AI का पर्यावरणीय प्रभाव: ‘ग्रीन एआई’ की ओर एक ज़रूरी कदम

कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) अब हमारे जीवन के लगभग हर क्षेत्र—ग्राहक सेवा, लॉजिस्टिक्स, वित्त, और उत्पाद विकास—में सक्रिय भूमिका निभा रही है। लेकिन जहाँ इसकी शक्ति और उपयोगिता की खूब चर्चा होती है, वहीं इसके छिपे हुए पर्यावरणीय प्रभावों पर बहुत कम ध्यान दिया जाता है।

AI और पर्यावरण: अदृश्य लेकिन गहरा प्रभाव

एक बड़े AI मॉडल की ट्रेनिंग से इतना कार्बन उत्सर्जन हो सकता है जितना कई कारें अपने जीवनकाल में करती हैं। इसके अलावा:

    • डेटा सेंटर्स को ठंडा रखने के लिए लाखों लीटर पानी की आवश्यकता होती है।
    • हार्डवेयर तेजी से पुराना हो रहा है, जिससे ई-कचरा बढ़ रहा है।
  • एक साधारण ‘थैंक यू’ संदेश जनरेट करने में उतनी ऊर्जा लग सकती है जितनी कई गूगल सर्च में।

इसके बावजूद, तकनीकी प्रदाता इस पर्यावरणीय लागत को उपयोगकर्ताओं के सामने उजागर नहीं करते। आज जहां हवाई टिकट बुकिंग में ‘कार्बन फुटप्रिंट’ दिखाया जाता है, वहां AI उपयोग के लिए कोई CO₂ लेबल नहीं होता।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • AI मॉडल ट्रेनिंग में 13% से 115% तक ऊर्जा बचत के उदाहरण सामने आए हैं।
  • दुनिया भर में डेटा सेंटर्स की ऊर्जा खपत और जल उपयोग AI का सबसे बड़ा पर्यावरणीय ‘हॉटस्पॉट’ बनता जा रहा है।
  • ग्रीन AI एक अवधारणा है जिसमें मॉडल दक्षता, डेटा केंद्र प्रबंधन और उपभोक्ता जागरूकता को प्राथमिकता दी जाती है।

समाधान की दिशा में कदम

ग्रीन AI की ओर बढ़ने के लिए कई स्तरों पर सुधार आवश्यक हैं:

  • मॉडल स्तर पर: प्रूनिंग, नॉलेज डिस्टिलेशन, और लो-प्रेसिशन कम्प्यूटेशन जैसी तकनीकों से दक्षता बढ़ाई जा सकती है।
  • इन्फ्रास्ट्रक्चर: डेटा सेंटर्स में एडवांस कूलिंग, सर्वर वर्चुअलाइजेशन और पावर मैनेजमेंट तकनीक अपनाई जा रही है।
  • स्थान का चयन: ठंडी जलवायु में स्थित डेटा सेंटर्स को ठंडा करने में कम ऊर्जा लगती है।
  • क्लाउड माइग्रेशन: नवीकरणीय ऊर्जा से संचालित और ऊर्जा दक्ष क्लाउड प्लेटफॉर्म पर माइग्रेशन भी प्रभावी रणनीति है।

उपभोक्ताओं और संगठनों की भूमिका

  • उपयोगकर्ताओं को चाहिए कि AI का प्रयोग आवश्यकता के अनुसार और विवेकपूर्वक करें, विशेषकर जहां सरल उपकरण पर्याप्त हों।
  • संगठनों को ऊर्जा प्रबंधन प्रणालियाँ, नियमित ऑडिट, और IoT आधारित मॉनिटरिंग को अपनाना चाहिए।
  • AI से जुड़ी ESG रणनीतियों को नीति निर्माण और रिपोर्टिंग में शामिल किया जाना चाहिए।

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