भारत ने यूएन में कतर की संप्रभुता का किया समर्थन, इस्राइल के हमले की निंदा

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (UNHRC) में भारत ने कतर की संप्रभुता के उल्लंघन पर कड़ा रुख अपनाते हुए 9 सितंबर 2025 को दोहा पर हुए इस्राइली हमले की कड़ी आलोचना की। जिनेवा में हुई बैठक में भारत के स्थायी प्रतिनिधि अरिंदम बागची ने इस हमले की “स्पष्ट और सख्त” शब्दों में निंदा करते हुए कहा कि इस तरह की कार्रवाई न केवल क्षेत्रीय स्थिरता बल्कि वैश्विक शांति के लिए भी खतरा है।
भारत की स्पष्ट कूटनीतिक स्थिति
अरिंदम बागची ने अपने संबोधन में कहा, “भारत हालिया हमलों और उनके क्षेत्रीय सुरक्षा पर प्रभाव को लेकर गहराई से चिंतित है। हम कतर की संप्रभुता का उल्लंघन करने वाले इस हमले की स्पष्ट रूप से निंदा करते हैं। इस प्रकार की कार्रवाइयाँ केवल क्षेत्रीय नहीं, बल्कि वैश्विक स्थिरता और सुरक्षा के लिए भी गंभीर खतरा हैं।”
हालांकि, भारत ने अपने वक्तव्य में इस्राइल का नाम नहीं लिया, लेकिन यह पहली बार है जब भारत ने इतने स्पष्ट रूप से कतर की संप्रभुता के समर्थन में आवाज उठाई है। इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कतर के अमीर शेख तमीम बिन हमद अल-थानी से बातचीत में भी कतर के समर्थन और कूटनीति के ज़रिए समाधान की वकालत की थी।
हमले की पृष्ठभूमि और अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया
9 सितंबर को इस्राइल ने दोहा में हमले किए, जिनका निशाना हमास के राजनीतिक नेता खालिद मिशाल और अन्य वार्ताकार थे। इन हमलों के बाद क्षेत्र में कूटनीतिक तनाव बढ़ गया। कतर ने इस हमले को अपनी मध्यस्थता भूमिका को कमजोर करने की कोशिश बताया।
15 सितंबर को कतर में एक आपातकालीन अरब-इस्लामिक शिखर सम्मेलन आयोजित किया गया, जिसमें 57 इस्लामी देशों के नेताओं और प्रतिनिधियों ने भाग लिया। इस सम्मेलन में इस्राइली हमले की एकस्वर में निंदा की गई और कतर की शांति स्थापना की भूमिका की सराहना की गई।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (UNHRC) का मुख्यालय जिनेवा, स्विट्ज़रलैंड में स्थित है।
- कतर की राजधानी दोहा मध्य पूर्व में एक प्रमुख कूटनीतिक केंद्र के रूप में उभरा है।
- हमास एक फिलिस्तीनी राजनीतिक और सैन्य संगठन है, जिसकी उपस्थिति गाज़ा में मजबूत है।
- भारत की विदेश नीति में संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान प्रमुख सिद्धांतों में शामिल है।