DRDO ने सफलतापूर्वक किया स्वदेशी एकीकृत वायु रक्षा प्रणाली का परीक्षण

DRDO ने सफलतापूर्वक किया स्वदेशी एकीकृत वायु रक्षा प्रणाली का परीक्षण

भारत की रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने पिछले शनिवार को ओडिशा तट से एक नई, पूरी तरह स्वदेशी, एकीकृत वायु रक्षा हथियार प्रणाली (IADWS) का पहला परीक्षण सफलतापूर्वक किया। यह प्रणाली तीन स्तरों पर काम करती है और दुश्मन के विमान, ड्रोन तथा मिसाइलों को 30-35 किलोमीटर की दूरी से ही मार गिराने में सक्षम है। इस सफलता ने भारत की तकनीकी और सामरिक शक्ति को एक नए स्तर पर पहुँचा दिया है।

एकीकृत वायु रक्षा प्रणाली की विशेषताएँ

IADWS एक बहु-स्तरीय प्रणाली है जिसमें तीन प्रमुख हथियार शामिल हैं। पहला है क्विक रिएक्शन सरफेस-टू-एयर मिसाइल (QR-SAM), जिसकी मारक क्षमता 30 किलोमीटर तक है। दूसरा है एडवांस्ड वेरी शॉर्ट रेंज एयर डिफेन्स सिस्टम (VSHORADS), जो 6 किलोमीटर तक के लक्ष्यों को भेद सकता है। तीसरी है उच्च-शक्ति वाली लेज़र-आधारित डाइरेक्टेड एनर्जी वेपन (DEW), जिसकी रेंज 2-4 किलोमीटर है। इन सभी हथियारों का संचालन केंद्रीय कमांड और कंट्रोल सेंटर से होता है, जिसे रक्षा अनुसंधान एवं विकास प्रयोगशाला (DRDL) ने विकसित किया है।

परीक्षण की उपलब्धि और तकनीकी महत्व

परीक्षण के दौरान तीन अलग-अलग हवाई लक्ष्यों को एक साथ मार गिराया गया, जिसमें दो हाई-स्पीड ड्रोन और एक मल्टी-कॉप्टर शामिल थे। सभी प्रणालियों ने बेहतरीन प्रदर्शन किया। इस प्रणाली के सफल परीक्षण से यह सिद्ध हो गया कि DRDO की अलग-अलग प्रयोगशालाओं में विकसित तकनीकों को एकीकृत करके एक आधुनिक और प्रभावी युद्ध प्रणाली तैयार की जा सकती है।

DRDO और IGMDP की विरासत

भारत ने 1983 में ए. पी. जे. अब्दुल कलाम के नेतृत्व में इंटीग्रेटेड गाइडेड मिसाइल डेवलपमेंट प्रोग्राम (IGMDP) शुरू किया था। इसी कार्यक्रम से अग्नि और पृथ्वी जैसे रणनीतिक बैलिस्टिक मिसाइलों का विकास हुआ। इसके अलावा त्रिशूल, आकाश और नाग जैसे सामरिक मिसाइलों ने भी भारतीय रक्षा को मजबूत किया। यही नहीं, DRDO ने एंटी-बैलिस्टिक मिसाइल (ABM), एंटी-सैटेलाइट मिसाइल (ASAT) और MIRV जैसी अत्याधुनिक क्षमताएँ भी विकसित की हैं।

सार्वजनिक-निजी और अंतरराष्ट्रीय सहयोग

आज भारत की रक्षा तकनीक सिर्फ सरकारी प्रयोगशालाओं तक सीमित नहीं है। निजी क्षेत्र की कंपनियाँ भी DRDO के साथ मिलकर अत्याधुनिक उत्पाद विकसित कर रही हैं। उदाहरण के लिए, कर्बोरंडम यूनिवर्सल लिमिटेड (CUMI) ने हाल ही में DRDO से विशेष सिरेमिक रडोम्स बनाने की तकनीक प्राप्त की है। वहीं, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इज़राइल के साथ सहयोग कर “आयरन डोम” जैसी तकनीक विकसित करने की संभावनाएँ भी खुली हैं, जो भारत की वायु रक्षा को और सुदृढ़ बना सकती हैं।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • IADWS की अधिकतम मारक क्षमता 35 किलोमीटर तक है।
  • QR-SAM मिसाइल को विशेष रूप से भारतीय सेना की त्वरित प्रतिक्रिया क्षमता बढ़ाने के लिए विकसित किया गया है।
  • इज़राइल का “आयरन डोम” दुनिया की सबसे प्रसिद्ध वायु रक्षा प्रणालियों में से एक है, जिसकी रेंज 160 किलोमीटर है।
  • भारत और रूस ने संयुक्त रूप से सुपरसोनिक “ब्रह्मोस” क्रूज मिसाइल विकसित की है।

भारत का यह कदम न केवल रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता (Atmanirbhar Bharat) की दिशा में महत्वपूर्ण है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि भारत अब वैश्विक स्तर पर अत्याधुनिक सैन्य तकनीकों में अग्रणी बनने की राह पर है। भविष्य में इस प्रकार की स्वदेशी और संयुक्त तकनीकी साझेदारियाँ भारत की सामरिक क्षमता को और अधिक मज़बूत बनाएंगी।

Originally written on August 29, 2025 and last modified on August 29, 2025.

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