विकास के लिए निजी पूंजी जुटाना अनिवार्य: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का सात सूत्रीय एजेंडा

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संयुक्त राष्ट्र द्वारा सेविले, स्पेन में आयोजित “वित्तपोषण फॉर डेवलपमेंट” (FFD4) के चौथे अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में मुख्य भाषण देते हुए यह स्पष्ट किया कि विकासशील अर्थव्यवस्थाओं के लिए निजी पूंजी जुटाना अब सिर्फ एक रणनीति नहीं, बल्कि एक विकासगत आवश्यकता बन चुकी है। उन्होंने इस दिशा में भारत के अनुभवों के आधार पर सात प्रमुख रणनीतिक बिंदु प्रस्तुत किए, जो वैश्विक निवेश परिदृश्य में परिवर्तन ला सकते हैं।

भारत की सात-सूत्रीय रणनीति

1. सशक्त घरेलू वित्तीय बाजार

वित्त मंत्री ने कहा कि भारत ने अपने बैंकिंग प्रणाली को मजबूत करने और पूंजी बाजारों को गहरा करने में निवेश किया है। निवेशकों की सुरक्षा और नवाचार के बीच संतुलन बनाते हुए नियामकीय ढांचे विकसित किए गए हैं, जिससे दीर्घकालिक निवेश को बढ़ावा मिला है।

2. जोखिम धारणा को सुधारने हेतु संस्थागत सुधार

भारत ने स्वतंत्र नियामकों की स्थापना, पारदर्शी निविदा प्रक्रियाएँ, मानकीकृत अनुबंध और व्यापार सुगमता में सुधार जैसे कदमों के माध्यम से निवेशकों के आत्मविश्वास को बढ़ाया है और लेन-देन लागत को कम किया है।

3. निवेश के लिए परियोजनाओं का स्केलेबल ढांचा

भारत की नवीकरणीय ऊर्जा में सफलता, विशेषकर सौर ऊर्जा उत्पादन की क्षमता 2014 के 2.8 GW से बढ़कर आज 110 GW हो जाना, यह दर्शाता है कि स्पष्ट लक्ष्य, प्रभावी निविदा प्रक्रिया और सरकारी समर्थन से निवेश को कैसे आकर्षित किया जा सकता है।

4. ब्लेंडेड फाइनेंस का विस्तार

सरकारी और रियायती वित्त के साथ मिलकर निजी निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए ग्रीन बॉन्ड, थीमैटिक बॉन्ड और इम्पैक्ट इनवेस्टमेंट टूल्स जैसे नवाचार अपनाए जा रहे हैं। ये उपाय जलवायु, स्वास्थ्य, शिक्षा और लैंगिक समानता जैसे क्षेत्रों में निवेश आकर्षित कर रहे हैं।

5. बहुपक्षीय विकास बैंकों की भूमिका

बहुपक्षीय विकास बैंक (MDBs) और विकास वित्त संस्थान (DFIs) को उन परियोजनाओं में प्राथमिक चरण में निवेश आकर्षित करने में सहायक बनना चाहिए जो वाणिज्यिक रूप से प्रारंभिक रूप में लाभदायक नहीं होतीं। इनके माध्यम से जोखिम कम कर निवेशकों को आकर्षित किया जा सकता है।

6. क्रेडिट रेटिंग पद्धतियों में सुधार

उन्होंने कहा कि उभरती अर्थव्यवस्थाओं की दीर्घकालिक स्थिरता और संरचनात्मक ताकतों को क्रेडिट रेटिंग में समुचित रूप से परिलक्षित नहीं किया जाता। भारत जैसे देशों के लिए यह सुधार आवश्यक है ताकि वित्तीय लागत कम हो और निवेश बढ़ सके।

7. सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (MSMEs) का समर्थन

नीचे से ऊपर तक निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए MSMEs को क्रेडिट, तकनीक और क्षमता विकास की आवश्यकता होती है। भारत में क्रेडिट गारंटी, तनावकालीन वित्त और ई-कॉमर्स एक्सपोर्ट हब जैसी पहलों ने इन उद्यमों की साख बढ़ाई है।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • FFD4 सम्मेलन संयुक्त राष्ट्र द्वारा सेविले, स्पेन में आयोजित किया गया, जहाँ भारत की वित्त मंत्री मुख्य वक्ता रहीं।
  • भारत की सौर ऊर्जा क्षमता 2014 में 2.8 GW थी, जो अब 110 GW के पार है।
  • ब्लेंडेड फाइनेंस एक ऐसी प्रणाली है जिसमें सार्वजनिक और निजी पूंजी को मिलाकर विकास परियोजनाओं में निवेश किया जाता है।
  • Compromiso de Sevilla सम्मेलन में साझा संकल्प के रूप में पेश किया गया, जो सतत विकास हेतु निजी निवेश को बढ़ाने का आह्वान करता है।

निर्मला सीतारमण ने अपने संबोधन में यह स्पष्ट किया कि अगर वैश्विक स्तर पर नियमन, सहयोग और दृष्टिकोण में तालमेल हो, तो निजी पूंजी एक शक्तिशाली विकास इंजन बन सकती है। भारत के अनुभव और दृष्टिकोण अब वैश्विक मंच पर एक आदर्श के रूप में सामने आ रहे हैं, जिससे विकासशील देशों को सशक्त बनाने का मार्ग प्रशस्त हो रहा है।

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