महानदी जल विवाद में सकारात्मक पहल: ओडिशा और छत्तीसगढ़ बातचीत से समाधान की ओर

लगभग एक दशक से चले आ रहे महानदी जल विवाद में एक सकारात्मक मोड़ आया है। ओडिशा और छत्तीसगढ़ राज्य सरकारों ने अब आपसी सहमति से समाधान की दिशा में पहल शुरू की है। इस महत्वपूर्ण प्रगति को ध्यान में रखते हुए महानदी जल विवाद न्यायाधिकरण ने दोनों राज्यों को आपसी बातचीत के लिए और समय देने का निर्णय लिया है।

वार्ता को मिला न्यायाधिकरण का समर्थन

शनिवार को हुई सुनवाई में न्यायमूर्ति बेला एम. त्रिवेदी की अध्यक्षता वाले न्यायाधिकरण ने दोनों राज्यों की ओर से प्राप्त पत्राचार और सकारात्मक रुख पर संतोष जताया। न्यायाधिकरण ने दोनों राज्यों के संबंधित सचिवों को 6 सितंबर को अगली सुनवाई में उपस्थित होने और वार्ता की प्रगति से अवगत कराने को कहा है।

मुख्यमंत्री स्तर की बातचीत से बना विश्वास

ओडिशा के महाधिवक्ता पितांबर आचार्य ने न्यायाधिकरण को बताया कि दोनों राज्यों के मुख्य सचिव और मुख्यमंत्री स्तर पर संवाद हो चुका है। उन्होंने ओडिशा के मुख्यमंत्री मोहन चरण मांझी द्वारा 25 जुलाई को छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय को भेजे गए पत्र और वार्ता के मसौदा मिनट्स की प्रति भी प्रस्तुत की।
छत्तीसगढ़ सरकार के वरिष्ठ अधिवक्ता ने भी जानकारी दी कि इस प्रस्ताव पर उनके मुख्यमंत्री द्वारा विचार किया जा रहा है और समाधान के द्वार खुले हैं।

विवाद की पृष्ठभूमि और वर्तमान स्थिति

महानदी विवाद तब गहराया जब ओडिशा ने छत्तीसगढ़ पर आरोप लगाया कि उसने महानदी के ऊपरी क्षेत्रों में बांध और बैराज बनाकर जल प्रवाह को रोक दिया है, जिससे ओडिशा के निचले इलाकों में कृषि और जीवनयापन प्रभावित हुआ है। नवंबर 2016 में ओडिशा ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया, जिसके बाद मार्च 2018 में केंद्र सरकार ने न्यायाधिकरण का गठन किया।
हालांकि 2018 से 2024 तक की कार्यवाही में कोई ठोस निर्णय नहीं हो पाया है। महाधिवक्ता आचार्य के अनुसार, केवल एक गवाह की गवाही पूरी हुई है और यदि यही गति रही, तो न्यायाधिकरण का निष्कर्ष और 10 वर्षों तक भी नहीं निकल पाएगा।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • महानदी जल विवाद न्यायाधिकरण का गठन मार्च 2018 में किया गया था।
  • ओडिशा ने 2016 में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर न्यायाधिकरण गठन की मांग की थी।
  • विवाद का मुख्य कारण छत्तीसगढ़ द्वारा बांधों और बैराजों का निर्माण है जिससे निचले क्षेत्र में जल प्रवाह कम हो गया है।
  • भारत में अब तक कोई भी अंतर-राज्यीय जल विवाद पूरी तरह से न्यायाधिकरण के जरिए हल नहीं हुआ है।
  • केंद्र सरकार, गृहमंत्री और जल शक्ति मंत्रालय भी इस मुद्दे पर मध्यस्थता में लगे हैं।

राजनीतिक स्तर पर चल रही यह वार्ता यदि सफल होती है, तो यह न केवल महानदी विवाद को सुलझाएगी बल्कि भारत में जल विवादों के समाधान का एक नया मॉडल भी प्रस्तुत करेगी। केंद्र और दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों की सहमति इस दिशा में आशाजनक संकेत है कि जल्द ही इस लंबे विवाद का शांतिपूर्ण अंत हो सकता है।

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