ECHS लाभ अब विकलांग प्रशिक्षु कैडेट्स को भी: एक मानवीय और स्वागतयोग्य पहल

ECHS लाभ अब विकलांग प्रशिक्षु कैडेट्स को भी: एक मानवीय और स्वागतयोग्य पहल

भारत सरकार ने एक महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए Ex-Servicemen Contributory Health Scheme (ECHS) के लाभों का विस्तार उन प्रशिक्षु कैडेट्स तक कर दिया है, जिन्हें प्रशिक्षण के दौरान चिकित्सकीय आधार पर सेवानिवृत्त (medically boarded out) किया गया हो। यह कदम उन युवा सैन्य आकांक्षियों के लिए राहत लेकर आया है, जो NDA, IMA या OTA जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों में भर्ती होकर राष्ट्रसेवा का सपना देखते हैं, लेकिन दुर्भाग्यवश प्रशिक्षण के दौरान गंभीर चोट या विकलांगता के कारण सेवा से बाहर हो जाते हैं।

अब तक क्यों वंचित थे ये कैडेट?

ऐसे कैडेट्स को अब तक Ex-Servicemen (ESM) की मान्यता नहीं मिलती थी, जिस कारण वे ECHS जैसी योजनाओं के लिए पात्र नहीं थे। हालांकि, वे गंभीर शारीरिक और मानसिक आघात से जूझते हैं और उन्हें जीवनभर की चिकित्सा देखभाल की आवश्यकता होती है। वर्तमान में ऐसे कैडेट्स को एक मासिक एक्स-ग्रेसिया भुगतान और विकलांगता पुरस्कार प्रदान किया जाता है, लेकिन उनकी चिकित्सा आवश्यकताओं को देखते हुए यह पर्याप्त नहीं था।

अब ECHS के तहत क्या-क्या मिलेगा?

  • कैशलेस और कैपलेस इलाज: अब ये कैडेट्स भारत भर में स्थित ECHS के 448 पॉलीक्लिनिक और 3,000 से अधिक पैनल अस्पतालों में मुफ्त इलाज का लाभ ले सकेंगे।
  • मुफ्त OPD सेवा: ECHS पॉलीक्लिनिक में मुफ्त बाह्य-रोगी सेवाएं उपलब्ध रहेंगी।
  • बिना शुल्क पंजीकरण: ESM अधिकारियों के लिए लागू ₹1.2 लाख की एकमुश्त सदस्यता राशि इन कैडेट्स के लिए माफ की गई है।
  • केवल कैडेट के लिए: यह सुविधा केवल उस विकलांग कैडेट को ही मिलेगी, और उसके परिवारजन इसमें शामिल नहीं होंगे।
  • शर्त: लाभार्थी किसी अन्य सरकारी स्वास्थ्य योजना के सदस्य नहीं होने चाहिए।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • ECHS की शुरुआत अप्रैल 2003 में हुई थी।
  • यह योजना अब तक 63 लाख से अधिक पूर्व सैनिकों और उनके परिजनों को स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान कर रही है।
  • भारत में 30 क्षेत्रीय केंद्र, 448 पॉलीक्लिनिक और 3,000 से अधिक मान्यता प्राप्त अस्पताल ECHS से जुड़े हैं।
  • विकलांग कैडेट्स को अब ECHS में मुफ्त सदस्यता और संपूर्ण चिकित्सा सेवा का लाभ मिलेगा।

सरकार का यह निर्णय केवल एक स्वास्थ्य सुविधा विस्तार नहीं, बल्कि उन युवा कैडेट्स के प्रति संवेदनशीलता और कर्तव्य की भावना का प्रतीक है, जो राष्ट्रसेवा की तैयारी में अपने स्वास्थ्य की आहुति देते हैं। यह पहल न केवल मानवीय दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि सैन्य प्रशिक्षण में लगे युवाओं और उनके परिवारों के लिए एक नई आशा की किरण भी है।

Originally written on August 30, 2025 and last modified on August 30, 2025.

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