भारत में डिजिटल ऊर्जा क्रांति की ओर: इंडिया एनर्जी स्टैक (IES) की शुरुआत

भारत सरकार ने ऊर्जा क्षेत्र में एक नई डिजिटल क्रांति की ओर कदम बढ़ाते हुए ‘इंडिया एनर्जी स्टैक’ (IES) की परिकल्पना की है। यह पहल ऊर्जा क्षेत्र के लिए एक एकीकृत, सुरक्षित और इंटरऑपरेबल डिजिटल अवसंरचना विकसित करने की दिशा में एक ऐतिहासिक प्रयास है। भारत के $5 ट्रिलियन अर्थव्यवस्था बनने और नेट ज़ीरो लक्ष्य प्राप्त करने के संकल्प के बीच यह स्टैक ऊर्जा व्यवस्था के हर पहलू को सशक्त करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
ऊर्जा क्षेत्र में डिजिटल एकीकरण की आवश्यकता
देश में नवीकरणीय ऊर्जा, इलेक्ट्रिक वाहनों और उपभोक्ताओं की सक्रिय भागीदारी के चलते ऊर्जा क्षेत्र में तीव्र परिवर्तन हो रहा है। परंतु, इस क्षेत्र की सबसे बड़ी चुनौती प्रणाली की विखंडित संरचना और डिजिटल समन्वय की कमी है। इसी चुनौती का समाधान IES के माध्यम से किया जा रहा है, जो एक डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर के रूप में कार्य करेगा।
इस प्लेटफॉर्म के तहत उपभोक्ताओं, ऊर्जा परिसंपत्तियों और लेनदेन के लिए अद्वितीय पहचान संख्या (Unique IDs) प्रदान की जाएगी। डेटा साझाकरण वास्तविक समय में, सहमति-आधारित और सुरक्षित रूप से होगा। ओपन APIs के माध्यम से विभिन्न प्रणालियों का एकीकरण सुगम होगा, जिससे नवाचार और उपभोक्ता सशक्तिकरण को बल मिलेगा।
यूटिलिटी इंटेलिजेंस प्लेटफॉर्म (UIP) की अवधारणा
IES के अंतर्गत ‘यूटिलिटी इंटेलिजेंस प्लेटफॉर्म’ (UIP) का भी निर्माण किया जा रहा है, जो एक मॉड्यूलर और विश्लेषणात्मक एप्लिकेशन होगा। यह डिस्कॉम, नीति निर्माताओं और उपभोक्ताओं को वास्तविक समय में ऊर्जा से जुड़ी सूचनाएं और विश्लेषण उपलब्ध कराएगा। इससे ऊर्जा प्रबंधन अधिक स्मार्ट, पारदर्शी और उत्तरदायी बनेगा।
UIP की पायलट परीक्षण परियोजनाएं दिल्ली, गुजरात और मुंबई में शुरू की जाएंगी। इन परियोजनाओं के निष्कर्षों के आधार पर IES के राष्ट्रव्यापी कार्यान्वयन की रणनीति तय की जाएगी।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- इंडिया एनर्जी स्टैक (IES) भारत सरकार की ऊर्जा मंत्रालय द्वारा शुरू की गई एक डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना (DPI) पहल है।
- डिजिटल समावेशन के क्षेत्र में, यह पहल आधार और UPI जैसे नवाचारों के समकक्ष मानी जा रही है।
- Utility Intelligence Platform (UIP) IES पर आधारित एक एप्लिकेशन है जो डिस्कॉम्स और नीति निर्माताओं को डेटा-संचालित निर्णयों में सहायता करेगा।
- Proof of Concept (PoC) के तहत अगले 12 महीनों में UIP की वास्तविक परियोजनाओं में पायलट परीक्षण किए जाएंगे।
IES की परिकल्पना एक ऐसे भविष्य को साकार करने की दिशा में है, जहाँ ऊर्जा सेवाएँ न केवल हर नागरिक के लिए सुलभ और विश्वसनीय होंगी, बल्कि उपभोक्ताओं को भी ऊर्जा बाजारों में भागीदारी का अवसर मिलेगा।
भारत के ऊर्जा क्षेत्र की यह डिजिटल क्रांति आधार और UPI जैसी सफलताओं की तर्ज पर ऊर्जा सेवाओं में भी पारदर्शिता, नवाचार और दक्षता लाने की क्षमता रखती है। अगर इसे कुशलता से कार्यान्वित किया गया, तो IES देश की ऊर्जा आवश्यकताओं को आधुनिक डिजिटल मानकों के अनुरूप ढालते हुए आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक मजबूत आधारशिला सिद्ध होगा।