2035 तक कार्बन उत्सर्जन में केवल 17% की कटौती संभावित: संयुक्त राष्ट्र रिपोर्ट
जलवायु परिवर्तन के खिलाफ वैश्विक प्रयासों को गति देने के उद्देश्य से अगले महीने ब्राज़ील के बेलें शहर में आयोजित होने वाले COP 30 सम्मेलन से पहले संयुक्त राष्ट्र ने एक “सिंथेसिस रिपोर्ट” जारी की है। इस रिपोर्ट में स्पष्ट किया गया है कि वर्तमान वैश्विक प्रयास 2035 तक कार्बन उत्सर्जन को केवल 17% तक घटा पाएंगे, जो वैज्ञानिक रूप से आवश्यक 37% या 57% कटौती से काफी कम है।
उत्सर्जन कटौती लक्ष्य से काफी पीछे दुनिया
रिपोर्ट के अनुसार, यदि वैश्विक तापमान वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित रखना है तो 2035 तक 2019 के स्तर से कम से कम 57% उत्सर्जन कटौती अनिवार्य है। लेकिन अब तक जिन 64 देशों ने अपने राष्ट्रीय रूप से निर्धारित योगदान (NDCs) अपडेट किए हैं, उनके अनुसार कुल उत्सर्जन 2035 तक केवल 13 बिलियन टन CO₂ समतुल्य होगा — जो पिछली प्रतिबद्धताओं से केवल 6% कम है।
भारत सहित कई देशों ने अपने अद्यतन NDCs अभी तक प्रस्तुत नहीं किए हैं। भारत ने अंतिम बार अगस्त 2022 में अपने लक्ष्य जमा किए थे।
अनुकूलन और लचीलापन: अब केवल कटौती नहीं, तैयारी भी ज़रूरी
संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट इस बात की सराहना करती है कि अब केवल उत्सर्जन में कटौती (mitigation) ही नहीं, बल्कि अनुकूलन (adaptation) और लचीलापन (resilience) पर भी बल दिया जा रहा है। 73% नए NDCs में जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से निपटने के लिए अनुकूलन से जुड़ी योजनाएं शामिल हैं।
इनमें जलवायु वित्त, प्रौद्योगिकी स्थानांतरण, क्षमता निर्माण और ‘हानि और क्षति’ से निपटने के उपाय भी सम्मिलित हैं — जो पेरिस समझौते की समग्र भावना को दर्शाते हैं।
खबर से जुड़े जीके तथ्य
- COP 30 सम्मेलन दिसंबर 2025 में ब्राज़ील के बेलें शहर में होगा।
- पेरिस समझौता (2015) के अनुसार, वैश्विक तापमान वृद्धि को 2°C से नीचे और आदर्श रूप से 1.5°C तक सीमित रखने का लक्ष्य है।
- भारत ने अपने NDCs में 2030 तक 50% ऊर्जा उत्पादन गैर-जीवाश्म स्त्रोतों से करने का लक्ष्य रखा है।
- CCUS (कार्बन कैप्चर, उपयोग और भंडारण) एक तकनीक है जो औद्योगिक उत्सर्जन से CO₂ को पृथक कर सुरक्षित रूप से संग्रहित करती है।