समय से पहले पहुंचा दक्षिण-पश्चिम मानसून: जून में बारिश ने तोड़े पिछले वर्षों के रिकॉर्ड

इस वर्ष दक्षिण-पश्चिम मानसून ने पूरे भारत को 29 जून तक कवर कर लिया, जो इसकी सामान्य तिथि 8 जुलाई से नौ दिन पहले है। 1960 के बाद यह केवल दसवीं बार हुआ है जब मानसून जून में ही पूरे देश में फैल गया। इस वर्ष मानसून की शुरुआत भी जल्दी हुई — केरल में यह 24 मई को ही पहुंच गया, जबकि सामान्य तिथि 1 जून मानी जाती है।
मानसून की तेजी से प्रगति के कारण
- निम्न दबाव प्रणाली (Low Pressure Systems): जून में देश के विभिन्न हिस्सों में पाँच निम्न दबाव क्षेत्र विकसित हुए। ये क्षेत्र आर्द्र हवाओं को खींचते हैं और बारिश को सक्रिय करते हैं, जिससे मानसून का अंदरूनी भागों में तेजी से विस्तार होता है।
- मैडेन-जुलियन ऑस्सीलेशन (MJO): मई की तरह जून में भी MJO का सक्रिय चरण रहा, जिससे दक्षिण भारत में बादल जमा हुए और मानसूनी हवाएं इन्हें उत्तर की ओर ले गईं, जिससे वर्षा में वृद्धि हुई।
- मानसून ट्रफ की स्थिति: मानसून ट्रफ एक विस्तृत निम्न दबाव क्षेत्र होता है जो उत्तर-पश्चिम भारत से बंगाल की खाड़ी तक फैला रहता है। जून में इसकी स्थिति सामान्य से दक्षिण में बनी रही, जिससे यह अधिक नमी वाली हवाओं को आकर्षित करता रहा।
- ENSO और IOD की तटस्थ स्थिति: इस बार ENSO (एल नीनो-सदर्न ऑस्सीलेशन) और IOD (हिंद महासागर द्विध्रुव) दोनों तटस्थ अवस्था में रहे, जिससे मानसून पर प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ा और सामान्य से बेहतर वर्षा हुई।
जून में वर्षा का प्रदर्शन
भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के अनुसार, जून में पूरे भारत की औसत वर्षा 180 मिमी रही, जो सामान्य से 9% अधिक थी। 2022 के बाद पहली बार जून में वर्षा की कमी की प्रवृत्ति रुकी।
- मध्य भारत: यहाँ 212.6 मिमी वर्षा दर्ज हुई, जो सामान्य से 24.8% अधिक रही — यह वृद्धि 2022 के बाद पहली बार देखी गई।
- पूर्वी और पूर्वोत्तर भारत: लगातार तीसरे वर्ष इस क्षेत्र में वर्षा की कमी रही। यहाँ केवल 272.9 मिमी वर्षा हुई, जो सामान्य से 16.9% कम थी।
- अन्य क्षेत्र: प्रायद्वीपीय और उत्तर-पश्चिम भारत में कोई विशेष वर्षा प्रवृत्ति नहीं देखी गई।
- राज्यवार आँकड़े: मणिपुर (242.7 मिमी) और मिजोरम (466.9 मिमी) ने 2019 और 2020 के बाद पहली बार सामान्य वर्षा दर्ज की। हालांकि अरुणाचल प्रदेश, असम, मेघालय, सिक्किम, बिहार, दिल्ली, छत्तीसगढ़, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और लक्षद्वीप में वर्षा सामान्य से कम रही।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- 1960 के बाद पहली बार मानसून ने जून में पूरे भारत को 10वीं बार कवर किया है।
- MJO की सक्रियता मानसून को तेज करने में अहम भूमिका निभाती है।
- ENSO और IOD के तटस्थ रहने से वर्षा पर कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ा।
- इस वर्ष जून में 80% से अधिक मौसम विज्ञान प्रभागों में सामान्य या सामान्य से अधिक वर्षा हुई।
समय से पहले और सामान्य से अधिक मानसून न केवल कृषि क्षेत्र के लिए उत्साहजनक है, बल्कि यह खाद्य उत्पादन, जल भंडारण और ग्रामीण आजीविका में स्थिरता लाने में भी सहायक होगा। हालांकि कुछ क्षेत्रों में वर्षा की कमी चिंता का विषय बनी हुई है, परंतु समग्र रूप से मानसून का यह प्रदर्शन सकारात्मक संकेत देता है।