यूनिकोड कंसोर्टियम में भारत की वापसी: भारतीय भाषाओं की वैश्विक मान्यता की दिशा में एक कदम

भारत सरकार का इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) इस वर्ष यूनिकोड कंसोर्टियम में “सपोर्टिंग सदस्य” के रूप में फिर से शामिल हुआ है। यह एक महत्वपूर्ण तकनीकी निकाय है जो इंटरनेट पर प्रयोग होने वाले टेक्स्ट और इमोजी के वैश्विक मानक निर्धारित करता है, और जिसका कार्यभार वैश्विक भाषाओं की डिजिटल मान्यता सुनिश्चित करना है।
यूनिकोड कंसोर्टियम और भारत की भूमिका
यूनिकोड कंसोर्टियम का मुख्य कार्य दुनिया भर की भाषाओं, लिपियों और प्रतीकों को डिजिटल स्वरूप में लाने के लिए एक सार्वभौमिक मानक बनाना है। भारत के संदर्भ में यह विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, क्योंकि देश में दर्जनों भाषाएं और अनेक लिपियाँ प्रयोग में हैं।
MeitY पहले 2000 से 2019 तक सदस्य रहा था, और 2021 में भी एक वर्ष के लिए सदस्य बना था। इस वर्ष दोबारा इसकी सदस्यता सूची में “भारत सरकार” नाम से एंट्री हुई है, और MeitY की वेबसाइट को लिंक किया गया है।
सदस्यता का महत्व और दायित्व
यह सदस्यता भारत सरकार को तकनीकी समिति में आधा वोट और बैठकों में भागीदारी का अधिकार देती है। यह सुविधा अमेरिका और ऑनलाइन माध्यमों में होने वाली बैठकों में भारत की भागीदारी सुनिश्चित करती है। इस सदस्यता की वार्षिक लागत $20,000 (लगभग ₹17 लाख) है।
MeitY की यह सदस्यता इसके “Technology Development for Indian Languages (TDIL)” कार्यक्रम का हिस्सा है, जो प्रारंभ में ASCII के विकल्प के रूप में भारतीय लिपियों का विकास करना चाहता था, और बाद में यूनिकोड के साथ समन्वय कर भारतीय लिपियों को वैश्विक स्वरूप में प्रस्तुत करने लगा।
राज्य सरकारों की भागीदारी और चुनौतियाँ
तमिलनाडु सरकार की ई-लर्निंग संस्था “Tamil Virtual Academy” ने भी यूनिकोड कंसोर्टियम की सदस्यता ली है और वह MeitY के अलावा दूसरी “Supporting Member” संस्था है। हालाँकि, 2016 के बाद इस संस्था ने किसी भी बैठक में भाग नहीं लिया और राज्य सरकार की विभिन्न एजेंसियाँ अब भी यूनिकोड के बजाय निजी टाइपफेस का उपयोग करती हैं। महाराष्ट्र और आंध्र प्रदेश जैसे अन्य राज्य भी कभी यूनिकोड सदस्य रहे हैं, लेकिन उन्होंने अपनी सदस्यता बाद में समाप्त कर दी।
दिलचस्प रूप से, MeitY इस वर्ष अप्रैल 22–24 के बीच हुई यूनिकोड तकनीकी समिति की बैठकों में उपस्थित नहीं था।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- यूनिकोड कंसोर्टियम विश्व स्तर पर टेक्स्ट और इमोजी के मानक निर्धारित करता है।
- भारत सरकार की सदस्यता एक “Supporting Member” के रूप में मान्यता प्राप्त है, जो तकनीकी समिति में आधा वोट देती है।
- TDIL पहल के तहत भारतीय भाषाओं के डिजिटल मानकीकरण का प्रयास 1990 के दशक से चल रहा है।
- तमिलनाडु की “Tamil Virtual Academy” दूसरी ऐसी संस्था है जो यूनिकोड में भारत का प्रतिनिधित्व करती है।
यूनिकोड कंसोर्टियम में भारत की सक्रिय और तकनीकी उपस्थिति डिजिटल भारत की बहुभाषिक पहचान को वैश्विक मंच पर सशक्त करती है। परंतु सदस्यता लेने के साथ ही नियमित भागीदारी और तकनीकी योगदान भी उतना ही महत्वपूर्ण है ताकि भारत की भाषाई विविधता डिजिटल जगत में पूरी तरह से प्रतिनिधित्व पा सके।