2026-27 की जनगणना में जातिगत गणना: केंद्र और राज्य की ओबीसी सूचियों के एकीकरण की तैयारी

भारत सरकार द्वारा आगामी 2026-27 की जनगणना के लिए तैयारियां शुरू कर दी गई हैं, जिसमें एक ऐतिहासिक कदम के तहत जातिगत आंकड़ों को भी शामिल करने का निर्णय लिया गया है। यह पहल 1931 के बाद पहली बार की जा रही है, और इससे सामाजिक संरचना की गहराई से समझ विकसित होने की उम्मीद है। इस बार सरकार केंद्र और राज्य दोनों स्तरों की अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) सूचियों को शामिल करने पर विचार कर रही है।

केंद्र और राज्य की ओबीसी सूचियों को एक साथ जोड़ने की योजना

फिलहाल केंद्र सरकार की ओबीसी सूची में 2,513 जातियां शामिल हैं, जो केंद्रीय नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में आरक्षण की पात्रता तय करने के लिए उपयोग की जाती हैं। हालांकि, राज्यों की अपनी अलग ओबीसी सूचियां होती हैं जिनमें कई ऐसी जातियां भी शामिल होती हैं जो केंद्र की सूची में नहीं हैं।
सरकारी सूत्रों के अनुसार, केवल केंद्र की सूची का उपयोग करने से राज्यों में ओबीसी की वास्तविक संख्या का गलत चित्र प्रस्तुत हो सकता है और इससे राज्यों की ओर से विरोध की संभावना भी बढ़ सकती है। इसलिए दोनो सूचियों को एकीकृत करने की योजना बनाई जा रही है ताकि एक व्यापक और समावेशी गणना हो सके।

डिजिटल जनगणना और तकनीकी तैयारियां

2026-27 की जनगणना को पूरी तरह डिजिटल माध्यम से करने की योजना है, जिससे सटीकता और समन्वय में वृद्धि होगी। इसके लिए जनगणना ऐप और पोर्टल में ओबीसी के लिए एक अतिरिक्त कॉलम जोड़े जाने की संभावना है। इस कॉलम में एक ड्रॉप-डाउन मेनू होगा, जिसमें केंद्र और राज्यों की ओबीसी सूचियों की जातियां उपलब्ध होंगी। इससे उत्तरदाता अपनी जाति का चयन मानकीकृत रूप में कर सकेंगे।
वर्तमान में जनगणना में केवल अनुसूचित जातियों (SC), अनुसूचित जनजातियों (ST) और ‘अन्य’ वर्ग के रूप में जातियों को दर्ज किया जाता है। अब ‘ओबीसी’ को एक अलग श्रेणी के रूप में जोड़ने की प्रक्रिया को अंतिम रूप दिया जा रहा है।

खबर से जुड़े जीके तथ्य

  • 2026-27 की जनगणना में पहली बार 1931 के बाद जातिगत जानकारी एकत्र की जाएगी।
  • केंद्र की ओबीसी सूची में 2,513 जातियां शामिल हैं; राज्यों की अलग-अलग सूचियां हैं।
  • 2011 की सामाजिक-आर्थिक और जाति जनगणना (SECC) के आंकड़े कभी सार्वजनिक नहीं किए गए क्योंकि उसमें 46 लाख से अधिक डुप्लिकेट या त्रुटिपूर्ण प्रविष्टियाँ थीं।
  • डिजिटल जनगणना में ऐप आधारित ड्रॉप-डाउन विकल्प से जाति का चयन मानकीकृत तरीके से होगा।

जातिगत जनगणना को लेकर इस बार सरकार ने जिस विस्तृत और तकनीकी दृष्टिकोण को अपनाया है, वह न केवल सामाजिक न्याय की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है, बल्कि यह देश की सामाजिक संरचना को नीतिगत दृष्टि से समझने का एक प्रभावी माध्यम भी बनेगा। यदि केंद्र और राज्य की सूचियों को समन्वयित किया गया, तो यह आंकड़े नीति निर्माण और आरक्षण प्रणाली में अधिक न्यायपूर्ण प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने में सहायक सिद्ध होंगे।

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