ईरान पर इज़राइल का हमला: परमाणु विवाद से युद्ध की ओर बढ़ता संकट

13 जून 2025 को इज़राइल ने ईरान के खिलाफ एक बड़ा सैन्य हमला करते हुए दशकों से चले आ रहे छाया युद्ध को एक खुले और व्यापक संघर्ष में बदल दिया। तेहरान में सुबह-सुबह हुए विस्फोटों ने इस हमले की भयावहता को उजागर किया, जिसका उद्देश्य ईरान के परमाणु और सैन्य ठिकानों को निशाना बनाना था। इस कार्रवाई ने मध्य-पूर्व में शांति को गंभीर खतरे में डाल दिया है और क्षेत्रीय युद्ध की आशंका को बल दिया है।

परमाणु ठिकाने और सैन्य नेतृत्व पर हमला

इज़राइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा कि यह हमला ईरान को परमाणु हथियार बनाने से रोकने के लिए किया गया है। इज़राइल ने नतांज़ परमाणु संयंत्र, बैलिस्टिक मिसाइल भंडार और ईरान के शीर्ष वैज्ञानिकों को लक्ष्य बनाया। ईरानी राज्य मीडिया के अनुसार, रिवोल्यूशनरी गार्ड्स के प्रमुख जनरल हुसैन सलामी और दो प्रमुख परमाणु वैज्ञानिकों की मृत्यु हो गई।
तेहरान में नागरिकों ने कई बड़े विस्फोटों की आवाजें सुनीं। टेलीविजन फुटेज में जली हुई इमारतें, टूटी खिड़कियाँ और आग की लपटें दिखाई गईं। इज़राइल ने संभावित जवाबी कार्रवाई को देखते हुए अपने हवाई क्षेत्र को बंद कर दिया और हजारों सैनिकों को तैनात किया है।

परमाणु कार्यक्रम की प्रगति और अंतरराष्ट्रीय संकट

नेतन्याहू का दावा है कि ईरान परमाणु बम बनाने से केवल एक “तकनीकी कदम” दूर है। जबकि अमेरिकी खुफिया एजेंसियों का कहना है कि ईरान सक्रिय रूप से बम नहीं बना रहा है, लेकिन उसने 60% संवर्धित यूरेनियम का भंडार बना लिया है — जो हथियार-स्तर (90%) से केवल कुछ कदम दूर है। हाल ही में अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) ने ईरान की आलोचना की थी, जिसके जवाब में ईरान ने एक नया संवर्धन केंद्र खोलने की घोषणा की।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • नतांज़ और फोर्डो ईरान के दो प्रमुख परमाणु संयंत्र हैं, जिनमें से नतांज़ को भूमिगत और हवाई हमलों से सुरक्षित बनाया गया है।
  • Stuxnet वायरस, जिसे अमेरिका और इज़राइल की साइबर कार्रवाई माना जाता है, ने 2010 में ईरान के सेंट्रीफ्यूज नष्ट किए थे।
  • ईरान ने 2015 के परमाणु समझौते (JCPOA) से ट्रंप प्रशासन द्वारा हटने के बाद संवर्धन गतिविधियाँ बढ़ा दी थीं।
  • ईरान का सुप्रीम लीडर अयातुल्ला अली खामेनेई ने कहा है कि “हमले का जवाब ज़रूर दिया जाएगा।”

कूटनीति या युद्ध?

इसी सप्ताह अमेरिकी और ईरानी अधिकारियों के बीच ओमान में बातचीत होनी थी, लेकिन अब उनका होना संदिग्ध हो गया है। अमेरिका ने इस हमले में अपनी किसी भी भूमिका से इनकार किया है, लेकिन चेतावनी दी है कि ईरान अमेरिका के हितों को नुकसान न पहुंचाए।
यह हमला इस बात का संकेत है कि मध्य-पूर्व अब एक निर्णायक मोड़ पर खड़ा है। अगर इस टकराव को नियंत्रित नहीं किया गया, तो यह एक व्यापक क्षेत्रीय युद्ध में बदल सकता है, जिससे वैश्विक शांति और ऊर्जा आपूर्ति दोनों पर भारी असर पड़ेगा। इज़राइल और ईरान के बीच यह टकराव आने वाले समय में पूरी दुनिया के लिए चिंता का विषय बन सकता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *