चीन के वर्चस्व को चुनौती: क्वाड द्वारा क्रिटिकल मिनरल्स सप्लाई चेन सुरक्षा पहल

भारत, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और जापान के सामरिक समूह क्वाड ने हाल ही में एक नई पहल — “क्वाड क्रिटिकल मिनरल्स इनिशिएटिव” — का शुभारंभ किया है। इस पहल का उद्देश्य वैश्विक आपूर्ति शृंखलाओं को सुरक्षित और विविध बनाना है, विशेष रूप से उन खनिजों के लिए जो इलेक्ट्रिक वाहनों, रक्षा उपकरणों, और आधुनिक इलेक्ट्रॉनिक्स में अत्यंत आवश्यक हैं। यह कदम चीन की आपूर्ति और प्रसंस्करण पर अत्यधिक निर्भरता को कम करने की दिशा में निर्णायक माना जा रहा है।
क्रिटिकल मिनरल्स: वैश्विक रणनीति का केंद्र
क्रिटिकल मिनरल्स में दुर्लभ अर्थ तत्व (REEs) जैसे नियोडिमियम, समारियम, गेडोलिनियम, टरबियम और डाइस्प्रोसियम शामिल हैं, जो अत्याधुनिक उपकरणों में उपयोग होते हैं। विशेष रूप से NdFeB मैग्नेट्स इलेक्ट्रिक वाहनों में आवश्यक होते हैं, जो EV मोटर्स को शक्तिशाली और ऊर्जा-दक्ष बनाते हैं। दुर्भाग्यवश, इनका अधिकांश वैश्विक उत्पादन और प्रसंस्करण चीन के नियंत्रण में है।
क्वाड की नई रणनीति: बहु-स्तरीय सहयोग
क्वाड ने संयुक्त बयान में कहा कि किसी एक देश पर अत्यधिक निर्भरता से आर्थिक दबाव, मूल्य नियंत्रण और आपूर्ति में व्यवधान की संभावना बढ़ जाती है। “क्वाड क्रिटिकल मिनरल्स इनिशिएटिव” के माध्यम से सदस्य देश निम्नलिखित क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाएंगे:
- आपूर्ति शृंखलाओं को सुरक्षित और विविध बनाना
- ई-कचरे से क्रिटिकल मिनरल्स की पुनःप्राप्ति
- निजी क्षेत्र के निवेश को बढ़ावा देना
- इलेक्ट्रॉनिक और रक्षा क्षेत्र के लिए आवश्यक खनिजों के स्थायी स्रोत बनाना
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- क्वाड क्रिटिकल मिनरल्स इनिशिएटिव की शुरुआत 2025 में चीन पर निर्भरता कम करने के उद्देश्य से की गई।
- REEs जैसे तत्व EV मोटर्स, जेट फाइटर, सेमीकंडक्टर्स आदि में उपयोग होते हैं।
- भारत का राष्ट्रीय क्रिटिकल मिनरल मिशन (NCMM) ₹16,300 करोड़ की लागत से आपूर्ति शृंखला को मजबूत करने हेतु कार्यरत है।
- G7 का RISE Initiative, जिसमें भारत भी भागीदार है, वैश्विक सहयोग के लिए $25 मिलियन की सहायता से शुरू हुआ।
भारत की चुनौती और अवसर
भारत की उभरती EV इंडस्ट्री को चीन के निर्यात प्रतिबंधों से झटका लगा है। भारतीय कार निर्माता कंपनियां अभी तक चीन से आवश्यक मैग्नेट्स की आपूर्ति सुनिश्चित नहीं कर पाई हैं। चीन अब पूरे इलेक्ट्रिक मोटर असेम्बली बेचने पर जोर दे रहा है, जिससे भारतीय विनिर्माताओं की आत्मनिर्भरता बाधित हो रही है।
हालांकि, भारत ने अमेरिका के साथ फरवरी 2025 में “TRUST” समझौता किया, जिसके अंतर्गत दोनों देश लिथियम और REEs जैसे खनिजों के निष्कर्षण और प्रसंस्करण में तकनीकी सहयोग करेंगे। इस पहल के तहत अमेरिकी वैज्ञानिकों ने भारतीय कंपनियों से साझेदारी के लिए मुंबई और पुणे का दौरा भी किया।
क्वाड की यह नई पहल वैश्विक स्तर पर आपूर्ति शृंखलाओं को स्थिरता और विविधता प्रदान करेगी। यह भारत जैसे विकासशील राष्ट्रों के लिए अवसरों के नए द्वार खोलेगी, जहां खनिजों की खोज, प्रसंस्करण तकनीकों का विकास, और अंतरराष्ट्रीय साझेदारियों की भूमिका निर्णायक होगी। यह पहल केवल खनिज आपूर्ति तक सीमित नहीं है, बल्कि वैश्विक रणनीतिक शक्ति संतुलन में भारत की भूमिका को भी सुदृढ़ करती है।