कैसे ‘आकाशतीर’ और IACCS ने भारत को वायु रक्षा में बढ़त दिलाई?

‘आकाशतीर’ (Akash Teer) भारतीय सेना का एक क्रांतिकारी रक्षा प्रोजेक्ट है जिसे भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (BEL) द्वारा रक्षा मंत्रालय के निर्देश पर विकसित किया गया है। यह एक स्वचालित वायु रक्षा नियंत्रण और रिपोर्टिंग प्रणाली (Automated Air Defence Control and Reporting System – AADCRS) है, जिसे 1982 करोड़ रुपये की लागत से तैयार किया गया है। इसका उद्देश्य भारतीय सेना, वायुसेना और भविष्य में नौसेना को एक ही नेटवर्क में जोड़कर दुश्मन के हवाई खतरों का तत्काल और समन्वित जवाब देना है। यह प्रणाली सीमाओं पर तैनात राडार, सेंसर्स, मिसाइल सिस्टम, और सैटेलाइट्स को एक साझा डिजिटल ग्रिड पर जोड़ती है, जिससे दुश्मन की गतिविधियों की निगरानी, पहचान और जवाबी हमला संभव होता है। आकाशतीर को ऐसे डिज़ाइन किया गया है कि यह भारत के दुश्मनों की हर हवाई हिमाकत को हवा में ही ध्वस्त कर दे।

एकीकृत वायु कमान और नियंत्रण प्रणाली (IACCS) से जुड़ाव

भारतीय वायुसेना पहले से ही AFNet (Air Force Network) के तहत एक डिजिटल ग्रिड आधारित नेटवर्क संचालित करती रही है। परंतु थल सेना के पास ऐसा कोई एकीकृत सिस्टम नहीं था जो वायुसेना के साथ त्वरित समन्वय कर सके। इसी कारण प्रोजेक्ट आकाशतीर की आवश्यकता हुई। IACCS एक अत्याधुनिक सिस्टम है जो सभी वायु रक्षा संसाधनों – जैसे कि ग्राउंड राडार, AWACS, ड्रोन और फाइटर जेट्स – को एक साझा डिजिटल प्लेटफॉर्म पर लाकर नेट-सेंट्रिक युद्ध प्रणाली तैयार करता है। इस सिस्टम की सबसे खास बात यह है कि यह मल्टी-सोर्स डाटा (जैसे मौसम, टेरेन, रडार फीड) को रीयल-टाइम में प्रोसेस करके त्वरित और सटीक निर्णय लेता है।

ऑपरेशन सिंदूर: ‘आकाशतीर’ की पहली बड़ी परीक्षा

मई 2025 में हुए ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान द्वारा किए गए ड्रोन और मिसाइल हमलों को आकाशतीर प्रणाली ने सफलतापूर्वक विफल किया। इन हमलों के जवाब में भारत ने 13 लक्ष्यों, जिनमें आठ वायुसेना अड्डे शामिल थे, पर सटीक और समयबद्ध हमला किया। यह संभव हुआ IACCS और आकाशतीर की एकीकृत क्षमता के कारण, जिसने दुश्मन की हर हरकत को ट्रैक कर त्वरित प्रतिक्रिया दी।

भविष्य की त्रि-सेन्य संरचना: नौसेना की भूमिका और ‘त्रिगुण’

आकाशतीर और IACCS के साथ भारतीय नौसेना के ‘त्रिगुण’ सिस्टम को जोड़ने की योजना है, जो समुद्री डोमेन की निगरानी करता है। इसे सेंटर फॉर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एंड रोबोटिक्स (CAIR) द्वारा DRDO के मार्गदर्शन में विकसित किया गया है। यह सिस्टम समुद्र में जहाजों, पनडुब्बियों, और विमानों की पहचान कर भारतीय नौसेना को सतर्क करता है। जब यह तीनों सिस्टम – आकाशतीर, IACCS और त्रिगुण – एकीकृत होंगे, तो भारत की तीनों सेनाओं के बीच सिक्योर कम्युनिकेशन, रीयल-टाइम इंटेलिजेंस शेयरिंग, और समन्वित जवाबी कार्रवाई की अभूतपूर्व क्षमता विकसित होगी।

तकनीकी विशेषताएं और रणनीतिक लाभ

  • रीयल-टाइम निगरानी: राडार, सैटेलाइट और AWACS से मिली जानकारी का त्वरित प्रोसेसिंग। कमांड एंड कंट्रोल नेटवर्क: भारतीय सेना और वायुसेना मिलकर C2 (Command and Control) केंद्र विकसित कर रही हैं।
  • स्वदेशी आत्मनिर्भरता: आकाशतीर पूरी तरह स्वदेशी है, जिससे भारत की आत्मनिर्भर भारत पहल को बल मिला है। ऑटोमेटेड रिस्पॉन्स: दुश्मन का विमान, ड्रोन या मिसाइल दिखते ही मिसाइल सिस्टम, रॉकेट और फाइटर जेट्स सक्रिय हो जाते हैं।

वैश्विक स्तर पर प्रतिक्रिया

पाकिस्तानी रक्षा विश्लेषकों ने इसे “अभूतपूर्व” कहा है और यह स्वीकार किया है कि उन्होंने ऐसा नेटवर्क पहले कभी नहीं देखा। दुनिया भर के सैन्य विशेषज्ञ IACCS को युद्ध की रणनीतियों में ‘सिस्मिक शिफ्ट’ यानी आधारभूत बदलाव मान रहे हैं।

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