जलवायु कार्रवाई में महासागरों को प्राथमिकता: ब्राज़ील और फ्रांस की ‘ब्लू एनडीसी चैलेंज’ पहल

तीसरे संयुक्त महासागर सम्मेलन (UNOC3) के दौरान ब्राज़ील और फ्रांस ने ‘ब्लू एनडीसी चैलेंज‘ नामक एक नई वैश्विक पहल शुरू की है, जो जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई में महासागर आधारित समाधानों को केंद्र में लाने की मांग करती है। यह सम्मेलन 9 से 13 जून 2025 के बीच नीस, फ्रांस में आयोजित हो रहा है।

क्या है ब्लू एनडीसी चैलेंज?

यह पहल देशों से आग्रह करती है कि वे अपने राष्ट्रीय जलवायु प्रतिज्ञापत्रों (NDCs) में महासागर-केंद्रित जलवायु उपायों को शामिल करें। इसका लक्ष्य है कि आगामी UNFCCC COP30 सम्मेलन (बेलें, ब्राज़ील) से पहले अधिक से अधिक देश महासागर आधारित उपायों को अपनाएं।

कौन-कौन से देश हुए शामिल?

ब्राज़ील और फ्रांस के साथ इस पहल में शामिल होने वाले अन्य देश हैं:

  • ऑस्ट्रेलिया
  • फिजी
  • केन्या
  • मेक्सिको
  • पलाऊ
  • सेशेल्स

इन देशों ने अपने अद्यतन एनडीसी में महासागर-केंद्रित जलवायु कार्रवाई जोड़ने की प्रतिबद्धता जताई है।

महासागरीय उपायों की दिशा में वैश्विक प्रतिबद्धताएं

  • मैरीन स्पेशल प्लानिंग और एकीकृत तटीय प्रबंधन के माध्यम से समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र का संरक्षण और पुनर्स्थापन
  • ऑफशोर तेल और गैस परियोजनाओं का चरणबद्ध समापन
  • स्वच्छ महासागरीय ऊर्जा स्रोतों का विस्तार (जैसे विंड, वेव और टाइडल पावर)
  • समुद्री क्षेत्र में उत्सर्जन में कटौती और जलवायु अनुकूलन को मजबूत करना
  • सतत मत्स्य पालन और जलवायु-लचीला जलीय कृषि का समर्थन

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • NDCs (Nationally Determined Contributions) पेरिस समझौते के तहत देशों द्वारा प्रस्तुत जलवायु कार्य योजनाएं हैं।
  • पेरिस समझौता 2015 में COP21 में स्वीकार किया गया था, जिसमें 1.5°C के भीतर वैश्विक तापमान वृद्धि बनाए रखने का लक्ष्य है।
  • 2035 के लिए तीसरे चरण के NDCs की समयसीमा 10 फरवरी 2025 थी। अब तक केवल 21 देशों ने अपनी NDC जमा की है।
  • ब्लूमबर्ग फिलांथ्रॉपीज़ ने $6.8 मिलियन का निवेश ब्राज़ील के महासागर संरक्षण के लिए किया है।

भारत और वैश्विक दक्षिण के लिए क्या मायने?

यह पहल भारत जैसे समुद्री तटवर्ती देशों के लिए एक बड़ा अवसर है:

  • मैंग्रोव, कोरल रीफ, और तटीय पारिस्थितिकी तंत्र जलवायु शमन और अनुकूलन के प्रमुख साधन हैं।
  • रिपोर्ट्स के अनुसार, मैंग्रोव जमीन पर मौजूद वनों की तुलना में 10 गुना अधिक कार्बन संचित करते हैं।
  • महासागरीय समाधानों के माध्यम से कुल वैश्विक उत्सर्जन कटौती का 35% प्राप्त किया जा सकता है।

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