गोबर से बनेगा बायोप्लास्टिक: यूपी सरकार की नवाचार पहल से गांवों में ऊर्जा, रोजगार और पर्यावरण संरक्षण

उत्तर प्रदेश सरकार ने शुक्रवार को एक अनूठी और दूरदर्शी पहल की घोषणा की, जिसके तहत अब आवारा गायों के गोबर से बायोप्लास्टिक, बायोपॉलिमर, इको-फ्रेंडली वस्त्र, कागज, बायोगैस, कंपोस्ट और नैनोसेल्यूलोज जैसे सतत उत्पाद बनाए जाएंगे। यह योजना ‘हर गांव ऊर्जा केंद्र’ मॉडल के तहत ग्रामीण रोजगार, जैविक खेती और ऊर्जा आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने के उद्देश्य से शुरू की गई है।

गोबर: अब कचरा नहीं, ऊर्जा और नवाचार का स्रोत

उत्तर प्रदेश में प्रतिदिन लगभग 54 लाख किलोग्राम गोबर का उत्पादन होता है, विशेषकर आवारा पशुओं से। अब यह गोबर बायोटेक्नोलॉजी के जरिए बहुउपयोगी और टिकाऊ उत्पादों में बदला जाएगा। सरकार का मानना है कि यह नवाचार राज्य की ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती देगा और प्लास्टिक प्रदूषण से लड़ने में मदद करेगा।
गौ सेवा आयोग के अध्यक्ष श्याम बिहारी गुप्ता ने बताया कि यह योजना मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के ग्रामीण ऊर्जा और आर्थिक सशक्तिकरण के विजन के अनुरूप है।

वैज्ञानिक दृष्टिकोण और तकनीकी सहयोग

इस परियोजना की तकनीकी सलाहकार डॉ. शुचि वर्मा हैं, जो दिल्ली विश्वविद्यालय के रामजस कॉलेज में जैव प्रौद्योगिकी की सहायक प्रोफेसर हैं। उन्होंने गाय के गोबर से बायोप्लास्टिक बनाने की प्रभावशाली तकनीक विकसित की है, जिसे गौ सेवा आयोग के समक्ष प्रस्तुत भी किया गया है।
अनुराग श्रीवास्तव, विशेष कार्याधिकारी, ने बताया कि इस तकनीक के माध्यम से न केवल बायोप्लास्टिक उत्पादन संभव है, बल्कि यह ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार सृजन, महिला उद्यमिता और ऊर्जा आत्मनिर्भरता को भी गति देगा।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • उत्तर प्रदेश में प्रतिदिन 54 लाख किलोग्राम गोबर का उत्पादन होता है।
  • यह योजना ‘हर गांव ऊर्जा केंद्र’ मॉडल पर आधारित है, जिसका उद्देश्य ऊर्जा और रोजगार को गांवों में ही सुलभ बनाना है।
  • इस परियोजना से लाखों ग्रामीण युवाओं के लिए रोजगार अवसर और महिलाओं के लिए उद्यमिता के रास्ते खुलेंगे।
  • गायों की देखभाल को आत्मनिर्भर बनाने के लिए गौशालाओं को भी इस योजना से जोड़ा जाएगा।

इस पहल के ज़रिए उत्तर प्रदेश न केवल देश में बल्कि वैश्विक स्तर पर पर्यावरणीय स्थिरता के क्षेत्र में एक उदाहरण बनने की दिशा में अग्रसर है। यह न केवल गोबर के बेहतर उपयोग का मार्ग प्रशस्त करेगा, बल्कि स्वच्छता, पर्यावरण संरक्षण और ग्रामीण विकास का आदर्श मॉडल भी स्थापित करेगा।

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