कृषि वानिकी को बढ़ावा देने केंद्र सरकार का बड़ा कदम: पेड़ कटाई के लिए मॉडल नियम जारी

भारत सरकार ने किसानों की आय बढ़ाने, जलवायु परिवर्तन को कम करने, वृक्षावरण बढ़ाने और लकड़ी के आयात को घटाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल की है। पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC) ने 18 जून 2025 को “कृषि भूमि पर पेड़ों की कटाई हेतु मॉडल नियम” अधिसूचित किए हैं। यह कदम विशेष रूप से कृषि वानिकी (Agroforestry) को व्यावसायिक रूप से लाभदायक बनाने और किसानों को स्पष्ट, पारदर्शी नियम प्रदान करने के उद्देश्य से उठाया गया है।

मॉडल नियम: किसानों के लिए डिजिटल और सरल प्रक्रिया

इन मॉडल नियमों के तहत निम्नलिखित प्रमुख व्यवस्थाएं की गई हैं:

  • राज्य स्तरीय समिति का गठन किया जाएगा जो आवेदक की जानकारी का मूल्यांकन और सत्यापन करेगी।
  • नेशनल टिम्बर मैनेजमेंट सिस्टम (NTMS) पोर्टल पर पंजीकरण अनिवार्य होगा, जिसमें भूमि का स्थान, वृक्ष की प्रजाति, पौधों की संख्या, रोपण तिथि और पौधों की ऊँचाई जैसी जानकारी देनी होगी।
  • 10 या उससे कम पेड़ों की कटाई के लिए फोटोग्राफ अपलोड कर स्वचालित नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट (NOC) प्राप्त किया जा सकेगा।
  • 10 से अधिक पेड़ों की कटाई के लिए फेलिंग परमिट जारी होगा, जो सत्यापन एजेंसी द्वारा जाँच के बाद पोर्टल पर प्रदत्त होगा।
  • पेड़ काटने के बाद, कटे हुए स्टंप की तस्वीरें भी पोर्टल पर अपलोड करनी होंगी।

पारदर्शिता और निगरानी की व्यवस्था

संपूर्ण प्रक्रिया डिजिटल होगी जिससे अनावश्यक देरी और भ्रष्टाचार पर रोक लगेगी। इसके साथ ही डिविजनल फॉरेस्ट ऑफिसर्स (DFOs) इन एजेंसियों के कार्यों की निगरानी और निरीक्षण करेंगे।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • MoEFCC द्वारा 18 जून 2025 को यह अधिसूचना जारी की गई।
  • NTMS (National Timber Management System) एक डिजिटल पोर्टल है, जो वृक्ष कटाई प्रक्रिया को सरल और पारदर्शी बनाने के लिए बनाया गया है।
  • Agroforestry के तहत किसान खेती के साथ वृक्षारोपण कर सकते हैं और उससे होने वाली लकड़ी को बाजार में बेच सकते हैं।
  • इस पहल का उद्देश्य है – किसानों की आय में वृद्धि, जलवायु परिवर्तन से निपटना, टिकाऊ उपयोग सुनिश्चित करना और लकड़ी के आयात में कमी लाना।

यह पहल भारत में कृषि वानिकी को व्यापक स्तर पर अपनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है। इससे न केवल किसानों को अतिरिक्त आय के अवसर मिलेंगे, बल्कि पर्यावरण संरक्षण और हरित आवरण में भी उल्लेखनीय वृद्धि होगी। देश भर के किसान, भूमि स्वामी और उद्यमी इस डिजिटल प्रक्रिया से लाभान्वित होंगे और एक समृद्ध, हरित भारत की ओर कदम बढ़ा सकेंगे।

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