क्यों केरल में सबसे पहले आता है मानसून? जानिए इस मौसम रहस्य का वैज्ञानिक कारण

गर्मी के चरम पर जब सूरज सिर के ऊपर तपता है, तब सबकी निगाहें आसमान की ओर उठती हैं — उस पहले बारिश की बूँद का इंतज़ार करते हुए। और यह पहली बूँद कहाँ गिरती है? केरल की हरी-भरी धरती पर — जिसे हम ‘गॉड्स ओन कंट्री’ के नाम से जानते हैं। पर आखिर क्यों? क्यों सबसे पहले मानसून केरल में दस्तक देता है? आइए, इसका वैज्ञानिक और भौगोलिक विश्लेषण करते हैं।
मानसून की यात्रा की शुरुआत
हर साल जून के आसपास, जब गर्मी चरम पर होती है, तो भारतीय उपमहाद्वीप की गर्म हवा ऊपर उठने लगती है। इससे अरब सागर से ठंडी, नम हवाएँ खिंचकर आती हैं। ये हवाएँ दक्षिण-पश्चिम दिशा से चलती हैं और भारी वर्षा वाले काले बादलों को अपने साथ लाती हैं। यही हैं हमारे ‘दक्षिण-पश्चिम मानसून’ की शुरुआत — जो भारत के कृषि और जलवायु चक्र की रीढ़ है।
क्यों केरल बनता है पहली बारिश का गवाह?
केरल की भौगोलिक स्थिति इसे मानसून की पहली दस्तक का स्वाभाविक केंद्र बनाती है। भारत के दक्षिण-पश्चिमी तट पर स्थित केरल, समुद्र से सबसे पहले टकराने वाली भूमि है, जहाँ मानसून के बादल अरब सागर से आते हुए सबसे पहले पहुँचते हैं।
इसके अलावा, यहाँ की पश्चिमी घाट पर्वतमाला भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। जब नम हवाएँ इन पर्वतों से टकराती हैं, तो वे ऊपर की ओर उठती हैं, जिससे ठंडक के कारण संघनन होता है और बारिश शुरू हो जाती है। यही कारण है कि केरल में मानसून की सबसे पहले और सबसे ज़ोरदार बारिश होती है।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- मानसून आगमन की सामान्य तिथि: 1 जून (पर 2025 में यह समय से पहले आ गया)
- भारत में सबसे अधिक वर्षा वाला स्थान: मेघालय का मौसिनराम — लगभग 11,000 मिमी वार्षिक वर्षा
- भारत का सबसे सूखा स्थान: लद्दाख का लेह — कभी-कभी सिर्फ 100 मिमी से भी कम बारिश
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भारत में दो मानसून होते हैं:
- दक्षिण-पश्चिम मानसून (जून से सितंबर)
- उत्तर-पूर्व मानसून (अक्टूबर से दिसंबर) — विशेषतः तमिलनाडु और पूर्वी तट के लिए महत्वपूर्ण
- मानसून आधारित प्रमुख त्योहार: ओणम (केरल), तीज (उत्तर भारत), पोंगल (तमिलनाडु)
- मानसून निगरानी संस्था: भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD)
मानसून की यात्रा
केरल में पहली बूँद गिरने के बाद, यह मानसूनी यात्रा उत्तर और पूर्व की ओर बढ़ती है। धीरे-धीरे पूरे देश में बारिश फैलती है — समुद्री तटों से लेकर हिमालय की चोटियों तक। सामान्यतः पूरे भारत को मानसून कवर करने में एक महीना लगता है।
निष्कर्ष
केरल में मानसून की पहली बूँद केवल एक मौसमीय घटना नहीं, बल्कि पूरे देश के लिए उम्मीद और जीवन का संकेत है। यह भारत के कृषि चक्र की शुरुआत करता है और असंख्य जीवनों को राहत प्रदान करता है। मौसम विज्ञान, भौगोलिक स्थिति और पारंपरिक ज्ञान — तीनों मिलकर इस अद्भुत प्राकृतिक घटना को आकार देते हैं।