RoDTEP योजना को मार्च 2026 तक बढ़ाया गया: निर्यातकों को बड़ी राहत

भारत सरकार ने निर्यातकों को बड़ी राहत देते हुए ‘निर्यातित उत्पादों पर शुल्क और करों की छूट’ (RoDTEP) योजना को 31 मार्च, 2026 तक बढ़ा दिया है। यह निर्णय ऐसे समय पर आया है जब वैश्विक बाजार में अनिश्चितता बनी हुई है और भारतीय निर्यातक गंभीर चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। इस निर्णय का निर्यातकों ने स्वागत किया है और इसे नीति निरंतरता के लिहाज से बेहद सकारात्मक कदम बताया है।
RoDTEP योजना क्या है?
RoDTEP योजना की शुरुआत 2021 में की गई थी। इसका उद्देश्य उन करों और शुल्कों की वापसी करना है जो निर्यातकों द्वारा चुकाए जाते हैं लेकिन उन्हें किसी अन्य योजना के तहत वापस नहीं मिलते। इनमें बिजली, ईंधन, परिवहन, मंडी शुल्क और स्थानीय निकायों द्वारा वसूले गए शुल्क जैसे नॉन-क्रेडिटेबल टैक्स शामिल होते हैं। यह योजना भारतीय निर्यात को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अधिक प्रतिस्पर्धी बनाने की दिशा में एक अहम प्रयास रही है।
योजना विस्तार का प्रभाव और दायरा
पहले यह योजना 5 फरवरी, 2025 तक ही लागू थी। लेकिन व्यापारिक संगठनों के दबाव और निर्यातकों की मांग को ध्यान में रखते हुए सरकार ने इसे अब मार्च 2026 तक बढ़ा दिया है। मई 2025 में सरकार ने Advance Authorization (AA) धारकों, विशेष आर्थिक क्षेत्रों (SEZs) और निर्यातोन्मुख इकाइयों (EOUs) के लिए RoDTEP लाभ को बहाल किया था। अब नया आदेश कहता है कि यह योजना Domestic Tariff Area (DTA) के साथ-साथ AA, SEZ और EOU इकाइयों पर भी लागू रहेगी।
हालांकि, वाणिज्य महानिदेशालय (DGFT) ने स्पष्ट किया है कि यह योजना मौजूदा बजटीय प्रावधानों के भीतर ही संचालित होगी। इसका मतलब यह है कि योजना का वित्तीय विस्तार फिलहाल सीमित रहेगा, लेकिन नीति के रूप में इसकी निरंतरता बनी रहेगी।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- RoDTEP योजना का पूरा नाम Remission of Duties and Taxes on Exported Products है।
- यह योजना पूर्ववर्ती MEIS (Merchandise Exports from India Scheme) को प्रतिस्थापित करने के लिए लाई गई थी।
- RoDTEP का उद्देश्य WTO-compliant लाभ प्रणाली तैयार करना है जिससे अंतरराष्ट्रीय नियमों का उल्लंघन न हो।
- यह लाभ केवल उन उत्पादों और सेवाओं पर मिलता है जिन्हें वास्तविक रूप से भारत से बाहर निर्यात किया गया है।