ऑपरेशन सिक्योर: 20,000 से अधिक साइबर अपराध लिंक हटाए गए, इंटरपोल का वैश्विक साइबर हमलों पर करारा प्रहार

जनवरी से अप्रैल 2025 के बीच इंटरपोल के नेतृत्व में चलाए गए ‘ऑपरेशन सिक्योर’ के तहत, 26 देशों के सुरक्षा एजेंसियों ने एक वैश्विक साइबर अभियान में 20,000 से अधिक दुर्भावनापूर्ण IP पते और डोमेन को निष्क्रिय किया। इस अभियान का उद्देश्य था सूचना चोर मैलवेयर (Information Stealers) से जुड़े साइबर अपराध ढांचे को समाप्त करना।

ऑपरेशन सिक्योर: कैसे हुआ अभियान का संचालन?

इंटरपोल ने इस क्षेत्रीय अभियान को Asia and South Pacific Joint Operations Against Cybercrime Project के तहत अंजाम दिया। इसमें भारत, वियतनाम, श्रीलंका, नाउरु, हांगकांग सहित 26 देशों ने भाग लिया। कार्रवाई के दौरान 41 सर्वर जब्त किए गए और 100 गीगाबाइट से अधिक डाटा इकट्ठा किया गया। साथ ही 32 साइबर अपराधियों को गिरफ्तार किया गया।
सहयोगी निजी कंपनियां जैसे Group-IB, Kaspersky और Trend Micro ने इस ऑपरेशन के लिए महत्वपूर्ण साइबर इंटेलिजेंस प्रदान की। यह जानकारी विभिन्न देशों की साइबर सुरक्षा टीमों के साथ साझा की गई, जिससे 79% संदिग्ध IP पतों को निष्क्रिय करने में सफलता मिली।

सूचना चोर मैलवेयर: कैसे करते हैं काम?

इन्फोस्टीलर मैलवेयर संक्रमित उपकरणों से संवेदनशील जानकारी चुराते हैं, जैसे कि ब्राउज़र क्रेडेंशियल्स, पासवर्ड, कुकीज़, क्रेडिट कार्ड डिटेल्स और क्रिप्टोकरेंसी वॉलेट की जानकारी। ये जानकारी अक्सर “लॉग्स” के रूप में साइबर अंडरग्राउंड बाजारों में बेची जाती है। ऐसे लॉग्स का उपयोग बाद में रैंसमवेयर हमलों, डेटा चोरी और बिजनेस ईमेल कंप्रोमाइज जैसे अपराधों के लिए किया जाता है।

बड़ी गिरफ्तारियां और जब्ती

  • वियतनाम में 18 अपराधियों को गिरफ्तार किया गया, जिनके पास से $11,500 नकद, सिम कार्ड और व्यवसायिक दस्तावेज बरामद हुए।
  • श्रीलंका में 12 और नाउरु में 2 संदिग्ध पकड़े गए।
  • हांगकांग में 117 कमांड-एंड-कंट्रोल सर्वरों की पहचान हुई, जो 89 इंटरनेट सेवा प्रदाताओं पर होस्ट किए गए थे। इनका उपयोग फ़िशिंग और ऑनलाइन धोखाधड़ी जैसी गतिविधियों के लिए किया जाता था।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • ऑपरेशन सिक्योर में 26 देशों की भागीदारी थी, जिनमें भारत, जापान, सिंगापुर, इंडोनेशिया, वियतनाम, श्रीलंका जैसे देश शामिल थे।
  • कुल 20,000 से अधिक दुर्भावनापूर्ण IP/डोमेन निष्क्रिय किए गए।
  • 2,16,000 से अधिक पीड़ितों और संभावित पीड़ितों को अलर्ट किया गया ताकि वे पासवर्ड बदल सकें और खाते सुरक्षित कर सकें।
  • Group-IB ने लुम्मा, राइज़प्रो और मेटा स्टीलर जैसे प्रमुख मैलवेयर से जुड़े खतरों की जानकारी साझा की।

यह अभियान न केवल वैश्विक साइबर सुरक्षा के लिए एक बड़ी जीत है, बल्कि यह दिखाता है कि अंतरराष्ट्रीय सहयोग और तकनीकी इंटेलिजेंस से साइबर अपराध के जटिल नेटवर्क को भी ध्वस्त किया जा सकता है। यह कदम भविष्य में साइबर अपराधियों के मनोबल को तोड़ने और आम लोगों की डिजिटल सुरक्षा सुनिश्चित करने की दिशा में एक बड़ा प्रयास है।

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