिन उच्च जोखिम समूह जैसे इंजेक्शन का उपयोग करने वाले नशेड़ी और पुरानी हेपेटाइटिस B वाले रोगियों में इसका प्रसार अधिक हो सकता है। डॉक्टरों के अनुसार, सुरक्षित रक्त उपयोग, सुइयों की साझेदारी से बचाव, और सुरक्षित यौन व्यवहार जैसे कदम संक्रमण को फैलने से रोकते हैं।
हेपेटाइटिस B का टीकाकरण हेपेटाइटिस D से अप्रत्यक्ष रूप से रक्षा करता है, क्योंकि HDV केवल HBV के साथ ही सक्रिय हो सकता है। दुर्भाग्यवश, भारत में HBV वैक्सीन का कवरेज अभी भी लगभग 50% तक सीमित है।

लक्षण, जांच और उपचार

हेपेटाइटिस D के लक्षण अन्य लिवर संक्रमणों जैसे ही होते हैं — पीलिया, थकान, उल्टी, पेट दर्द, और गहरे रंग का पेशाब। HDV-RNA परीक्षण के माध्यम से रक्त में इसकी पहचान की जा सकती है।
वर्तमान में सीमित अनुमोदित उपचार विकल्प उपलब्ध हैं, लेकिन बुलेविरटाइड (bulevirtide) जैसे उभरते उपचार आशा प्रदान करते हैं। WHO का मानना है कि “कार्सिनोजेन” का टैग इस वायरस पर अधिक अनुसंधान, निगरानी और निवेश को बढ़ावा देगा।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • हेपेटाइटिस D केवल उन्हीं व्यक्तियों को संक्रमित कर सकता है, जो पहले से हेपेटाइटिस B से संक्रमित हैं।
  • WHO द्वारा कार्सिनोजेन घोषित किए जाने के बाद, HDV से संबंधित लिवर कैंसर की वैश्विक निगरानी और शोध को प्रोत्साहन मिलेगा।
  • HDV के प्रसार का प्रमुख तरीका: संक्रमित रक्त, सुई साझा करना, असुरक्षित यौन संपर्क और माँ से शिशु में प्रसारण।
  • भारत में हेपेटाइटिस B के लिए राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रम है, लेकिन टीका कवरेज अभी पर्याप्त नहीं है

निष्कर्ष

हेपेटाइटिस D को कैंसरजनक घोषित किया जाना एक चेतावनी है कि यदि समय रहते रोकथाम के उपाय नहीं अपनाए गए, तो यह एक बड़े स्वास्थ्य संकट में बदल सकता है। सरकार और समाज दोनों की जिम्मेदारी है कि टीकाकरण कवरेज बढ़े, जन जागरूकता फैले, और उच्च जोखिम समूहों की पहचान कर उन्हें उपचार और परामर्श दिया जाए। केवल सामूहिक प्रयासों से ही इस मूक संकट पर नियंत्रण पाया जा सकता है।

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