भारत ने परमाणु-सक्षम प्रथ्वी-II और अग्नि-I मिसाइलों का सफल परीक्षण किया, लद्दाख में ‘आकाश प्राइम’ भी उड़ा

भारत ने 17 जुलाई को रक्षा क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल करते हुए प्रथ्वी-II और अग्नि-I नामक परमाणु-सक्षम शॉर्ट-रेंज बैलिस्टिक मिसाइलों का सफल परीक्षण किया। ये परीक्षण ओडिशा के चांदीपुर स्थित इंटीग्रेटेड टेस्ट रेंज से Strategic Forces Command (SFC) के तहत किए गए।

प्रथ्वी-II और अग्नि-I: भारत की रणनीतिक शक्ति के स्तंभ

रक्षा मंत्रालय के अनुसार, ये परीक्षण सभी “ऑपरेशनल और तकनीकी मानकों” पर खरे उतरे हैं।

  • प्रथ्वी-II की मारक क्षमता लगभग 350 किमी है और यह 500 किलोग्राम तक का पेलोड (परमाणु या पारंपरिक) ले जाने में सक्षम है।
  • अग्नि-I मिसाइल की रेंज 700–900 किमी है और यह 1,000 किलोग्राम तक का पेलोड ढो सकती है।

ये दोनों मिसाइलें भारत की न्यूक्लियर डिटरेंस रणनीति का अहम हिस्सा हैं।

लद्दाख में ‘आकाश प्राइम’ का परीक्षण: चीन सीमा के समीप बड़ी सफलता

एक दिन पहले, 16 जुलाई को भारत ने लद्दाख की ऊंचाई पर आकाश प्राइम मिसाइल का सफल परीक्षण किया। यह मिसाइल 4,500 मीटर से अधिक ऊंचाई पर कार्य करने में सक्षम है और विशेष रूप से भारतीय सेना के लिए विकसित की गई है।
परीक्षण के दौरान दो हाई-स्पीड हवाई लक्ष्यों को सटीकता से नष्ट किया गया।

  • आकाश प्राइम मूल आकाश प्रणाली का उन्नत संस्करण है जिसमें देश में विकसित रेडियो फ्रीक्वेंसी सीकर जैसी नई तकनीकें जोड़ी गई हैं।
  • यह परीक्षण LAC (लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल) के निकट होने के कारण सामरिक रूप से बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • प्रथ्वी-II: रेंज 350 किमी, पेलोड 500 किग्रा, परमाणु एवं पारंपरिक दोनों पेलोड ले सकती है।
  • अग्नि-I: रेंज 700–900 किमी, पेलोड 1,000 किग्रा, परमाणु सक्षम।
  • आकाश प्राइम: उच्च ऊंचाई वाले इलाकों के लिए अनुकूलित, देश में विकसित एयर डिफेंस प्रणाली।
  • Strategic Forces Command (SFC): भारत के परमाणु हथियारों के संचालन के लिए जिम्मेदार।

आत्मनिर्भर भारत की ओर कदम

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने DRDO, भारतीय सेना और रक्षा उद्योग को इस सफलता के लिए बधाई दी और इसे “उल्लेखनीय उपलब्धि” बताया। यह परीक्षण ‘ऑपरेशन सिंदूर’ में भारत की स्वदेशी वायु रक्षा प्रणाली की शानदार प्रदर्शन के बाद आया है।

निष्कर्ष: स्वदेशी रक्षा ताकत को नया बल

इन परीक्षणों से भारत ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि वह तकनीकी आत्मनिर्भरता की दिशा में मजबूती से आगे बढ़ रहा है। जहां एक ओर बैलिस्टिक मिसाइलें परमाणु निरोधक शक्ति को मजबूत करती हैं, वहीं आकाश प्राइम जैसी प्रणालियाँ देश की हवाई सुरक्षा को नया आयाम देती हैं — विशेष रूप से संवेदनशील सीमावर्ती क्षेत्रों में।

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