अंतरराष्ट्रीय वित्तीय सम्मेलन FfD4 से COP30 तक: जलवायु न्याय और वित्तीय सुधार पर केंद्रित वैश्विक विमर्श

स्पेन में आयोजित चौथे International Financing for Development Conference (FfD4) ने अपने मध्य बिंदु तक पहुँचते हुए जलवायु वित्त, वैश्विक समानता और वित्तीय व्यवस्था के व्यापक सुधार पर केंद्रित गहन चर्चाएं प्रस्तुत की हैं। विशेष रूप से ‘Bridging Global Agendas: Scaling up Financing for People and Planet from FfD4 to COP30’ नामक उच्च स्तरीय साइड इवेंट ने FfD4 और इस वर्ष बाद में ब्राज़ील के बेलेम में होने वाले COP30 के बीच की कड़ी को स्थापित करने का प्रयास किया।

वैश्विक वित्तीय व्यवस्था में व्यापक बदलाव की मांग

  • लॉरेंस टुबियाना (पेरिस समझौते की मुख्य वास्तुकार) ने विकासशील और विकसित देशों के बीच जलवायु वित्त पर विश्वास की कमी को रेखांकित किया। उन्होंने Multilateral Development Banks के सुधार और वैश्विक एकजुटता पर कर (solidarity levies) लगाने की आवश्यकता जताई, जिससे ऋण बोझ बढ़ाए बिना संसाधन जुटाए जा सकें।
  • उन्होंने शीर्ष उत्सर्जक देशों पर लक्षित नीतियों की माँग की, विशेषकर यह बताते हुए कि “सिर्फ 1% सबसे अमीर लोग विश्व के 50% उत्सर्जन के लिए जिम्मेदार हैं।”
  • उन्होंने सिविल सोसायटी की भागीदारी बढ़ाने की जरूरत को भी रेखांकित किया, यह चिंता जताते हुए कि हालिया COP और FfD4 जैसे सम्मेलनों में उनकी जगह लगातार सीमित होती जा रही है।

COP30 और ब्राजील की रणनीति

  • COP30 अध्यक्ष पदनामित अंद्रे कोरेया डू लागो ने कहा कि अब वक्त आ गया है कि जलवायु वार्ताओं से आगे बढ़कर “क्रियान्वयन” की दिशा में कदम उठाया जाए।
  • उन्होंने Baku to Belem (B2B) रोडमैप की बात की, जो वर्ष 2035 तक $1.3 ट्रिलियन जलवायु वित्त लक्ष्य की दिशा दर्शाता है।
  • उनका जोर इस मिथक को तोड़ने पर था कि विकासशील देशों की वित्तीय आवश्यकताओं को केवल विकसित देशों की सार्वजनिक निधियों से पूरा किया जा सकता है।

वैश्विक उत्तर-दक्षिण विभाजन और वित्तीय असमानता

  • मारिया एस्पिनोसा (पूर्व UNGA अध्यक्ष) ने कहा कि जलवायु वित्त को केवल “अंतर भरने” से आगे बढ़ाकर संस्थागत बदलाव की ओर ले जाना होगा — जिसमें वैश्विक ऋण, कर और शासन व्यवस्था को पुनः परिभाषित करना शामिल है।
  • उन्होंने यह भी आलोचना की कि अब तक केवल 26 देशों ने अपने नए Nationally Determined Contributions (NDCs) प्रस्तुत किए हैं।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • FfD4 सम्मेलन का उद्देश्य विकास के लिए वित्त पोषण व्यवस्था को न्यायपूर्ण और प्रभावी बनाना है।
  • COP30, जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन (UNFCCC) का 30वां सम्मेलन है, जो 2025 में ब्राजील के बेलेम शहर में होगा।
  • New Collective Quantified Goal (NCQG) के तहत वर्ष 2025 के बाद के लिए जलवायु वित्त का नया वैश्विक लक्ष्य तय किया जाना है।
  • Tropical Forest Forever Facility (TFFF) को नवीन वित्तीय साधन के रूप में प्रस्तुत किया गया, हालांकि इसके बाज़ार-केंद्रित दृष्टिकोण की आलोचना भी हुई है।

आगे की राह

भले ही वैश्विक भू-राजनीतिक माहौल कठिन बना हुआ है, जलवायु वित्त में समानता को केंद्र में रखना अब और भी जरूरी हो गया है। COP30 जैसे आगामी सम्मेलनों के लिए यही सबसे बड़ा संदेश है कि बिना संरचनात्मक सुधार और समावेशिता के, वैश्विक जलवायु लक्ष्यों को हासिल करना मुश्किल है। FfD4 और COP30 के बीच की कड़ी को मज़बूत बनाना — यानि वित्तीय, सामाजिक और पर्यावरणीय न्याय को एक साथ पिरोना — आज की सबसे बड़ी आवश्यकता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *