निवेशकों की सुरक्षा के लिए SEBI लाएगा नया वेरिफाइड UPI भुगतान तंत्र

भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) ने शेयर बाजार में निवेशकों को धोखाधड़ी से बचाने के लिए एक महत्वपूर्ण पहल की घोषणा की है। अक्टूबर 2025 से SEBI एक नया संरचित और सत्यापित UPI एड्रेस सिस्टम लागू करने जा रहा है, जो कि सभी पंजीकृत मध्यस्थों के लिए अनिवार्य होगा। इस कदम का उद्देश्य असंगठित और अवैध संस्थाओं द्वारा निवेशकों को गुमराह कर धन संग्रह को रोकना है।
नया वेरिफाइड UPI मैकेनिज्म क्या है?
नए UPI तंत्र के अंतर्गत, SEBI द्वारा पंजीकृत सभी निवेशक-सामना करने वाले मध्यस्थों को एक विशेष “@valid” हैंडल वाला UPI ID आवंटित किया जाएगा। यह UPI ID नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) द्वारा जारी किया जाएगा। उदाहरण के लिए, यदि किसी पंजीकृत ब्रोकिंग कंपनी ABC Ltd का खाता XYZ बैंक में है, तो उसका नया UPI ID होगा: abc.brk@validXYZ।
हर श्रेणी के मध्यस्थों के लिए एक विशिष्ट उपसर्ग अनिवार्य होगा, जैसे:
- स्टॉक ब्रोकर के लिए: .brk
- म्यूचुअल फंड के लिए: .mf
सत्यापित UPI लेन-देन में “हरे त्रिकोण के अंदर थम्ब्स-अप” का संकेत मिलेगा, जिससे निवेशक पहचान सकें कि वे किसी वैध इकाई को भुगतान कर रहे हैं।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- यह प्रणाली 1 अक्टूबर 2025 से प्रभाव में आएगी।
- NPCI भारत की खुदरा भुगतान प्रणाली संचालित करने वाली शीर्ष संस्था है और UPI प्लेटफॉर्म की मालिक है।
- नए SIP या मौजूदा SIP के नवीनीकरण में केवल नए UPI ID का प्रयोग अनिवार्य होगा।
- मौजूदा SIP व्यवस्था जारी रहेगी ताकि किसी प्रकार का व्यवधान न हो।
‘SEBI Check’ टूल: एक अतिरिक्त सुरक्षा परत
SEBI एक नया उपकरण ‘SEBI Check’ भी लॉन्च कर रहा है, जिससे निवेशक UPI ID और बैंक विवरण की वैधता की पुष्टि कर सकेंगे। यह टूल QR कोड स्कैन या मैन्युअल प्रविष्टि द्वारा UPI ID की जांच की सुविधा देगा, साथ ही बैंक खाता संख्या और IFSC कोड की पुष्टि भी संभव होगी।
निवेशकों और मध्यस्थों के लिए दिशानिर्देश
- मध्यस्थों के लिए: नए UPI ID प्राप्त करना और निवेशकों को उसके बारे में सूचित करना अनिवार्य होगा।
- निवेशकों के लिए: नया UPI ID विकल्प के रूप में उपलब्ध रहेगा। यदि वे UPI से भुगतान करते हैं, तो केवल नए ID के माध्यम से ही भुगतान संभव होगा।
SEBI की यह पहल डिजिटल भुगतान में पारदर्शिता, सुरक्षा और निवेशकों के विश्वास को बढ़ाने की दिशा में एक निर्णायक कदम है। इससे न केवल वित्तीय धोखाधड़ी पर रोक लगेगी, बल्कि पंजीकृत संस्थाओं की पहचान सरल और सुरक्षित हो सकेगी।