नीलगिरी तहर की जनगणना में खुलासा: केरल और तमिलनाडु में कुल 2,668 की आबादी

भारत के दक्षिणी राज्य केरल और तमिलनाडु में पहली बार संयुक्त रूप से कराई गई नीलगिरी तहर की जनगणना में इनकी कुल संख्या 2,668 पाई गई है। यह आंकड़ा न केवल इन पहाड़ी क्षेत्रों में जैव विविधता की स्थिति को दर्शाता है, बल्कि संरक्षण प्रयासों की सफलता की ओर भी संकेत करता है। इस अध्ययन ने न केवल नीलगिरी तहर के वितरण और आवास की स्थिति को उजागर किया, बल्कि पारिस्थितिकी तंत्र में इनकी भूमिका और चुनौतियों पर भी प्रकाश डाला।
केरल और तमिलनाडु में आबादी का वितरण
नीलगिरी तहर की यह आबादी दो राज्यों में लगभग समान रूप से बंटी हुई है। केरल में 1,365 जबकि तमिलनाडु में 1,303 तहर पाए गए। केरल के इरविकुलम राष्ट्रीय उद्यान (ENP) में इनकी सबसे बड़ी सघन आबादी है, जहां 841 तहर दर्ज किए गए। यह आंकड़ा 2024 में दर्ज की गई संख्या 827 से अधिक है, जो आबादी में वृद्धि को दर्शाता है। राज्य में तहरों की 90% आबादी मुन्नार लैंडस्केप में पाई जाती है।
वहीं तमिलनाडु में इनकी प्रमुख उपस्थिति मुकुर्थी नेशनल पार्क और ग्रास हिल्स नेशनल पार्क में पाई गई है, जो केरल की सीमा से सटे हैं। यह आपसी सीमा क्षेत्रों में वन्यजीव प्रबंधन में समन्वय की आवश्यकता को रेखांकित करता है।
नियंत्रित आगजनी और घासभूमि का प्रबंधन
इरविकुलम राष्ट्रीय उद्यान में तहरों की संख्या बढ़ने का एक प्रमुख कारण वहां की घासभूमियों का सुनियोजित प्रबंधन है। पार्क में हर तीन साल पर नियंत्रित रूप से घास को जलाया जाता है, जिससे नई और पोषक घास उगती है। यह प्रक्रिया पारंपरिक मुथुवन जनजातियों के ज्ञान पर आधारित है और पिछले 30 वर्षों से अपनाई जा रही है।
वाइल्डलाइफ वार्डन के.वी. हरिकृष्णन के अनुसार, इस वर्ष पार्क में 144 नए तहर शावकों का जन्म हुआ है, जो नवांकुरित घास पर निर्भर हैं। यह न केवल भोजन सुरक्षा सुनिश्चित करता है, बल्कि तहरों की प्रजनन क्षमता को भी बढ़ावा देता है। इसके अतिरिक्त, तहर बाघ और तेंदुए जैसे शिकारी प्राणियों का प्रमुख शिकार होते हैं, जिससे उनके नियंत्रण में भी मदद मिलती है और ये शिकारी मानव बस्तियों की ओर नहीं भटकते।
सर्वेक्षण की प्रक्रिया और जैव विविधता
यह संयुक्त सर्वेक्षण चार दिनों तक चला और केरल में 89 तथा तमिलनाडु में 182 सेंसर ब्लॉकों में किया गया। केरल के 19 वन प्रभागों में, तिरुवनंतपुरम से वायनाड तक, तहर की उपस्थिति दर्ज की गई। इसमें ‘बाउंडेड काउंट’ और ‘डबल ऑब्जर्वर’ जैसी मानकीकृत तकनीकों का उपयोग किया गया, जिससे आंकड़ों की विश्वसनीयता बढ़ी।
सर्वेक्षण का एक अन्य उद्देश्य था पुराने आवास क्षेत्रों में तहरों की उपस्थिति का पता लगाना और आवासीय जुड़ाव की संभावनाओं का मूल्यांकन करना। यह पाया गया कि तहरों के आवास क्षेत्रों में बाघ, तेंदुआ, धोल, नीलगिरी लंगूर और लॉयन-टेल्ड मकाक जैसे जैव विविध प्राणी भी निवास करते हैं।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- नीलगिरी तहर एक स्थानिक (endemic) प्रजाति है जो केवल दक्षिण भारत के पश्चिमी घाट में पाई जाती है।
- इरविकुलम राष्ट्रीय उद्यान, मुन्नार में स्थित, नीलगिरी तहर का सबसे बड़ा प्राकृतिक आवास है।
- ‘नियंत्रित आगजनी’ तकनीक भारत में पारंपरिक जनजातीय ज्ञान के आधार पर अपनाई गई एक सफल वन प्रबंधन पद्धति है।
- नीलगिरी तहर, IUCN की रेड लिस्ट में संकटग्रस्त (Endangered) प्रजाति के रूप में सूचीबद्ध है।
यह सर्वेक्षण न केवल नीलगिरी तहर संरक्षण में एक मील का पत्थर साबित हुआ है, बल्कि यह पारिस्थितिकी तंत्र में अंतरराज्यीय सहयोग और वैज्ञानिक पद्धतियों के महत्त्व को भी रेखांकित करता है। भविष्य में इन प्रयासों को और अधिक संगठित रूप से आगे बढ़ाया जाना चाहिए ताकि इस दुर्लभ प्रजाति का संरक्षण दीर्घकालिक रूप से सुनिश्चित किया जा सके।