भारत का अत्याधुनिक हाइपरसोनिक मिसाइल परीक्षण: ET-LDHCM से एशिया में सामरिक संतुलन बदलने की तैयारी

ऑपरेशन सिंदूर की सफलता के एक महीने बाद, भारत अब अपने अब तक के सबसे उन्नत हाइपरसोनिक क्रूज़ मिसाइल ET-LDHCM के परीक्षण की तैयारी में है। DRDO के गुप्त “प्रोजेक्ट विष्णु” के तहत पूरी तरह स्वदेशी तकनीक से विकसित यह मिसाइल भारत की रणनीतिक क्षमता को एक नया आयाम देगी।
क्या है ET-LDHCM?
ET-LDHCM का पूर्ण नाम है Extended Trajectory–Long Duration Hypersonic Cruise Missile। यह मिसाइल Mach 8 (लगभग 11,000 किमी/घंटा) की गति से उड़ान भर सकती है — जो ध्वनि की गति से आठ गुना अधिक है। इसकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि मौजूदा रडार और एयर डिफेंस सिस्टम से इसे रोकना लगभग असंभव है।
मिसाइल की प्रमुख विशेषताएं
- मारक दूरी: लगभग 1,500 किलोमीटर।
- वारहेड क्षमता: 1,000 से 2,000 किलोग्राम का पारंपरिक या परमाणु विस्फोटक।
- प्रणोदन प्रणाली: Scramjet इंजन, जो वातावरण से ऑक्सीजन लेकर ईंधन जलाता है।
- गति: 3 किमी प्रति सेकंड तक की रफ्तार।
- सामरिक लचीलापन: भूमि, वायु और समुद्र — तीनों माध्यमों से लॉन्च संभव।
- सामग्री: 2,000 डिग्री सेल्सियस तक तापमान सहने में सक्षम हीट-रेजिस्टेंट और ऑक्सीडेशन-प्रतिरोधी कोटिंग्स।
- मैन्युवरेबिलिटी: उड़ान के दौरान दिशा बदलने की क्षमता।
रणनीतिक महत्व और लक्ष्य
यह मिसाइल भारत को चीन या पाकिस्तान के भीतर गहरे तक, कुछ ही मिनटों में, अत्यंत सटीक और विध्वंसकारी हमले करने की क्षमता देती है। यह कम ऊंचाई पर उड़ान भरने वाली, अत्यधिक गतिशील और रडार से बचने वाली मिसाइल, दुश्मन के लिए एक “डरावना सपना” बन सकती है।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- ET-LDHCM का निर्माण डॉ एपीजे अब्दुल कलाम मिसाइल परिसर, हैदराबाद में हुआ है।
- भारत अब अमेरिका, रूस और चीन के साथ हाइपरसोनिक मिसाइल तकनीक रखने वाले चुनिंदा देशों में शामिल हो गया है।
- DRDO ने Scramjet इंजन का 1,000 सेकंड का सफल ग्राउंड टेस्ट पहले ही पूरा किया है।
- इस तकनीक का उपयोग आपदा राहत, उपग्रह प्रक्षेपण और एयरोस्पेस विकास में भी संभव है।
भविष्य की दिशा
ET-LDHCM का परीक्षण केवल सैन्य शक्ति का प्रदर्शन नहीं है, बल्कि यह भारत की तकनीकी आत्मनिर्भरता, रक्षा क्षेत्र में MSMEs की भागीदारी और रोजगार सृजन की दिशा में भी एक निर्णायक कदम है। यह मिसाइल भविष्य में भारत की रणनीतिक पहुंच, निवारक क्षमता और वैश्विक स्थिति को मजबूत करेगी।
भारत अब न केवल दुश्मन के हमले का जवाब देने में सक्षम है, बल्कि पहले सटीक और निर्णायक प्रहार करने की स्थिति में भी है — वह भी इतनी तेजी से कि दुश्मन को संभलने का समय भी न मिले।