COP30 सम्मेलन में भागीदारी पर संकट: बेलें में महंगे आवास ने बढ़ाई विकासशील देशों की चिंता

संयुक्त राष्ट्र के जलवायु सम्मेलन COP30 के आयोजन से पहले एक बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। ब्राज़ील के बेलें शहर में नवंबर 2025 में प्रस्तावित इस सम्मेलन के लिए आसमान छूती आवास कीमतें विकासशील और यहां तक कि कुछ विकसित देशों के लिए चिंता का विषय बन गई हैं। 29 जुलाई 2025 को संयुक्त राष्ट्र जलवायु निकाय ने एक आपात बैठक बुलाई जिसमें इस मुद्दे पर गहन चर्चा हुई।

बेलें में सम्मेलन: महंगे इंतजाम और सीमित संसाधन

बेलें, जो कि अमेज़न वर्षावन के करीब एक छोटा तटीय शहर है, के पास सामान्य रूप से केवल 18,000 होटल बेड उपलब्ध हैं। लेकिन COP30 के लिए लगभग 45,000 प्रतिभागियों के शामिल होने की संभावना है, जिससे मांग और कीमतें दोनों बढ़ गई हैं। कुछ प्रतिनिधियों को $700 प्रति रात तक के आवास मूल्य के कोटेशन मिले हैं, जबकि संयुक्त राष्ट्र द्वारा दी जाने वाली दैनिक सहायता राशि (Daily Subsistence Allowance) केवल $149 है।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • COP30 (Conference of the Parties) संयुक्त राष्ट्र की जलवायु परिवर्तन वार्ता का 30वां संस्करण है।
  • सम्मेलन 2025 में ब्राज़ील के बेलें शहर में आयोजित हो रहा है।
  • बेलें की जनसंख्या लगभग 1.3 मिलियन है और यह अमेज़न क्षेत्र का प्रवेश द्वार माना जाता है।
  • ब्राज़ील ने दो क्रूज जहाजों की सहायता से अतिरिक्त 6,000 बिस्तरों की व्यवस्था की है।

अफ्रीकी और अन्य देशों की प्रतिक्रिया

अफ्रीकी देशों के मुख्य वार्ताकार रिचर्ड म्युयुंगी ने कहा कि वे अपनी प्रतिनिधिमंडल संख्या कम नहीं करना चाहते। “हम किसी भी सूरत में अपनी भागीदारी नहीं घटाएंगे। ब्राज़ील को विकल्प तलाशने होंगे ताकि सभी देशों की भागीदारी सुनिश्चित की जा सके,” उन्होंने कहा। उन्होंने यह भी बताया कि ब्राज़ील ने 11 अगस्त को अगली बैठक में समाधान प्रस्तुत करने का आश्वासन दिया है।

विकसित देशों की भी चिंता

केवल गरीब देश ही नहीं, बल्कि नीदरलैंड्स और पोलैंड जैसे यूरोपीय देशों ने भी अपनी प्रतिनिधिमंडल संख्या कम करने की बात कही है। पोलैंड के उप जलवायु मंत्री ने कहा, “हमें शायद अपनी टीम को बहुत सीमित करना पड़ेगा, और चरम स्थिति में सम्मेलन में भाग ही नहीं ले पाएंगे।”

असमानता और जलवायु न्याय की परीक्षा

यह स्थिति COP सम्मेलनों की समावेशिता और न्याय पर भी सवाल खड़े करती है। यदि जलवायु परिवर्तन जैसे वैश्विक मुद्दे पर वैश्विक प्रतिनिधित्व ही सीमित हो जाए, तो निर्णयों में विविध आवाजें कैसे शामिल होंगी? जलवायु न्याय की बात करते हुए अगर विकासशील देशों की भागीदारी आर्थिक कारणों से कम हो जाती है, तो यह गंभीर असंतुलन को दर्शाता है।

आगे की राह

ब्राज़ील सरकार ने आश्वासन दिया है कि वे किफायती आवास की व्यवस्था कर रहे हैं, जिसमें अधिकतम $220 प्रतिदिन की दर वाले विकल्प भी उपलब्ध कराए जा रहे हैं। हालांकि, यह अभी भी UN सहायता राशि से ऊपर है और सभी प्रतिनिधियों के लिए पर्याप्त नहीं है। अब 11 अगस्त की अगली बैठक पर सबकी नजरें टिकी हैं।
COP30 केवल जलवायु परिवर्तन से निपटने की योजना नहीं, बल्कि वैश्विक सहयोग की परीक्षा भी बन चुकी है। यदि आयोजन की मूलभूत व्यवस्था ही असमानता को बढ़ावा देती है, तो परिणामस्वरूप जलवायु समाधान भी एकपक्षीय और अपूर्ण रह सकते हैं।

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