JL-1 मिसाइल की घोषणा: चीन के परमाणु त्रिशक्ति विस्तार का नया अध्याय

चीन ने हाल ही में बीजिंग में आयोजित ‘विक्ट्री डे’ परेड में अपनी नई परमाणु क्षमता का सार्वजनिक प्रदर्शन करते हुए JL-1 एयर-लॉन्चड बैलिस्टिक मिसाइल (ALBM) का अनावरण किया है। यह कदम वैश्विक सैन्य संतुलन के लिए एक गंभीर संकेतक है, क्योंकि यह पहली बार है जब चीन ने अपने परमाणु त्रिशक्ति (Nuclear Triad) — भूमि, समुद्र और आकाश से परमाणु हमले की क्षमता — को सार्वजनिक रूप से प्रदर्शित किया है।

JL-1: आकाश से मार करने वाली परमाणु मिसाइल

JL-1 मिसाइल, जिसे H-6N रणनीतिक बॉम्बर विमान से लॉन्च किया जा सकता है, लगभग 3,000 से 4,000 किलोमीटर तक की दूरी पर स्थित लक्ष्यों को निशाना बना सकती है। राज्य मीडिया के अनुसार, इसकी मारक क्षमता 8,000 किमी तक भी हो सकती है। यह मिसाइल पारंपरिक ग्रैविटी बमों से अलग है क्योंकि इसे विमान के वायु क्षेत्र में प्रवेश किए बिना ही दागा जा सकता है।
H-6N विमान की इन-फ्लाइट रिफ्यूलिंग क्षमता इसकी रेंज को बढ़ाकर लगभग 5,000 किलोमीटर कर देती है, जिससे चीन अपनी सामरिक पहुंच को अधिक विस्तार दे सकता है।

परमाणु त्रिशक्ति की पुष्टि और रणनीतिक बढ़त

JL-1 के अनावरण के साथ, चीन अब अमेरिका और रूस के समान उन चुनिंदा देशों में शामिल हो गया है, जिनके पास भूमि, समुद्र और आकाश से परमाणु हमला करने की संपूर्ण क्षमताएं हैं। यह कदम न केवल चीन की ‘सेकंड स्ट्राइक’ क्षमता को मज़बूत करता है — यानी यदि उसका ज़मीनी या समुद्री परमाणु अर्सेनल पहले हमले में नष्ट हो जाए, तब भी वह हवाई माध्यम से पलटवार कर सके — बल्कि दुश्मन के लिए इसे रोकना भी कहीं अधिक जटिल हो जाता है।
विशेषज्ञों के अनुसार, JL-1 में मैन्युवरेबल री-एंट्री व्हीकल (MARV) लगा है, जो मिसाइल को अंतिम चरण में लक्ष्यों की ओर तेजी से और मार्ग बदलते हुए आगे बढ़ने में सक्षम बनाता है। इससे इंटरसेप्ट करना अत्यंत कठिन हो जाता है।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • JL-1 ALBM चीन की पहली आधिकारिक एयर-लॉन्चड परमाणु मिसाइल है, जिसे H-6N बॉम्बर से लॉन्च किया जा सकता है।
  • परमाणु त्रिशक्ति (Nuclear Triad) में तीन माध्यम शामिल होते हैं: भूमि आधारित मिसाइलें, समुद्री पनडुब्बी आधारित मिसाइलें, और वायु से लॉन्च की गई मिसाइलें।
  • H-6N विमान 2019 में पहली बार प्रदर्शित हुआ था; इसमें हवा में ईंधन भरने की सुविधा और मिसाइल ले जाने की विशेष बनावट है।
  • मैन्युवरेबल री-एंट्री व्हीकल (MARV) मिसाइल के अंतिम चरण में दिशा बदलने की क्षमता देता है, जिससे इंटरसेप्ट करना कठिन होता है।

वैश्विक परमाणु संतुलन पर असर

JL-1 का प्रदर्शन न केवल तकनीकी रूप से अहम है, बल्कि रणनीतिक संदेश भी देता है। चीन की यह मिसाइल अमेरिका के एयरक्राफ्ट कैरियर ग्रुप्स जैसे दूरस्थ और गतिशील सैन्य ठिकानों को भी निशाना बना सकती है। विशेषज्ञों का मानना है कि चीन की यह क्षमता ‘लॉन्च ऑन वॉर्निंग’ (LOW) रणनीति को भी मजबूत कर सकती है — यानी यदि किसी परमाणु हमले की चेतावनी मिलती है, तो चीन पहले ही जवाबी हमला शुरू कर सकता है।
चीन की यह मिसाइल क्षमता उसके बढ़ते परमाणु भंडार का हिस्सा है। अमेरिकी रक्षा विभाग के अनुसार, 2024 तक चीन के पास 600 से अधिक परमाणु वारहेड थे और यह संख्या 2030 तक 1,000 से अधिक हो सकती है।
JL-1 का सार्वजनिक प्रदर्शन न केवल एक मिसाइल प्रणाली का खुलासा है, बल्कि यह चीन के बदले हुए सामरिक सोच और वैश्विक सैन्य समीकरणों को नया आयाम देने वाला संकेतक भी है। यह विकास आने वाले वर्षों में एशिया-प्रशांत क्षेत्र की सामरिक स्थिरता के लिए एक निर्णायक भूमिका निभा सकता है।

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